Bihar Politics में इन दिनों जिस मंत्री का नाम सबसे अधिक चर्चा में है, वह हैं जमुई से दूसरी बार विधायक बनीं और पहली बार नीतीश कैबिनेट में शामिल हुईं श्रेयसी सिंह। नई बिहार सरकार के गठन के बाद जब 26 मंत्रियों ने शपथ ली, उनमें सबसे युवा और चर्चित चेहरे के रूप में श्रेयसी सिंह ने तुरंत सुर्खियाँ बटोर लीं। अब उन्होंने आधिकारिक तौर पर सूचना प्रावैधिकी और खेल मंत्रालय का पदभार संभाल लिया है—एक ऐसा विभाग जिसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का पसंदीदा माना जाता है।
- श्रेयसी सिंह ने संभाला पदभार, बोलीं—“चुनौतियों से डरती नहीं, डटकर सामना करती हूँ”
- खेल मंत्रालय मिलने पर बोलीं—“मैं खिलाड़ियों की समस्याओं को अच्छी तरह जानती हूँ”
- श्रेयसी सिंह का सफर: खेल से राजनीति तक की प्रेरक कहानी
- खेल उपलब्धियाँ: कम उम्र में भारत का नाम रोशन किया
- राजनीति में एंट्री और चुनावी उपलब्धियाँ
- • जमुई विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा• RJD के विजय प्रकाश को 41,000+ वोटों से हराया
- • RJD के मोहम्मद शमशाद आलम को• 54,498 वोटों के रिकॉर्ड अंतर से हराया
- नया मंत्रालय, नई जिम्मेदारी—और नई उम्मीदें
- श्रेयसी सिंह—बिहार की राजनीति की नई उभरती शक्ति
श्रेयसी सिंह ने अपनी जिम्मेदारी संभालते ही कहा कि उन्हें विश्वास दिया गया है, और वे निष्ठा व योजनाबद्ध तरीके से काम करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। उनकी स्पष्टता, आत्मविश्वास और खेल से जुड़े अनुभव को देखते हुए उनसे बड़ी उम्मीदें लगाई जा रही हैं।
श्रेयसी सिंह ने संभाला पदभार, बोलीं—“चुनौतियों से डरती नहीं, डटकर सामना करती हूँ”

पदभार संभालते ही श्रेयसी सिंह ने जो पहला बयान दिया, उसने पूरे विभाग के लिए एक स्पष्ट विजन सेट कर दिया।
उन्होंने कहा:
“एक तरफ खुशी है कि भाजपा और एनडीए के शीर्ष नेतृत्व ने मुझ पर भरोसा जताया है, और दूसरी ओर यह एहसास भी है कि यह विभाग बहुत महत्वपूर्ण है। हम निष्ठा के साथ काम करेंगे, और चुनौतियों से डटकर निपटेंगे।”
उनका यह वक्तव्य बताता है कि वे जिम्मेदारी की गंभीरता को समझती हैं और किसी भी दबाव या चुनौती से पीछे हटने वाली नहीं हैं।
खेल मंत्रालय मिलने पर बोलीं—“मैं खिलाड़ियों की समस्याओं को अच्छी तरह जानती हूँ”
श्रेयसी सिंह की पृष्ठभूमि खेल जगत की है। इसलिए जब उन्हें खेल और सूचना प्रावैधिकी मंत्रालय दिया गया, तो इसे एक सटीक और रणनीतिक नियुक्ति माना गया।
उन्होंने स्पष्ट कहा:
“मैं खेल से जुड़ी रही हूँ, इसलिए खिलाड़ियों की परेशानियों, सुविधाओं और चुनौतियों को बहुत अच्छी तरह समझती हूँ। हम जल्द ही ब्लू प्रिंट बनाकर उसी के आधार पर काम करेंगे।”
उनका यह कहना साफ है कि आने वाले समय में बिहार के खिलाड़ियों के लिए बेहतर प्रशिक्षण, संसाधन और अवसर की संभावनाएँ बढ़ सकती हैं।
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श्रेयसी सिंह का सफर: खेल से राजनीति तक की प्रेरक कहानी
श्रेयसी सिंह का व्यक्तित्व सिर्फ राजनीति तक सीमित नहीं है—
उनका पूरा जीवन एक प्रेरणादायक यात्रा है।
राजनीतिक और खेल विरासत
वे जमुई के गिद्धौर की मूल निवासी हैं और राजनीतिक व खेल दोनों क्षेत्रों में गहरे संबंध रखने वाले परिवार से आती हैं।
• पिता दिग्विजय सिंह—पूर्व केंद्रीय मंत्री
• मां पुतुल कुमारी—पूर्व सांसद
• दादा कुमार सुरेंद्र सिंह—नेशनल राइफल एसोसिएशन ऑफ इंडिया के पूर्व अध्यक्ष
इस पारिवारिक पृष्ठभूमि ने उन्हें प्रशासनिक समझ, नेतृत्व और अनुशासन तीनों दिया।
खेल उपलब्धियाँ: कम उम्र में भारत का नाम रोशन किया
शूटिंग में श्रेयसी सिंह का करियर बेहद चमकदार रहा है—
• 2014 ग्लासगो कॉमनवेल्थ गेम्स—सिल्वर मेडल
• 2018 गोल्ड कोस्ट कॉमनवेल्थ गेम्स—गोल्ड मेडल
• 2014 एशियन गेम्स—टीम ब्रॉन्ज
इन उपलब्धियों के लिए उन्हें अर्जुन अवॉर्ड से सम्मानित किया गया।
2024 पेरिस ओलंपिक में वे बिहार की पहली शूटर के रूप में शामिल हुईं, जो अपने आप में रिकॉर्ड है।
राजनीति में एंट्री और चुनावी उपलब्धियाँ
उनका राजनीतिक सफर 2020 में तब शुरू हुआ जब उन्होंने BJP जॉइन की।
पहली जीत (2020)
• जमुई विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा
• RJD के विजय प्रकाश को 41,000+ वोटों से हराया
दूसरी बड़ी जीत (2025)
• RJD के मोहम्मद शमशाद आलम को
• 54,498 वोटों के रिकॉर्ड अंतर से हराया
यह जीत उनके मजबूत जनाधार और नेतृत्व क्षमता को प्रमाणित करती है।
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नया मंत्रालय, नई जिम्मेदारी—और नई उम्मीदें
सूचना प्रावैधिकी और खेल मंत्रालय दोनों ही तेजी से बदलते विभाग हैं, जहां योजनाओं और क्रियान्वयन का महत्वपूर्ण रोल है।
श्रेसी सिंह की ऊर्जा, युवा सोच और प्रशासनिक समझ से उम्मीद है कि ये मंत्रालय आने वाले समय में बिहार की बड़ी मजबूती बनेंगे।
श्रेयसी सिंह—बिहार की राजनीति की नई उभरती शक्ति
श्रेयसी सिंह सिर्फ एक युवा मंत्री नहीं—
वे बिहार की नई बदलती राजनीति की प्रतीक हैं।
खेल से लेकर चुनाव जीतने तक और अब मंत्री बनने तक उनका सफर इस बात का प्रमाण है कि प्रतिबद्धता, मेहनत और दृष्टि के साथ कोई भी नई ऊर्जा राजनीति की दिशा बदल सकती है।
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