मुजफ्फरपुर: मुजफ्फरपुर के बेला में महिला कंप्यूटर ऑपरेटर संस्कृति वर्मा पर फायरिंग को 21 दिन हो गए हैं, लेकिन अब तक पुलिस के हाथ खाली हैं। तीन गोली लगने से जख्मी हुई संस्कृति वर्मा की स्थिति अब ठीक है, वह अपनी सेहत रिकवर कर रहीं हैं लेकिन उनकी मानसिक पीड़ा को दूर करने के लिए पुलिस कुछ नहीं कर रही। दो दिन पहले सोमवार को वो एसएसपी से मिलीं लेकिन आज तक(बुधवार) पुलिस ने ऐसा कोई कदम नहीं उठाया जिससे उन्हें राहत मिलने की उम्मीद बनती नजर आये।
वैसे अभी बिहार की विधि-व्यवस्था गिरावट के दौर से गुजर रही है। अपराधियों के बढ़े हौसले के सामने पुलिस बौनी बन चुकी है। एक पूर्व मंत्री मुकेश सहनी के पिता की हत्या से सरकार की किरकिरी कम होने का न नाम ले रही है न इसपर हो रही राजनीति में कोई कमी आ रही है। सूबे की पुलिस भारी दबाव में है। मुजफ्फरपुर पुलिस भी अपवाद नहीं है। गिरती विधि-व्यवस्था ने सरकार के इकबाल पर ही सवाल खड़ा कर दिया है, वैसे में अगर संस्कृति वर्मा की प्राथमिकी पर पुलिस एक्शन में आती है तो सरकार की फजीहत हो सकती है क्योंकि संस्कृति वर्मा ने जिस रुपा शर्मा को नामजद अभियुक्त बनाया है वह पूर्व मंत्री सुरेश शर्मा की बहू हैं। सुरेश शर्मा भाजपा नेता हैं, 2020 का विधान सभा चुनाव हार जाने के पहले वह नितीश सरकार में शहरी विकास मंत्री रह चुके हैं।
लेकिन संस्कृति वर्मा का परिवार दहशत में है। रुपा शर्मा की गाड़ी के जिस शो रूम में उनके पति काम करते थे, वह नौकरी उन्होंने छोड़ दी है। संस्कृति भी जॉब करती हैं लेकिन अभी तो अस्पताल से रिलीज़ हुई हैं। लेकिन खौफ की वजह बनी रुपा शर्मा संस्कृति के लिए तनाव का कारण बनी हुई हैं। रुपा उनका परिवार ख़त्म करने पर तुली हुई हैं। रुपा शर्मा की राजनीतिक और आर्थिक मजबूती की वजह से यदि पुलिस संस्कृति वर्मा की प्राथमिकी पर सुस्त पड़ी रहती है तो यह कोल्ड ब्लडेड एप्रोच ही कहा जायेगा जिससे पीड़िता न्याय के बारे में सोचे ही नहीं।
संस्कृति पहली बार मीडिया के सामने आई और कहा कि पूर्व मंत्री सुरेश शर्मा की बहू रुपा शर्मा ने मुझ पर गोली चलवाई है। वो मेरे पति को कहती थी कि पत्नी और बच्चे को छोड़कर मेरे ऑफिस में काम करो।
संस्कृति वर्मा ने बताया कि मैंने रुपा शर्मा के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करवाई है। मैंने अपना बयान नहीं बदला है। रुपा शर्मा का शहर में गाड़ी का शोरूम है। मेरे पति इसी शोरूम में काम करते थे। बता दें कि 25 जून को अपराधियों ने संस्कृति को 3 गोली मारी थी। फायरिंग तब हुई थी, जब वो अपने ऑफिस के लिए निकली थी।
संस्कृति वर्मा ने बताया कि मेरे पति ने रुपा शर्मा के यहां 7 साल जॉब किया। मैंने उन्हें जॉब छोड़ने के लिए कहा। क्योंकि, रुपा पति मेरे को टॉर्चर करती थी। वो कहती थी- अपनी फैमिली और बच्चे को छोड़ दो, मेरे ऑफिस में काम करो। जैसा मैं बोलूं, उस हिसाब से काम करो।
संस्कृति ने बताया कि जब पति ने मुझे रुपा की इन बातों को बताया तो मैंने कहा- अब वहां जॉब करने की कोई जरूरत नहीं। इसके बाद 25 अप्रैल को भी मुझ पर कुछ लोगों ने ठीक वहीं पर हमला किया, जहां 25 जून को मुझे गोली मारी थी। उस दौरान उन्होंने मुझे कहा था कि रुपा शर्मा से भिड़ रही हो, अच्छा नहीं होगा।
संस्कृति के अनुसार, मेरे मोहल्ले में एक आरती सिन्हा हैं, जो रुपा शर्मा के संपर्क में थी। वो आरती सिन्हा से फोन पर मेरे परिवार की हर एक्टिविटी की सूचना लेती थी। जॉब छोड़ने के बाद मेरे पति को अननोन नंबर से कॉल करती थी। इसके साथ ही वो हमारे हर एक्टिविटी की जानकारी रखती थी।
मेरे पति को फोन पर कहती थी- तुमने जॉब क्यों छोड़ दी। वापस आ जाओ। उन्होंने मेरे पति पर हर तरह से दबाव बनाया कि वो मुझे और बच्चों को छोड़ दें। लेकिन, जब वो कामयाब नहीं हुईं तो मुझ पर हमला शुरू करवा दिया।
पीड़िता संस्कृति वर्मा ने एसएसपी राकेश कुमार से मिलकर जल्द से जल्द न्याय दिलाने की गुहार लगाई है। पूरा परिवार घटना के बाद से दहशत में है। एसएसपी राकेश कुमार ने घटना के संबंध में निष्पक्ष कार्रवाई का आश्वासन दिया। लेकिन पुलिस का रवैया यह बताता है कि मसला राजनीतिक रूप से संवेदनशील हो सकता है इसलिए वह कोई भी कदम उठाने के बजे मामले को टाल रही है