शारदीय नवरात्रि 2025: मां कूष्मांडा की पूजा से मिलता है सुख, समृद्धि और लंबी आयु

“सकारात्मकता और शक्ति का पर्व – नवरात्रि 2025 की दिव्य कथाएं और पूजा विधि”

4 Min Read
Highlights
  • • शारदीय नवरात्रि 2025 का चौथा दिन मां कूष्मांडा की पूजा के लिए समर्पित। • मां कूष्मांडा को सृष्टि की जननी और ऊर्जा व प्रकाश का स्रोत माना जाता है। • उनकी पूजा से लंबी आयु, आरोग्य, यश, बल और समृद्धि की प्राप्ति होती है। • विद्यार्थी और साधकों के लिए मां की आराधना विशेष रूप से फलदायी। • पूजा विधि में स्नान, गंगाजल से शुद्धि, प्रतिमा स्थापना, भोग और आरती शामिल। • मां को विशेष रूप से सफेद कुम्हड़ा अर्पित करना शुभ माना जाता है। • उनकी भक्ति से नकारात्मक ऊर्जा और कष्ट दूर होकर जीवन में सकारात्मकता आती है। • मां कूष्मांडा योग और ध्यान की देवी भी हैं, जो साधक को मानसिक शांति और संतुलन प्रदान करती हैं। • नवरात्रि में दुर्गा चालीसा और दुर्गा सप्तशती का पाठ विशेष फलदायी होता है। • Disclaimer: यह जानकारी मान्यताओं और परंपराओं पर आधारित है।

शारदीय नवरात्रि का हर दिन देवी दुर्गा के अलग-अलग स्वरूपों की आराधना के लिए समर्पित होता है। नवरात्रि के चौथे दिन मां दुर्गा के कूष्मांडा स्वरूप की पूजा की जाती है। शास्त्रों के अनुसार मां कूष्मांडा को ब्रह्मांड की सृष्टि की जननी माना जाता है। उन्होंने अपनी दिव्य मुस्कान से सम्पूर्ण ब्रह्मांड का निर्माण किया और अपने तेज से जगत को प्रकाशित किया। यही कारण है कि मां कूष्मांडा को ऊर्जा और प्रकाश की अधिष्ठात्री देवी भी कहा जाता है।

मां कूष्मांडा का महत्व

मां कूष्मांडा की पूजा का जीवन में विशेष महत्व है। उनकी आराधना से अंधकार का नाश होता है और जीवन में नई ऊर्जा व सकारात्मकता का संचार होता है। माना जाता है कि मां का आशीर्वाद पाकर भक्तों को लंबी आयु, बल, यश और आरोग्य प्राप्त होता है। साथ ही, सभी कष्ट, रोग और दरिद्रता भी दूर हो जाती है।

मां कूष्मांडा की पूजा से लाभ:
• समृद्धि और सुख-शांति: मां की कृपा से जीवन में धन, वैभव और सुख-सौभाग्य की वृद्धि होती है।
• नकारात्मकता से मुक्ति: भक्त सभी प्रकार के रोग, शोक और मानसिक पीड़ा से मुक्त होते हैं।
• बुद्धि और एकाग्रता: विशेष रूप से छात्रों के लिए मां की पूजा लाभकारी होती है, जिससे एकाग्रता और ज्ञान बढ़ता है।
• आध्यात्मिक उन्नति: मां कूष्मांडा योग और ध्यान की देवी मानी जाती हैं। उनकी भक्ति से साधक को आत्मिक शांति और संतुलन की प्राप्ति होती है।
• ऊर्जा का संचार: जैसे सूर्य अपनी किरणों से पृथ्वी को प्रकाशित करता है, वैसे ही मां कूष्मांडा अपनी असीम ज्योति से भक्तों के जीवन में प्रकाश भर देती हैं।

मां कूष्मांडा की पूजा विधि

नवरात्रि के चौथे दिन मां कूष्मांडा की पूजा विधिपूर्वक करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है। शास्त्रों में उनकी पूजा की यह परंपरागत विधि बताई गई है:
1. स्नान और शुद्धि – सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और अपने शरीर व मन को शुद्ध करें।
2. पूजा स्थल की तैयारी – घर और पूजन स्थल को गंगाजल से शुद्ध करें।
3. प्रतिमा या चित्र स्थापना – मां कूष्मांडा की प्रतिमा या चित्र को पूजन स्थल पर स्थापित करें।
4. ध्यान और आवाहन – मां का ध्यान करें और उन्हें अपने घर पधारने के लिए आमंत्रित करें।
5. भोग और सामग्री अर्पण – मां को लाल फूल, फल, वस्त्र, कुमकुम, हल्दी, अक्षत और दीप अर्पित करें। मां को विशेष रूप से सफेद कुम्हड़ा (कद्दू) चढ़ाना शुभ माना जाता है।
6. आरती और जाप – घी का दीपक जलाकर मां की आरती करें और उनके मंत्रों का जाप करें।
7. पठन और क्षमा – अंत में दुर्गा चालीसा या दुर्गा सप्तशती का पाठ करें और मां से अपनी किसी भी त्रुटि के लिए क्षमा मांगें।

मां कूष्मांडा की कृपा से जीवन में प्रकाश

मां कूष्मांडा की आराधना न केवल सांसारिक सुख और समृद्धि देती है, बल्कि आध्यात्मिक उन्नति का मार्ग भी प्रशस्त करती है। उनकी उपासना से भक्तों के जीवन से नकारात्मकता और अंधकार का नाश होता है और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।

इस नवरात्रि, मां कूष्मांडा की पूजा कर आप अपने जीवन में सुख-समृद्धि, आरोग्य और शांति का आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं।

Disclaimer: यहां दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं और परंपराओं पर आधारित है। इसका उद्देश्य केवल जानकारी देना है। किसी भी प्रकार की पूजा-पद्धति अपनाने से पहले अपने गुरु या विशेषज्ञ की सलाह अवश्य लें।

Share This Article