Tulsi Vivah 2025 – तुलसी माता और भगवान विष्णु का दिव्य विवाह
तुलसी विवाह 2025 हिंदू धर्म के सबसे पवित्र और शुभ पर्वों में से एक है। हर वर्ष कार्तिक शुक्ल एकादशी, जिसे देवउठनी एकादशी कहा जाता है, के दिन भगवान विष्णु (शालिग्राम) और माता तुलसी का विवाह संपन्न होता है। इस परंपरा को शास्त्रों में धार्मिक पुनर्जागरण का प्रतीक माना गया है, क्योंकि इसी दिन भगवान विष्णु चार महीने की योगनिद्रा से जागते हैं और सृष्टि का संचालन पुनः आरंभ करते हैं।
इस शुभ अवसर पर तुलसी माता को दुल्हन की तरह सजाया जाता है — उन्हें नई चुनरी, फूलों, गहनों और पारंपरिक श्रृंगार से अलंकृत किया जाता है। यह श्रृंगार न केवल भक्ति और श्रद्धा का प्रतीक है, बल्कि यह देवी लक्ष्मी के स्वागत का भी द्योतक है, क्योंकि तुलसी माता को लक्ष्मी जी का अवतार माना जाता है।
तुलसी विवाह का महत्व – क्यों किया जाता है तुलसी जी का विवाह?

तुलसी विवाह के पीछे गहन धार्मिक और आध्यात्मिक अर्थ छिपा हुआ है। तुलसी जी को माता लक्ष्मी का रूप माना गया है और भगवान विष्णु से उनका विवाह सम्पन्न कराना, घर में धन, सौभाग्य और समृद्धि को आमंत्रित करने का प्रतीक है।
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तुलसी विवाह करने से मिलने वाले 7 शुभ लाभ
1. घर में सुख-समृद्धि का वास होता है।
2. दांपत्य जीवन में प्रेम और स्थिरता बढ़ती है।
3. भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी की कृपा सदैव बनी रहती है।
4. नकारात्मक ऊर्जाएं और दोष नष्ट होते हैं।
5. घर में सौहार्द और शांति का वातावरण बनता है।
6. संतान और परिवार पर ईश्वर का आशीर्वाद बना रहता है।
7. मन और आत्मा दोनों को दिव्य शांति की अनुभूति होती है।
इन सातों कारणों से तुलसी विवाह को सिर्फ धार्मिक नहीं, बल्कि आध्यात्मिक उत्थान का प्रतीक भी माना जाता है।
तुलसी विवाह 2025 में तुलसी जी का मंगल श्रृंगार कैसे करें?
तुलसी जी के श्रृंगार के लिए आवश्यक वस्तुएं
तुलसी विवाह के दिन तुलसी माता को सजाने के लिए कुछ विशेष वस्तुएं उपयोग की जाती हैं। यह सभी वस्तुएं पवित्रता और मंगलता का प्रतीक होती हैं।
आवश्यक वस्तुएं इस प्रकार हैं:
• नई चुनरी (लाल, पीली या हरी)
• हल्दी, कुमकुम और चंदन
• फूल-माला (विशेषकर गेंदा और तुलसी पत्ते)
• गहने या कृत्रिम आभूषण
• बिंदी और सिंदूर
• छोटी साड़ी या कपड़ा तुलसी के गमले के लिए
• दीपक और अगरबत्ती
• मिठाई, फल और पान का भोग
इन वस्तुओं का प्रयोग करते समय पूर्ण श्रद्धा और भक्ति का भाव रखना आवश्यक है।
तुलसी विवाह की पूजा-विधि – चरण दर चरण
तुलसी जी का स्नान और श्रृंगार
1. सबसे पहले तुलसी के पौधे को गंगाजल या स्वच्छ जल से स्नान करवाएं।
2. पौधे के गमले को साफ कपड़े से पोंछें और नई चुनरी ओढ़ाएं।
3. तुलसी माता पर हल्दी, कुमकुम और चंदन का तिलक लगाएं।
4. फूल-मालाओं और गहनों से तुलसी माता को दुल्हन की तरह सजाएं।
5. बिंदी और चूड़ी पहनाकर माता का मंगल श्रृंगार पूर्ण करें।
इसके बाद दीपक जलाकर आरती करें और भगवान शालिग्राम (विष्णु जी) को तुलसी माता के पास रखकर विवाह संस्कार सम्पन्न करें।
विवाह के बाद की पूजा और भोग
विवाह संपन्न होने के बाद तुलसी माता को मिठाई, फल और पान का भोग लगाया जाता है। इस अवसर पर घर के सभी सदस्य मिलकर आरती और भजन करते हैं। यह सामूहिक भक्ति परिवार में एकता, प्रेम और सकारात्मकता को बढ़ाती है।
तुलसी विवाह के दिन कौन सा रंग शुभ माना जाता है?
तुलसी विवाह के दिन लाल, पीला और हरा रंग सबसे शुभ माना गया है।
• लाल रंग – प्रेम और ऊर्जा का प्रतीक
• पीला रंग – समृद्धि और भक्ति का प्रतीक
• हरा रंग – स्थिरता और विकास का प्रतीक
इन रंगों में से किसी एक रंग की चुनरी तुलसी माता को ओढ़ाना अत्यंत शुभ माना गया है।
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क्या घर पर तुलसी विवाह करवाया जा सकता है?
हाँ, तुलसी विवाह घर पर भी किया जा सकता है। बस तुलसी का पौधा साफ और पवित्र स्थान पर रखा हो, और पूजा-विधि श्रद्धा के साथ की जाए।
घर में तुलसी विवाह करवाने से —
• परिवार में सौहार्द और समृद्धि बढ़ती है।
• दांपत्य जीवन में प्रेम बना रहता है।
• विष्णु-लक्ष्मी की कृपा घर पर स्थायी होती है।
Tulsi Vivah 2025 केवल एक धार्मिक परंपरा नहीं, बल्कि आध्यात्मिक एकता और पवित्र प्रेम का उत्सव है। इस दिन तुलसी माता का श्रृंगार और विवाह नारीत्व, श्रद्धा और सौभाग्य का प्रतीक बन जाता है।
जब परिवार भक्ति भाव से तुलसी विवाह करता है, तो घर में लक्ष्मी का वास, विष्णु की कृपा और जीवन में समृद्धि स्थायी रूप से आती है।
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