हॉर्मूज जलसन्धि पर अब दुनिया की निगाहें

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गणेश दत्त पाठक (वरिष्ठ स्तंभकार )
ईरान- इजरायल युद्ध में अमेरिका की सक्रिय सहभागिता ने पूरी दुनिया को चौंका दिया है। जहां अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ईरान पर अमेरिकी हवाई हमले के संदर्भ में विचार मंथन की बात कह रहे थे। वहीं शनिवार की रात्रि में अमेरिकी बमवर्षक बीटू विमानों ने ईरान के तीन परमाणु ठिकानों फोर्डों, नेतांज और असफ़हां पर कहर ढाया है। ईरान के परमाणु ठिकाने फोर्डों पर तो अमेरिकी विमानों ने बमों का पूरा पैलोड ही गिरा दिया। ईरान पर इस अमेरिकी बमबारी ने ईरान इजराइल युद्ध की जलती आग में घी का काम किया है। तात्कालिक प्रतिक्रिया में ईरान ने इजराइल के कई शहरों में मिसाइलें दागी है तो संयुक्त राष्ट्र संघ के सुरक्षा परिषद् की आपात बैठक बुलाने का आह्वान किया है। वहीं हॉर्मूज जलडमरूमध्य में तनाव चरम पर है। अमेरिकी, और अन्य यूरोपीय देशों के जहाजों पर खतरे के बादल मंडरा रहे हैं। दुनिया के तकरीबन 20 फीसदी क्रूड ऑयल की सप्लाई इसी जलडमरूमध्य से होती है। ऐसे में विश्व में ऊर्जा संकट बढ़ने की आशंका उत्पन्न हो गई है। उधर यमन के भी युद्ध में कूदने की सूचना है। चीन और रूस की भी कड़ी प्रतिक्रिया की आशंका दिखाई दे रही है। दुनिया फिर विश्वयुद्ध के मुहाने पर पहुंचती दिख रही है। किसी भी स्तर पर मध्यपूर्व में तनाव कम होने के कूटनीतिक प्रयास दिखाई नहीं दे रहे हैं जो बेहद अफसोसजनक है।
अमेरिका शुरू से ईरान के परमाणु कार्यक्रम का प्रबल विरोधी रहा है। इसके पूर्व आर्थिक प्रतिबंधों और कूटनीति के माध्यम से ईरान के परमाणु कार्यक्रम के लिए बाधाएं अमेरिका उत्पन्न करता रहा है। लेकिन ईरान बार बार यह कहता रहा है कि उसका परमाणु कार्यक्रम शांतिपूर्ण रहा है। ईरान अपनी संप्रभुता का जिक्र भी बार बार करता रहा है। ईरान ने अपने परमाणु ठिकाने जमीन के काफी अंदर बना रखे हैं। इजराइल ने इन परमाणु ठिकानों पर वर्तमान युद्ध के दौरान पूर्व में हमला कर चुका है। इन परमाणु ठिकानों को बर्बाद करने के लिए उपयुक्त बम और एयरक्राफ्ट अमेरिका के पास ही उपलब्ध थे। ईरानी शिया नेता खुमैनी ने अमेरिका को ऐसी करवाई पर कड़े प्रतिवाद की बात भी कही थी। स्वयं अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिकी करवाई पर विचार करने की बात कही थी और ईरान को भी शांति के प्रति प्रयास की हिदायत भी दी थी। लेकिन अचानक अमेरिकी बमवर्षक विमानों ने ईरान के परमाणु ठिकानों पर कोहराम मचा दिया। शुक्रवार, शनिवार के दरम्यान ईरान में भूकंप के तीव्र झटके महसूस किए गए। हालांकि ईरान में भूकंप निरंतर अंतराल पर आते रहे। लेकिन यह आशंका भी जताई जाने लगी कि ईरान ने परमाणु परीक्षण किया है। अमेरिका, इजराइल और अरब देश ईरान के परमाणु शक्ति बनने के खिलाफ और बेहद सशंकित रहे हैं। अनुमान लगाया जा रहा है कि ईरान के भूकंप की शंकाओं ने अमेरिका को करवाई के लिए प्रेरित किया हो। ईरान के फोर्डों परमाणु ठिकाने के बारे में कुछ वर्ष पूर्व एक बड़ी खतरनाक जानकारी लीक हुई थी।
