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बिहार विधानसभा के फस्ट फेज के चुनाव को लेकर प्रत्याशी मैदान में उतर चुके है.आरा विधानसभा क्षेत्र में कुल 3 लाख 23 हजार 597 मतदाता है. जो इस बार चुनाव में अपने मत का प्रयोग करेंगे. जिनमें पुरूष मतदाता की संख्या 1 लाख 66 हजार 365 है,जबकि महिला वोटरों की संख्या 1 लाख 48 हजार 846 है. वही मैदान में कुल 15 उम्मीदवार चुनाव लड़ रहे हैं और अपना भाग्य आजमाइश कर रहे हैं.

इसमें बीजेपी के प्रत्याशी के तौर पर पूर्व विधायक अमरेन्द्र प्रताप सिंह,महागठबंधन समर्थित भाकपा माले उम्मीदवार क्यामुद्दीन अंसारी व निर्दलीय उम्मीदवार हाकिम प्रसाद सेठ का नाम शामिल है. इसके अलावा भी करीब 12 प्रत्याशी चुनाव में मुकाबले पर है. हालांकि आरा सीट शुरु से ही बीजेपी की गढ़ वाली सीट मानी जाती है. यहां बीजेपी के प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ रहे अमरेन्द्र प्रताप सिंह 15 साल तक विधायक रह चुके हैं. बीजेपी ने फिर से अमरेन्द्र प्रताप सिंह पर भरोसा जताते हुए उन्हें उम्मीदवारी का भार सौंपा है. लेकिन इस बार बीजेपी को पहले अपनों से लड़ाई लड़नी होगी. उसके बाद ही विरोधियों को मात देने के बारे में सोचना पड़ेंगा. क्योंकि बीजेपी के कार्यकर्ता रह चुके हाकिम प्रसाद सेठ भी बीजेपी से टिकट नहीं मिलने के कारण निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ रहे हैं और वह फिलहाल बीजेपी के लिए मुसीबत के रूप में खड़े हैं. जबकि महागठबंधन समर्थित भाकपा माले के प्रत्याशी क्यामुद्दीन अंसारी भी इसके पहले इस विधानसभा से चुनाव लड़ चुके हैं. लेकिन उन्हें जीत हासिल नहीं हो सकी थी.

जिसके बाद वो फिर से चुनावी मैदान में उतर भाग्य आजमाइश कर रहे हैं. आरा शहर की समस्या और सूरत पर बात करें तो यहां की जनता का राय है कि सत्ता बदल गयी शासन बदल गई लेकिन नहीं बदली तो आरा शहर की तस्वीर ! शहरवासियों को सबसे बड़ी समस्या जाम व सड़क की है। उनका मानना है कि शहर में चिकित्सा,शिक्षा जैसी भी समस्याएं मौजूद है. जिसे किसी भी दल के विधायक अब तक दूर नहीं कर सकें है. शहर नगर निगम का दर्जा पाने के बाद भी अब तक मूलभूत समस्याओं से जुझ रहे हैं. ऐसे में इस बार के चुनाव में भी मुद्दा विकास और बदलाव का ही है.

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