पटना डेस्कः बिहार सरकार के पूर्व मंत्री बृज बिहारी प्रसाद की हत्या के आरोप में विजय कुमार शुक्ला उर्फ मुन्ना शुक्ला को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है। सर्वोच्च न्यायालय ने फैसला सुनाया है। हालांकि पूर्व सांसद सूरजभान सिंह की रिहाई बरकरार रहेगी। 2014 में पटना हाईकोर्ट ने इस मामले में 8 आरोपियों को बरी कर दिया था, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने मुन्ना शुक्ला समेत दो लोगों को दोषी मानते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई है।
बता दें कि बृज बिहारी प्रसाद हत्याकांड में सुप्रीम कोर्ट से सजा पाने वाले 55 वर्षीय मुन्ना शुक्ला का आपराधिक इतिहास रहा है। उनके भाई छोटन शुक्ला और भुटकुन शुक्ला की अपराध की दुनिया में कभी तूती बोलती थी। गैंगवार में छोटन की हत्या कर दी गई थी, जबकि भुटकुन पर गोपालगंज डीएम जी. कृष्णैया की हत्या का आरोप लगा था। मुन्ना शुक्ला वैशाली जिले के लालगंज विधानसभा से विधायक रहे हैं। हालिया लोकसभा चुनाव में उन्होंने आरजेडी के टिकट पर वैशाली से इलेक्शन लड़ा था, लेकिन सफलता नहीं मिली।
13 जून 1998 को राबड़ी देवी की सरकार में मंत्री बृज बिहारी प्रसाद की उस वक्त हत्या कर दी गई थी, जब वह आईजीआईएमएस परिसर में टहल रहे थे। घटना के वक्त उनके अंगरक्षक भी वहां मौजूद थे, इसके बावजूद उनको गोलियों से छलनी कर दिया गया। मृतक बृज बिहारी प्रसाद पर देवेंद्र दुबे की हत्या का आरोप था। एडमिशन घोटाले में गिरफ्तारी के बाद बृजबिहारी को सीने में दर्द की शिकायत पर आईजीआईएमएस में भर्ती कराया था।
पटना के गर्दनीबाग (अब शास्त्रीनगर) थाना में दर्ज एफआईआर (336/98) के मुताबिक मंटू तिवारी, भूपेंद्रनाथ दुबे और श्रीप्रकाश शुक्ला समेत कई लोग एंबेसडर और सूमो गाड़ी से उतरकर बृजबिहारी प्रसाद के पास आए और अंधाधुंध गोली चलाना शुरू कर दिया। गोली लगने से बृजबिहारी और उनके बॉडीगार्ड वहीं पर गिर पड़े. इस मामले में मुन्ना शुक्ला और सूरजभान सिंह को भी आरोपी बनाया गया था।
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