बिहार के बाहुबली नेता और पूर्व सांसद मो. शहाबुद्दीन को लेकर बड़ी खबर सामने आ रही है. दिल्ली के तिहाड़ जेल में उम्रकैद की सजा काट रहे शहाबुद्दीन ने दिल्ली हाईकोर्ट में कस्टडी पैरोल के लिए याचिका दायर की है. शहाबुद्दीन ने अपनी याचिका में मां के बीमार होने की बात कही है. शहाबुद्दीन ने कस्टडी पैरोल पर सीवान जाने की अनुमति मांगी है.
जस्टिस एजे भंभानी की कोर्ट में सुनवाई के दौरान दिल्ली सरकार की तरफ से वकील संजय लाव ने कोर्ट से कहा कि बिहार में शहाबुद्दीन की सुरक्षा के लिए दिल्ली पुलिस जिम्मेदार नहीं हो सकती है. शहाबुद्दीन को कोरोना काल में सीवान ले जाना भी मुश्किल है. फिलहाल ट्रेनों का परिचालन भी समान्य नहीं है. शहाबुद्दीन के साथ जाने के लिए पुलिस की एक पूरी बटालियन भी भेजनी होगी. बिहार सरकार के वकील केशव मोहन ने भी कहा कि शहाबुद्दीन तिहाड़ जेल में हैं इसलिए उनकी सुरक्षा दिल्ली सरकार व पुलिस को सुनिश्चित करनी चाहिए. उन्होंने यह भी कहा कि कस्टडी पैरोल की स्थिति में जरूरी ब्योरा नए हलफनामे में दिया जाएगा.
जस्टिस भंभानी ने कहा कि परिवार में शोक जैसी स्थिति हो तो कस्टडी पैरोल देने पर विचार किया जा सकता है, लेकिन इस मामले में बिहार और दिल्ली सरकारों द्वारा दोनों यह सुनिश्चित नहीं कर रही हैं कि शहाबुद्दीन उनकी हिरासत में सुरक्षित रहेंगे. कोर्ट ने सुझाव दिया कि क्यों न शहाबुद्दीन का परिवार ही दिल्ली आकर उनसे मुलाकात कर ले. इसके लिए दिल्ली में उन्हें अलग जगह दी जाएगी. इसपर शहाबुद्दीन के वकील सलमान खुर्शीद ने कहा कि वे कोर्ट के सुझाए विकल्प पर विचार करेंगे, लेकिन इसके पहले बिहार सरकार हलफनामा देकर कहे कि वह शहाबुद्दीन की सुरक्षा नहीं कर सकती है.
गौरतलब है कि शहाबुद्दीन पर हत्या व अपहरण सहित दर्जनों संगीन मामलों में मुकदमें दर्ज हैं. फिलहाल सीवान में दो भाइयों को तेजाब से नहला कर निर्मम हत्या के मामले में वे तिहाड़ जेल में उम्रकैद की सजा काट रहे हैं. सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर शहाबुद्दीन को साल 2018 में बिहार के सीवान जेल से दिल्ली की तिहाड़ जेल में स्थानांतरित किया गया था. फिलहाल शहाबुद्दीन की याचिका पर सुनवाई के दौरान दिल्ली व बिहार सरकार ने कस्टडी पैरोल में सुरक्षा का आश्वासन नहीं दिया है. इसपर कोर्ट ने शहाबुद्दीन के परिवार को ही दिल्ली आकर मिलने का सुझाव दिया है.