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बिहार में एक ओर विपक्षी दल विधानसभा चुनाव 2020 में इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन और मतगणना की प्रक्रिया पर संदेह जता रहें हो वहीं दूसरी ओर प्रदेश सरकार बिहार में ईवीएम के जरिये पंचायत चुनाव 2021 कराने पर विचार कर रही है। बिहार में अगले साल मार्च के बाद पंचायत चुनाव होने हैं। हाल ही में एसईसी ने भी पंचायती राज विभाग को ईवीएम के माध्यम से चुनाव कराने का प्रस्ताव भेजा है। प्रस्ताव में तर्क दिया गया कि ईवीएम से चुनाव में अधिक पारदर्शिता लाने में मदद मिलेगी। इसके अलावा इसमें धांधली की भी जांच हो सकेगी।

ईवीएम के माध्यम से पंचायत चुनाव आयोजित होता है तो त्रिस्तरीय ग्रामीण स्थानीय निकायों में 2.58 लाख पदों को भरने के लिए यही पहला इलेक्ट्रॉनिक मतदान प्रयोग होगा। प्रदेश में ईवीएम के माध्यम से चुनाव कराने की अनुमानित लागत 392 करोड़ रुपये होगी, जो 2016 के पंचायत चुनावों में किए गए खर्च की तुलना में 142 करोड़ रुपये अधिक होगी।

सूबे में अब तक पंचायत चुनाव बैलट पेपर के माध्यम से ही आयोजित किए गए हैं। राज्य में पंचायत चुनाव पार्टी लाइनों पर नहीं होते हैं, हालांकि मुखिया और जिला परिषद सदस्य जैसे पदों के लिए बड़ी संख्या में उम्मीदवारों को प्रमुख राजनीतिक दलों का समर्थन मिलता है।

एक अधिकारी ने बताया कि केरल, राजधान और मध्य प्रदेश जैसे कुछ राज्यों में EVM का इस्तेमाल पंचायत चुनाव कराने के लिए किया गया है। पंचायती राज विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव अमृत लाल मीणा ने पुष्टि करते हुए बताया कि- हमें एसईसी से प्रस्ताव मिला है और इस पर विचार किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि प्रस्ताव को मंजूरी के लिए कैबिनेट को भेजा जाएगा।
सूत्रों के मुताबिक पंचायती राज विभाग ने चुनाव के लिए विशेष प्रकार की मशीनों का निर्माण करने वाले इलेक्ट्रानिक्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड, बैंगलोर से ईवीएम की आवश्यकता के संबंध में तौर-तरीकों पर काम करना शुरू कर दिया है।

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