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पटनाः जातीय गणना की रिपोर्ट जारी होने के बाद बिहार विधानमंडल का शीतकालीन सत्र आगामी 6 नवंबर से शुरू होगा। जिसका समापन 10 नवंबर को होगा। हालाँकि पांच दिनों तक चलने वाले इस सत्र के काफी हंगामेदार होने की संभावना जताई जा रही है। जातीय सर्वे के मुताबिक बिहार में सबसे ज्यादा आबादी 36.01% अति पिछड़ों की हैं। 

वहीं, पिछड़ा वर्ग 27.12%, अनुसूचित जाति की आबादी 19.65%, अनुसूचित जाति की आबादी 1.68% और सामान्य जाति की आबादी 15.25% है। जातीय गणना की रिपोर्ट आने के बाद लगातार सत्ताधारी पार्टी जिसकी जितनी भागीदारी उसकी उतनी हिस्सेदारी की मांग कर रही है। जबकि विपक्षी पार्टियां जातीय गणना की रिपोर्ट पर एतराज जता चुकी है। इस मामले को लेकर दोनों के बीच टकराव की स्थिति बनी है।

हालांकि विधानमंडल के शीतकालीन सत्र में कई महत्वपूर्ण बिल पेश किए जाएंगे। इसके साथ ही सत्र के दौरान सरकार की ओर से जातीय गणना की रिपोर्ट सदन के पटल पर रखी जाएगी। संभावना जताई जा रही है कि रिपोर्ट के मुताबिक सरकार की ओर से आरक्षण का कोटा बढ़ाने से संबंधित प्रस्ताव रखेगी। बताया जा रहा है कि सरकार आरक्षण का कोटा 50% से बढ़ाकर 70-75% करने का प्रस्ताव पारित कर केंद्र को भेज सकती है। वहीँ सत्र के दूसरे और तीसरे दिन राजकीय विधेयक और राजकीय कार्य निपटाए जाएंगे। 9 नवंबर को वित्तीय वर्ष 2023-24 के सेकंड सप्लीमेंट्री बजट पर चर्चा होगी। सदन के अंतिम दिन 10 नवंबर को गैर सरकारी सदस्यों के काम निपटाए जाएंगे। गैर सरकारी संकल्प इसी दिन पारित किए जाएंगे।

मंगलवार को विधानसभा स्पीकर अवध बिहारी चौधरी ने कहा है कि सत्र छोटा है, लेकिन महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि कई विधायी कार्य और अन्य कार्य किए जाएंगे। विधानसभा संचालन करने में जो हमारी जिम्मेदारी है, उस जिम्मेदारी को पूरा किया जाएगा। सदन संचालन को लेकर आसन से लेकर विधानसभा के सभी पदाधिकारी और कर्मचारी तत्परता से लगे हैं, सत्र अच्छे तरीके से चल सके।

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