पटना: जदयू के मुख्य प्रवक्ता नीरज कुमार, प्रदेश प्रवक्ता डाॅ. निहोरा प्रसाद यादव एवं अरविन्द निषाद ने नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव पर इन्कम घोटाला’ करने का आरोप लगाया है। यह घोटाला उनके वेतन से संबंधित है। नेताओं ने कहा कि जब तेेजस्वी यादव दो पूर्व मुख्यमंत्रियों के पुत्र थे तब उनकी आय अधिक थी लेकिन जब वे उप-मुख्यमंत्री एवं नेता प्रतिपक्ष बने तो इनकी आय घट गई। सबसे रोचक बात तो यह है कि ये अपनी सालाना आमदनी से ज्यादा लोगों को ऋण दे देते हैं। जदयू ने तेजस्वी से ‘आमदनी अठ्ठनी और खर्चा रूपईया’ के फाॅर्मूला का जवाब मांगा है। नेता प्रतिपक्ष द्वारा दिए गए चुनावी हलफनामे में आज जानकारी अंकित है। जदयू नेताओं ने कहा कि अपने पहले विधानसभा चुनाव-2015 के शपथ-पत्र में तेजस्वी ने बताया कि उनकी वार्षिक 5 लाख 8 हजार 19 रूपया है, जबकि साल-2015 में ही उन्होंने अलग-अलग लोगों को 1 करोड़ 13 लाख रूपये का ऋण दिया।
वहीं 2020 के विधानसभा चुनाव- में उनकी वार्षिक आय (2018-19) घटकर 1 लाख 41 हजार 750 रूपया हो गई। यानि 11 हजार 812 रूपया 50 पैसा मासिक। जबकि एक विधायक का हर माह बेसिक वेतन 40 हजार रूपये था। जो सालाना 4 लाख 80 हजार रूपये होता है। अब सवाल यह है कि 11 हजार 812 रूपया 50 पैसा मासिक कमाने वाला कोई व्यक्ति चार्टर प्लेन में अपने जन्मदिन की पार्टी कैसे कर लेता है ? विदेश कैसे घूम लेता है और हेलीकाॅप्टर को ट्रैक्टर कैसा बना देता है? नेता प्रतिपक्ष द्वारा इतने कम पैसों में प्लेन में पार्टी मनाने एवं विदेश घूमने की विधि बिहार के युवाओं को और हेलीकाॅप्टर को ट्रैक्टर बनाने का फाॅर्मूला बिहार के किसानों को भी बताना चाहिए।
उन्होंने कहा कि तेजस्वी के पांच वर्ष की घोषित आय 89 लाख 75 हजार 360 रूपये ही है तो फिर उन्होंने 4 करोड़ 10 लाख रूपये का ऋण लोगों को कहाॅं दे दिया ? आय से अधिक 3 करोड़ 20 लाख 24 हजार 640 रूपये लोगों को ऋण देने के लिए कहाॅं से आया? हो सकता है कि नेता प्रतिपक्ष को उनके पिता की तरह ही वेतन के अलावे भैंस के खटाल से या पटना वाली 43 बिगहा 12 कठ्ठा 14 धूर 16 धुरकी जमीन सहित बिहार के अन्य राज्यों में जमीनें है वहाॅं से किराया आता होगा। लेकिन नेता प्रतिपक्ष ने अपने चुनावी घोषणा-पत्र में अपने आय का स्त्रोत सिर्फ अपना वेतन को ही दर्शाया है। इस तरह का गणित तो कोई 9वीं पास किया हुआ व्यक्ति/छात्र ही बता सकता है। कोई नामी-गिरामी गणितज्ञ भी इसे ना ही समझ पायेंगे और ना ही किसी को समझा पायेंगे।