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आरा: भोजपुर जिले के बड़हरा प्रखंड के अलग अलग दो गावों में अगस्त महीने में एक पखवाड़े के भीतर दो अलग अलग किशोरियों के साथ बलात्कार किया गया. दोनों जगह दोनों किशोरियों के साथ बलात्कार करने वाले आरोपी बलात्कारी एक धर्म विशेष के हैं. पहली बलात्कार की घटना बड़हरा प्रखंड के मनीछपरा गांव में हुई जहां एक निजी स्कूल एसटी गौस पब्लिक मिडिल स्कूल के संचालक सह प्रिंसिपल अमरुल हक उर्फ हाना मियां ने ट्यूशन पढ़ने गई महज सात साल की बच्ची के साथ बलात्कार की घटना को अंजाम दिया.इतनी छोटी उम्र की बच्ची के साथ बलात्कार की घटना सामने आने के बाद इलाके में सनसनी फैल गई. आरोपी अमरुल हक उर्फ हाना मियां भाकपा माले से जुडा हुआ था और उसके स्कूल पर माले का लाल झंडा लहरा रहा था|

इस घटना की जानकारी मिलने के बाद आरा के पूर्व सांसद और पूर्व केंद्रीय ऊर्जा मंत्री आरके सिंह जब पीड़ित परिवार से मिले और पुलिस प्रशासन को कार्रवाई का निर्देश दिया तब जाकर पुलिस हरकत में आई और कार्रवाई तेज की गई है. फिलहाल आरोपी को गिरफ्तार कर लिया गया है.अब उसके स्कूल को भी जिला प्रशासन ने सील कर दिया है. जांच के दौरान यह बात सामने आई है कि मनीछपरा में चल रहा यह स्कूल बिहार सरकार के शिक्षा विभाग से प्रस्वीकृत भी नहीं था और अवैध तरिके से चल रहा था और ऐसे स्कूल में पढ़ाते हुए आरोपी ने घटना को अंजाम दिया. दूसरी घटना रविवार को बड़हरा के इलाके में ही घटी जहां गुंडी गांव में शौच करने जा रही एक किशोरी को अँधेरे में एक मंदिर के पास से उठाकर भोलू मियां ने बलात्कार किया|

पीड़ित किशोरी खून से लथपथ जब वापस घर लौटी और पूरी घटना को अपनी मां से बताया तो घर समेत गांव में सनसनी फैल गई. तुरंत डायल 112 पर फोन करके पुलिस को बुलाया गया जिसके बाद इस मामले में पुलिस एक्शन में आई.बलात्कारी भोलू मियां किशोरी का पडोसी है जिसने शौच करने जा रही किशोरी को पहले अकेले देख जबरन उठाया और फिर सुनसान जगह पर एक बगीचे में ले जाकर उसके साथ दुष्कर्म किया.पुलिस ने भोलू मियां को 48 घंटे के भीतर गिरफ्तार कर लिया है|

बड़हरा प्रखंड के दोनों गावों में दो किशोरियों के साथ अल्पसंख्यक समाज के दरिंदो द्वारा बलात्कार की घटना को अंजाम दिया गया लेकिन अभी तक इस मामले में स्थानीय भाजपा विधायक राघवेन्द्र प्रताप सिंह की चुप्पी से आम जनता आश्चर्यचकित है. स्थानीय विधायक दोनों गावों में जाकर पीड़ित परिवार से न तो मिले और न ही पीड़ित परिवार को न्याय का भरोसा दिलाया बल्कि विधायक इस मामले में अभी तक खामोश हैं. दूसरी तरफ बंगाल में हो रहे क्रूरतम घटनाओं पर बड़ी बड़ी बातें करने वाले राजनैतिक दल एवं संगठन भी बड़हरा में किशोरियों के साथ हो रही दरिंदगी पर मुंह नहीं खोल रहे हैं. यहां न तो कैंडल मार्च निकाला गया न ही सामाजिक स्तर पर ऐसी घटनाओं का प्रतिकार ही किया जा सका है.बड़हरा की दोनों घटनाओं पर समाज की खामोशी,बलात्कारियों का मनोबल बढ़ाने वाली ही साबित होती है जिससे ऐसी घटनाओं की पुनरावृति की सम्भावना बनी रहती है. सामाजिक, राजनैतिक संगठनों के साथ ही आम नागरिकों को इन दोनों घटनाओं के खिलाफ लोकतान्त्रिक तरिके से विरोध जताने के लिए आगे आना चाहिए|

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