राजगीर में पक्षीशाला बनकर तैयार, उद्घाटन अगले माह सौ से अधिक प्रजातियों को रखने की है व्यवस्था, लगाये गए दो सौ से अधिक पौधे
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नालंदा: राजगीर की जू-सफारी में सूबे की सबसे ऊंची पक्षीशाला(बर्ड एवियरी)बनकर तैयार है। सितंबर महीने में इसका उद्घाटन किया जाएगा। इस पक्षीशाला में देसी-विदेशी पक्षियों की 100 से अधिक प्रजातियों को रखने की व्यवस्था की गई है। आधा हेक्टेयर में फैली इस एवियरी की ऊंचाई 50 फीट है। पक्षियों के आवास के समीप वैज्ञानिक नाम के साथ, उनकी जीवन-प्रणाली से संबंधित होर्डिंग लगी होगी। इससे छात्र और पक्षी विज्ञान के शोधार्थी जानकारियां ले सकेंगे।

एवियरी के इंचार्ज अरविंद कुमार ने बताया कि यह पक्षियों के रखरखाव की घेरानुमा बड़ी संरचना है। पक्षी यहां आकाश में उड़ने का बखूबी लुत्फ उठा सकेंगे। छोटे पंछी इसमें से बाहर जाकर उन्मुक्त गगन में भी विचरण कर सकेंगे।

एवियरी में कई झाड़ियों के अलावा बांस, फलदार व फूलदार 200 से अधिक पौधे लगाए गए हैं। इनमें शहतूत, लक्ष्मण फल, रामफल, सीताफल, अमरूद, सेमल, सलैया शामिल हैं। ऐसे में एवियरी के अंदर प्राकृतिक वातावरण का पक्षी अनुकरण करते हैं। एवियरी के चारों ओर 6 फीट गोलाई में बटर फ्लाई पार्क बनाया गया है। जलीय पक्षियों की सुविधा के लिए तालाब भी बनाए गए हैं।

राजगीर बर्ड एवियरी प्रदूषण से बचाव और बेहतर जल प्रबंधन के कारण देश की अन्य पक्षीशालाओं से अलग है। यहां वेबनेट यानि जाली स्टील की बनी है, लेकिन इसकी डिजाइन ऐसी है कि पक्षियों को टकराने के बाद भी चोट महसूस नहीं होगी।

उप निदेशक राकेश कुमार ने बताया कि एवियरी का प्राचीन उपयोग 1500 से भी पहले का है। लेकिन, आधुनिक तरीके से पहली बड़ी एवियरी वर्ष 1880 में रॉटरडैम चिड़ियाघर में स्थापित की गई थी। दुनिया की सबसे बड़ी एवियरी दक्षिण अफ्रीका में है।

राजगीर जू-सफारी के निदेशक हेमंत पाटिल ने बताया कि राजगीर पक्षीशाला बनकर तैयार है। पक्षी लाने के लिए आवेदन किया जा चुका है। पक्षियों के आते ही इसे सैलानियों के लिए खोल दिया जाएगा। यह कई मायने में देश की अन्य एवियरी से अनोखी है।

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