सासाराम(रोहतास), संवाददाता
रोहतास के डेहरी इलाके में तार बंगला निवासी रीता देवी ऑटो चलाकर परिवार की जिम्मेदारी उठा रही हैं। हालांकि ऑटो उन्होंने अपने दिव्यांग बेटे के लिए किस्तों पर खरीदा था। पहले उनका बेटा ही ऑटो चलाता था। लेकिन कमाई के इस एकमात्र जरिये से मिल रहे पैसे छीनकर पति शराब पी जाता और मारपीट करता रहता था। परिवार की स्थिति और क्लेश से तंग आकर रीता देवी ने एक इरादा किया और बेटे से ऑटो चलाना सीखा। रीता जिले की एकमात्र महिला ऑटो चालक हैं। वह दिन में और कभी-कभी आधी रात में भी ऑटो चलाती हैं। वह अनुमंडल कार्यालय के पीछे किराए के मकान में अपने बच्चों के साथ रहती हैं।
रीता देवी की तीन बेटियां हैं और उन्होंने तीन बेटियों में से दो की शादी कर दी है। अब छोटी बेटी की शादी और दिव्यांग बेटे की जिम्मेदारी उन पर है। शुरुआत में उन्हें कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा। पुरुष ऑटो चालकों ने विरोध किया और ऑटो स्टैंड पर पार्किंग की भी समस्या आई। लेकिन रीता देवी ने हार नहीं मानी।उनका दिव्यांग बेटा फिलहाल बेरोजगार है। पहली ऑटो का किस्त पूरा हो जाने के बाद रीता बेटे के लिए भी ऑटो लेने का इरादा रखती हैं। उनकी पूरी कोशिश है कि परिवार की स्थिति को और बेहतर बनायें। दूसरी तरफ आज वह अन्य महिलाओं के लिए प्रेरणा बन गई हैं। उनका मानना है कि महिलाओं को कमजोर या बेबस नहीं बनना चाहिए, बल्कि अपने पैरों पर खड़ा होकर परिवार की जिम्मेदारी उठानी चाहिए।
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