पटना में हुई संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस, अशोक गहलोत ने किया बड़ा ऐलान
बिहार की राजनीति में कई दिनों से चला आ रहा असमंजस आखिरकार खत्म हो गया। कांग्रेस पार्टी ने औपचारिक रूप से तेजस्वी यादव मुख्यमंत्री उम्मीदवार घोषित कर दिया है। हालांकि यह हैरान करने वाली बात रही कि इस ऐलान के लिए कांग्रेस हाईकमान — न तो मल्लिकार्जुन खड़गे आए, न राहुल गांधी और न ही बिहार कांग्रेस प्रभारी कृष्णा अल्लावरु को मंच दिया गया।
बल्कि कांग्रेस ने यह जिम्मेदारी पुराने और अनुभवी नेता अशोक गहलोत को सौंपी। पटना में INDIA गठबंधन की संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस में गहलोत ने खुली घोषणा कर दी कि 2025 बिहार विधानसभा चुनाव में तेजस्वी ही सीएम चेहरे होंगे।
इसके तुरंत बाद तेजस्वी और गहलोत ने बीजेपी को घेरते हुए यह सवाल उछाल दिया:
“अब NDA बताए — उनका मुख्यमंत्री उम्मीदवार कौन है?”
अल्लावरु की विदाई — नाराजगी या रणनीति?

प्रेस कॉन्फ्रेंस के कुछ ही घंटों बाद एक और बड़ा राजनीतिक उलटफेर हो गया। कांग्रेस ने एक आदेश जारी किया कि कृष्णा अल्लावरु को युवा कांग्रेस प्रभारी के पद से हटा दिया गया है, और उनकी जगह मनीष शर्मा को जिम्मेदारी दे दी गई।
कांग्रेस के इस फैसले ने सियासत में नए सवाल खड़े कर दिए —
क्या यह बदलाव लालू यादव और तेजस्वी की नाराजगी का नतीजा है?
बताया जाता है कि जब अशोक गहलोत राबड़ी आवास पहुंचे थे, तो लालू यादव ने अल्लावरु को कमरे में आने तक नहीं दिया।
बाहर आई तस्वीरों में भी सिर्फ अशोक गहलोत — लालू, राबड़ी और तेजस्वी से बातचीत करते दिखाई दिए।
संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस में भी तेजस्वी ने अंत में जाकर अल्लावरु का नाम लिया, जिससे साफ झलक गया कि मन में नाराज़गी गहरी थी।
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कांग्रेस में राहुल की टीम बनाम बुजुर्ग ब्रिगेड
कांग्रेस के इस फैसले के बाद फिर चर्चा तेज हो गई कि राहुल गांधी की युवा टीम अचानक क्यों फेल हो जाती है?
पिछले वर्षों में जब भी संकट आया—
कांग्रेस ने पुराने नेताओं पर ही भरोसा जताया, इस बार भी वैसा ही नज़ारा दिखा।
इस घटनाक्रम से यह भी साबित होता है कि:
राहुल गांधी अपनी टीम को अंत तक बचा नहीं पाते
UP-Bihar में कमजोर कांग्रेस को चाहिए था बड़ा दांव — तेजस्वी बने तुरुप का इक्का
कांग्रेस ने आज भी अपनी राष्ट्रीय पहचान तो बनाए रखी है, लेकिन:
• उत्तर प्रदेश और बिहार में पार्टी वर्षों से कमजोर
• 2014 के बाद लगातार हार
• 2024 चुनाव:
कांग्रेस को 99 सीटें मिलीं
लेकिन सरकार नहीं बना पाई
कांग्रेस समझती है कि NDA को रोकना है तो UP और Bihar में मज़बूती ज़रूरी है।
यही कारण है कि राहुल गांधी ने 2025 में बिहार को अपनी प्राथमिकता बनाया:
• प्रदेश प्रभारी बदले
• प्रदेश अध्यक्ष बदले
• संगठन मजबूत करने की कोशिश
कृष्णा अल्लावरु ने कांग्रेस को RJD की छाया से बाहर निकालने का प्रयास भी किया, लेकिन यही चीज़ शायद RJD को रास नहीं आई।
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क्या कांग्रेस ने फिर दोहरा दी पुरानी गलती?
तेजस्वी यादव मुख्यमंत्री उम्मीदवार बनाए जाने से INDIA गठबंधन मजबूती का दावा कर रहा है।
लेकिन कांग्रेस ने अपनी ही अंदरूनी ताकत कमजोर कर दी — यह सवाल उठ रहा है।
एक बार फिर यह मैसेज बाहर गया:
“बिहार में कांग्रेस की ताकत नहीं—सिर्फ RJD के भरोसे है।”
साफ है —
मुकाबला अभी खत्म नहीं — असली राजनीति अब शुरू हुई है।
बिहार चुनाव में अब मुकाबला और रोमांचक
इस बड़े फैसले ने बिहार की सियासत में नया भूचाल ला दिया है।
अब सभी की निगाहें इस बात पर टिक गई हैं:
✅ NDA अपना मुख्यमंत्री उम्मीदवार कब घोषित करेगा?
✅ अल्लावरु के हटते ही कांग्रेस का मनोबल कितना बचेगा?
✅ क्या यह गठबंधन की एकता को मजबूत करेगा या और फूट डालेगा?
फिलहाल इतना तय है—
तेजस्वी यादव मुख्यमंत्री उम्मीदवार बनने के बाद
बिहार में चुनावी बयार और तेज बहने वाली है।
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