नालंदा के जलाशयों में प्रवासी पक्षियों का घट रहा आवास

2 Min Read

नालंदा, संवाददाता
पक्षी हमारे पर्यावरण के स्वास्थ्य के सूचक होते हैं, और प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप में हमें लाभ ही पहुंचाते हैं। बिहार पर्यावरण संरक्षण अभियान टीम ने नालंदा जिले के बड़े जलाशय वाले क्षेत्र का परिभ्रमण किया ताकि प्रवासी पक्षियों की स्थिति का पता लगा सके।
सिलाव प्रखण्ड के बेगमपुर में गिद्धि जलाशय और पुष्पकर्णी जलाशय ज़िलें में प्रवासी पक्षियों के महत्वपूर्ण ठहराव स्थलों में से एक है। इस वर्ष भी सिर्फ गिद्धि जलाशय में प्रवासी पक्षियों का ठहराव हुआ, कारण है कि गिद्धि जलाशय में इस वर्ष जलस्तर ठीक-ठाक बना रहा और जलीय वनस्पतियों की भरमार जो इन्हें भोजन मुहैया कराता है। वहीं कुछ वर्षों से पुष्पकर्णी जलाशय में जलीय पौधों का लगातार सफाया कर दिया जाता है। जिस वजह से सिर्फ बगुले और पनकौवा दिखते हैं। एक समय में गिद्धि जलाशय से अधिक पक्षी पुष्पकर्णी जलाशय में दिखते थे।
बिहार पर्यावरण सरंक्षण अभियान के सदस्य राहुल कुमार ने बताया कि इनके शिकार पर अंकुश लगाए जाने की सख्त जरूरत है, लोगो का कहना है कि सरकार मछली का पट्टा देना बंद करे तभी इन जलाशयों का भविष्य सुरक्षित हो सकता है। कुछ असामाजिक तत्व पक्षियों का शिकार भी करते हैं जो कि एक बड़ा खतरा है। इन आर्द्रभूमियों को मछली का पट्टा, आवास को नुकसान और पक्षियों का शिकार से ख़तरा है जो इन्हें पक्षी विहीन बनाता जा रहा है।
गडवाल (मैल), नॉर्दन शोवलर (खंतीया बत्तख), कॉमन कूट (सरार), एक रेड क्रेस्टेड पोचार्ड (लालसर), यूरेशियन विजन (अरुण), कॉटन टील (गिर्री), खंजन, पनलौवा, चौवाहा, जलरंक, ग्रीनिश वार्बलर, टैगा फ्लाईकैचर। जामुनी जलमुर्गी, लाल खंजन, खैरा बगुला, जून बगुला, बगुला, अंधा बगुला, रात बगुला, घोंघिल, जल पीपी, जलमोर, सामान्य जलमुर्गी, सफ़ेद भौं खंजन आदि।

Share This Article