कृषि बिल के विरोध में आज तेजस्वी यादव पटना के गांधी मैदान में धरना देंगे. यह धरना 10 बजे सुबह से होगा. इस धरना में महागठबंधन के नेता भी शामिल होंगे. तेजस्वी यादव के नेतृत्व में राजद, कांग्रेस और वामदलों के नेता गांधी मैदान स्थित गांधी मूर्ति के सामने दो घंटे के लिए धरना पर बैठेंगे और कृषि बिल का विरोध करेंगे.
इसको लेकर तेजस्वी यादव ने कल कहा कि अगर नए कृषि विधेयक किसानों के पक्ष में है तो सरकार MSP को अनिवार्य रूप से लागू क्यों नहीं करती ? हम पूर्णत: किसानों के साथ खड़े है, आगे भी रहेंगे. किसानों को फसल का उचित दाम और न्याय दिलाने के लिए कल सुबह 10 बजे से गांधी मैदान पटना में गांधी मूर्ति के सामने संकल्प लेंगे. तेजस्वी ने कहा कि तेल, रेल, हवाई जहाज, हवाई अड्डे, बंदरगाह, बीएसएनएल, एलआईसी बेचने के बाद भाजपा सरकार अब किसानों की ज़मीन भी पूंजीपतियों के हाथों बेचने पर तुली है. मोदी सरकार कृषि क्षेत्र का भी निजीकरण करने को आतुर है.
तेजस्वी ने कहा कि मैं बिहार के किसान और संगठनों से अपील करता हूं कि इस काले कानून के खिलाफ आपलोग सड़कों पर आए और इस आंदोलन को मजबूत करें. पंजाब और हरियाणा समेत कई राज्यों के किसानों में आक्रोश हैं. यह वही सरकार हैं तो किसानों की आय 2022 तक दोगुनी करनी की बात करती है, लेकिन एमएसपी को खत्म कर दिया है. कृषि को भी प्राइवेट हाथ को सौंप रही है. जिससे प्राइवेट कंपनियों से किसान खरीद बिक्री करेंगे. लेकिन सरकार के सारे फैसले को हमलोगों ने देखा चाहे नोटबंदी हो गया कुछ हो. देश भर में मौजदा सरकार से किसान नाराज हैं. यह किसान विरोधी कानून है. किसानों को मिलना सही मूल्य मिलना चाहिए. कई जगहों पर कर्ज में डूबने से किसान आत्महत्या कर रहे है. जो अन्यदाता है उनके के लिए इस तरह का कानून बनाने देश के खिलाफ है.
तेजस्वी यादव ने कहा कि किसान शांतिपूर्व आंदोलन कर रहे हैं, इसके बाद भी उनके उपर लाठीचार्ज किया जा रहा है. वॉटर कैनन का इस्तेमाल किया जा रहा है. बिहार में जहां मंडियों का सवाल है वह 2006 में ही बंद कर दिया गया. स्थिति यह हो गई है कि बिहार के किसान किसानी छोड़ के मजदूरी करने लगे हैं. जब मंडी खत्म हो गया तो किसान कमजोर होते गए. बिहार में बस 2 फसलों पर एसएसपी है. धान का एमएसपी मात्र 1800 है, कही भी धान की खरीद नहीं हो रही है. लेकिन सीएम झूठ बोलते हैं कि खरीद हो रही है. कितने मूल्य पर किसान से फसल खरीदी जा रही है उसे सार्वजानिक करें. अब तो बीजेपी के लंबे समय से सहयोगी रहे लोग भी साथ छोड़ दिये लोग अपना पुरस्कार लौटा रहे हैं.