अमेरिकी विमानों द्वारा ईरान के परमाणु ठिकानों पर बमबारी से मध्यपूर्व में तनाव और बढ़ता दिखाई दे रहा है। संयुक्त राष्ट्र संघ के महासचिव ने अमेरिकी हमले को विनाशकारी परिणाम वाला बताया है। ईरान संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की आपात बैठक बुलाने की मांग कर रहा है। जहां विश्व की प्रमुख शक्तियों के बीच जबरदस्त कूटनीतिक घमासान होगा। सुरक्षा परिषद् के स्थाई सदस्यों अमेरिका, चीन, रूस, फ्रांस और ब्रिटेन के पास विटो पॉवर है। इसलिए किसी एक निर्णय पर पहुंचना भी आसान नहीं है। अंतराष्ट्रीय तनाव में वृद्धि होना तय है। अमेरिकी बमबारी के बाद ईरान ने कहा है कि जंग अब शुरू हो गई है और उसके पास पलटवार के सभी विकल्प खुले है। ऐसे में युद्ध के बढ़ने, क्षेत्रीय अस्थिरता बढ़ने की स्थितियां भी उत्पन्न हो रही है।
यह भी तय माना जा रहा है कि निकट भविष्य पर ईरान पर तगड़े आर्थिक प्रतिबंध लगाए जाने हैं। युद्ध की विभीषिका के साथ आर्थिक प्रतिबंध ईरान के लिए बेहद तकलीफदेह ही रहनेवाले हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा है कि अमेरिकी विमानवर्षकों ने अपना काम कर दिया है। अगर ईरान अभी भी नहीं रुका तो फिर हमले किए जाएंगे। उधर ईरानी सरकार दावा कर रही है कि अमेरिकी हमले का कोई बहुत प्रभाव नहीं पड़ा है। हमने कुछ परमाणु ठिकानों को पहले ही शिफ्ट कर लिया था। इस ईरानी दावे के बाद और हमलों की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता है। इजराइल ने ईरान के नेवी ठिकानों पर फिर हमले शुरू कर दिए हैं। उधर वैश्विक तेल बाजार में झटके लग सकते हैं और तेल की कीमतें भी बढ़ सकती है। हालांकि ईरान ने तात्कालिक प्रतिक्रिया में इजराइल के कई प्रमुख शहरों पर मिसाइलें दागी है। आशंका बढ़ती जा रही है कि ईरान मध्य अमेरिका में स्थित अमेरिका के नागरिक सैनिक ठिकानों को निशाना बना सकता है। यदि ऐसा होता है तो निश्चित तौर पर अमेरिका और भी घातक हमले ईरान पर करेगा जिससे युद्ध बढ़ता ही जाएगा।
रूस हालांकि यूक्रेन युद्ध में संलग्नता के कारण मध्य पूर्व देशों के युद्ध में उलझना नहीं चाहता था। लेकिन उसने कहा था कि ईरान पर अमेरिकी हमले स्थिति में वह कड़ी प्रतिक्रिया दे सकता है। उधर चीन भी शांत शायद ही रह पाए। यमन भी युद्ध में उतरता दिखाई दे रहा है। इस समय दुनिया तीसरे विश्वयुद्ध के मुहाने पर आ खड़ी हुई है। अमेरिकी हमले के बाद ईरान हॉर्मूज जलसन्धि में अमेरिकी, और अन्य देशों के जहाजों की आवाजाही को रोक सकता। इससे पूरे विश्व में पेट्रोलियम उत्पादों की आवाजाही पर नकारात्मक असर पड़ेगा। 2024 में प्रतिदिन 2 करोड़ बैरल तेल का आवागमन हुआ था, जो वैश्विक तेल खपत का तकरीबन 20 फीसदी है।
