पी वी नरसिंह राव भारत के नौवें प्रधानमंत्री के रूप में जाने जाते हैं। उनका पूरा नाम पामुलापार्थी वेंकट नरसिम्हा राव था लेकिन कभी भी उन्हें उनके पूरे नाम से नहीं जाना गया। पीवी नरसिंह राव भारतीय राजनीति में एक प्रभावशाली व्यक्ति थे, जिन्होंने 1991 से 1996 तक भारत के 9वें प्रधानमंत्री के रूप में कार्य किया।
विलक्षण प्रतिभा के धनी थे नरसिंह राव
पी. वी. नरसिम्हा राव का जन्म 28 जून 1921 को आंध्र प्रदेश के वांगरा ग्राम के करीम नगर में हुआ था। प्रधानमंत्री के रूप में उनका कार्यकाल महत्वपूर्ण आर्थिक सुधारों और सामाजिक चुनौतियों से भरा रहा। वे गैर-हिंदी भाषी दक्षिण भारत के पहले प्रधानमंत्री थे, जो अपनी विद्वत्तापूर्ण खोजों और भाषाई क्षमताओं के लिए जाने जाते थे। 18 भाषाओं के जानकार पीवी नरसिंह राव ने उस्मानिया विश्वविद्यालय नागपुर और मुंबई विश्वविद्यालय में शिक्षा प्राप्त की थी। राव के प्रशासन ने 1991 के आर्थिक सुधारों, बाबरी मस्जिद विध्वंस और 1993 के लातूर भूकंप सहित ऐतिहासिक घटनाओं के समय सूझबूझ के साथ देस की सेवा की।
देश की राजनीति पर थी मजबूत पकड़
पीवी नरसिंह राव नेहरू-गांधी परिवार से बाहर के पहले प्रधानमंत्री थे जिन्होंने अपना पांच साल का कार्यकाल पूरा किया। उनकी राजनीतिक यात्रा आंध्र प्रदेश से शुरू हुई, जहां उन्होंने कई महत्वपूर्ण मंत्री पद संभाले और अपनी बहुमुखी प्रतिभा और नेतृत्व कौशल का परिचय दिया। आंध्र प्रदेश की राजनीति में उन्होंने अपनी खास जगह बनाई थी। उन्होंने 1971 से 1973 तक आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री के तौर पर जमीनों की चकबंदी और शिक्षा में महत्वपूर्ण सुधार लागू किए। केंद्र सरकार में उन्होंने विदेश मामलों, रक्षा और गृह मामलों के मंत्री पद संभाले। राव ने अपनी सरकार के वित्त मंत्री डॉ. मनमोहन सिंह के साथ अर्थव्यवस्था में फिर से जान फूंकने के लिए व्यापक उदारीकरण उपायों को लागू किया।
देश के आर्थिक सुधार की मजबूत नींव रखी
प्रधानमंत्री के रूप में नरसिम्हा राव का कार्यकाल महत्वपूर्ण परिवर्तन का काल था, उनकी नीतियों ने भारत के आर्थिक विकास और वैश्विक अर्थव्यवस्था में एकीकरण की नींव रखी । उन्हें भारतीय आर्थिक सुधारों का जनक कहा जाता है। उनका सबसे महत्वपूर्ण योगदान 1991 के आर्थिक सुधार थे, जिन्होंने भारत के लाइसेंस राज को खत्म कर दिया और देश को बाजार-उन्मुख अर्थव्यवस्था में परिवर्तित कर दिया।वित्त मंत्री मनमोहन सिंह के साथ मिलकर राव की नीतियों ने भारत को आर्थिक पतन से बचाया और भारतीय अर्थव्यवस्था को विदेशी निवेश के लिए खोल दिया। उनकी साहसिक नीतियों ने भारत की आर्थिक वृद्धि की नींव रखी, जिसका देश के विकास पर स्थायी प्रभाव पड़ा।
बाबरी मस्जिद विध्वंस का दाग भी लगा
देश के आर्थिक विकास की नींव रखने वाले पीवी नरसिंह राव अपनी उपलब्धियों के बावजूद, चुनौतियों और विवादों से घिरे रहे। बाबरी मस्जिद विध्वंस और उसके बाद हुए हिंदू-मुस्लिम दंगे उनके प्रशासन पर महत्वपूर्ण दाग थे। इसके अलावा उनकी सरकार के दौरान भ्रष्टाचार के कई मामले सामने आए। कई ऐसे घोटाले हुए जिनके कारण उनकी सरकार की आलोचना हुई। खास तौर पर वोट के बदले नोट घोटाला और शेयर बाजार घोटाले की चर्चा जरूर होती है जब पीवी नरसिंह राव की प्रतिष्ठा धूमिल हुई।
विदेश नीति और राष्ट्रीय सुरक्षा नीति की भी हुई तारीफ
पीवी नरसिंह राव की सरकार ने विदेश नीति के क्षेत्र में आमूल-चूल परिवर्तन किया। उन्होंने लुक ईस्ट नीति की शुरुआत की तथा यूरोप, चीन और अमेरिका के साथ भारत के राजनयिक संबंधों को पुनर्जीवित किया। पीवी नरसिंह राव ने पश्चिमी यूरोप, संयुक्त राज्य अमेरिका और चीन की ओर भी कूटनीतिक प्रयास किए। उन्होंने 1992 में इजरायल के साथ भारत के संबंधों को सार्वजनिक करने का फैसला किया, जिसे उनके विदेश मंत्री के कार्यकाल के दौरान कुछ वर्षों तक गुप्त रूप से सक्रिय रखा गया था, और उन्होंने इजरायल को नई दिल्ली में दूतावास खोलने की अनुमति दी। राष्ट्रीय सुरक्षा के मोर्चे पर पीवी नरसिंह राव की सरकार ने भारत का पहला आतंकवाद-रोधी कानून पेश किया तथा पंजाब और जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा स्थिति को सफलतापूर्वक प्रबंधित किया।
एक विद्वान राजनेता की छवि
देश के प्रधानमंत्री के तौर पर उनके किए गए कामों की चर्चा तो होती है। वे भारत के राजनेताओं में बहुमुखी प्रतिभा के धनी राजनेता के तौर भी जाना जाता है। अपनी विद्वत्तापूर्ण खोजों और भाषाई क्षमताओं के लिए भी वे जाने जाते थे। उन्हें तेलुगु, हिंदी, अंग्रेजी और द्रविड़ एवं इंडो-यूरोपीय भाषाओं सहित करीब 18 भाषाओं की जानकार थी। राव साहब एक विपुल लेखक और अनुवादक थे। उनकी बौद्धिक गहराई और समझ ने उन्हें विद्वान प्रधानमंत्री की प्रतिष्ठा दिलाई।
मोदी सरकार ने दिया देश का सर्वोच्च सम्मान
पीवी नरसिंह राव को उनके जीवन काल में भी और जीवन के बाद भी उनकी पार्टी कांग्रेस ने कभी प्रतिष्ठा नहीं दी। उनके देहावसान के बाद उनके पार्थिव शरीर को कांग्रेस दफ्तर तक नहीं जाने दिया गया। पीवी नरसिंह राव के कामों को उचित सम्मान दिया भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने। 9 फरवरी, 2024 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पीवी नरसिंह राव को देश के सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न से सम्मानित करने की घोषणा की।