सऊदी अरब, ईरान, यूएई, कुवैत, इराक जैसे देशों का तेल निर्यात यहीं से होता हैं। हॉर्मूज जलडमरूमध्य में बाधा से यूएई, कुवैत, बहरीन आदि देशों की अर्थव्यवस्था तबाह होने की आशंका भी जताई जा रही है। मध्य पूर्व में तनाव में वृद्धि होने से यूएई की पर्यटन पर भी नकारात्मक असर देखा जा रहा है। निश्चित तौर पर व्यापारिक नौकाएं विवादित क्षेत्र में जाने का खतरा नहीं लेंगी जिससे व्यापारिक आदान प्रदान भी प्रभावित होगा। हालांकि सऊदी अरब, यूएई ने पूर्व में ही हॉर्मूज जलडमरूमध्य को बायपास करने के लिए पाइप लाइनें बिछाई गई हैं जिससे वे प्रतिदिन 260 लाख बैरल तेल के आवागमन की क्षमता रखते हैं लेकिन इतना तो तय है कि विश्व में पेट्रोलियम की कमी होगी और उसके दाम बढ़ेंगे , जिससे विश्व में महंगाई का और बढ़ना लाजिमी है। भारत जैसे देशों की अर्थव्यवस्था पर इस युद्ध का नकारात्मक असर पड़ना तय है। निश्चित तौर पर भारत को अपने रणनीतिक साझेदारी को बेहतर बनाने और नए ऊर्जा स्रोतों पर काम करने की जरूरत है।
इस क्रम में पाकिस्तान के लिए एक बेहद विकट स्थिति उत्पन्न हो गई है। कुछ दिन पहले ही पाकिस्तानी सेना प्रमुख ने अमेरिका का दौरा किया था। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने उन्हें लंच कराया। मीडिया रिपोर्ट में यह बात भी सामने आ रही है जिसमें अंदेशा जताया जा रहा है कि पाकिस्तानी सेना प्रमुख ने ईरान के बारे में कुछ गोपनीय जानकारियों को अमेरिकी राष्ट्रपति से साझा किया है। साथ ही पाकिस्तान ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नामित भी किया है। पाकिस्तान के ईरान से प्राचीन पारंपरिक संबंध रहे हैं लेकिन अभी पाकिस्तान ईरान का दुश्मन देश बनता दिख रहा है। निश्चित तौर पर पाकिस्तान के लिए भविष्य में कूटनीति के लिए एक नकारत्मक तथ्य ही साबित होगी। हालांकि पाकिस्तान ने ईरान के परमाणु ठिकाने पर अमेरिकी बमबारी की आलोचना की है।
मध्य पूर्व में तनाव चरम पर जाता दिख रहा है लेकिन माहौल को शांत करने के कूटनीतिक प्रयास नदारद से दिख रहे हैं। विश्व संस्था संयुक्त राष्ट्र संघ की लाचारी जगजाहिर है। यूक्रेन युद्ध के बाद पूरे विश्व स्तर पर राजनय में कूटनीतिक संवादहीनता की स्थिति देखी जा रही है। शीत युद्ध की समाप्ति के बाद भी बड़े देशों की आपसी रंजिश चरम पर है। किसी भी वैश्विक समस्या पर कोई पहल होती दिखाई नहीं देती है। ऐसे में मध्यपूर्व में तनाव की स्थिति में कूटनीतिक स्तर पर उदासीनता देखी जा रही है। यह तथ्य विश्व शांति के लिहाज से बेहद नकारात्मक है। ऐसे में भारत जैसे शांतिप्रिय देशों की भूमिका बढ़ जाती है जो वसुधैव कुटुंबकम् की अवधारणा में विश्वास करते हैं। सऊदी अरब भी शांति की बात कर रहा है। कूटनीतिक प्रयासों के माध्यम से मध्य पूर्व के तनाव को कम करने की नितांत आवश्यकता है। विश्व की तबाही और बर्बादी का खामियाजा तो अंतिम तौर पर मानवता को ही भुगतना पड़ता है।

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