महिला एवं बाल विकास निगम और यूनिसेफ के द्वारा संयुक्त रूप से 2 दिवसीय उन्मुखीकरण सह प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन किया गया । कार्यशाला का शुभारम्भ, महिला एवं बाल विकास निगम की प्रबंध निदेशक श्रीमती हरजोत कौर बम्हरा ने यूनिसेफ बिहार की प्रमुख सुश्री नफीसा बिंते शफीक, कार्यक्रम प्रबंधक श्री शिवेंद्र पांड्या, निगम के परियोजना निदेशक, श्री अजय कुमार श्रीवास्तव, प्रशासी पदाधिकारी सुश्री पूनम कुमारी, यूनिसेफ की व्यवहार परिवर्तन विशेषज्ञ श्रीमती मोना सिन्हा, बाल संरक्षण पदाधिकारी श्रीमती गार्गी साहा एवं अन्य गणमान्य अतिथियों और अन्य डेवलपमेंट पार्टनर्स के प्रतिनिधियों की उपस्थिति में किया ।
महिला एवं बाल विकास निगम की प्रबंध निदेशक ने बताया कि बिहार के 22 जिलों में बाल विवाह, बाल श्रम एवं किशोरियों के सशक्तिकरण के लिए महिला एवं बाल विकास निगम, ने यूनिसेफ के सहयोग से उड़ान परियोजना की शुरुआत की है । बिहार को बाल विवाह मुक्त करना हमारे माननीय मुख्यमंत्री की प्राथमिकताओं में एक है । माननीय मुख्यमंत्री के समाज सुधार अभियान में बाल विवाह और दहेज़ प्रथा मुख्य रूप से शामिल है, जो राज्य स्तर पर सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है । लड़कियों और महिलाओं की स्थिति बदले इसके लिए जरूरी है कि बाकी की आधी आबादी जो पुरुषों की है, महिलाओं के प्रति अपनी सोच बदलें । ‘टूगेदर वी कैन’ कहते हुए उन्होंने विश्वास जताया कि जो भी समस्याएं हैं, हम लोग मिल-जुल कर उसका हल निकाल लेंगें। उन्होंने कहा कि महादलित विकास मिशन और यूनिसेफ के सहयोग से हम सभी 38 जिलों को इस परियोजना से जोड़ेंगे।
यूनिसेफ, बिहार की प्रमुख सुश्री नफीसा बिंते शफीक, ने कहा कि हमने पहले भी देखा है कि केवल एक क्षेत्र में काम करने से बाल विवाह की समस्या दूर नहीं होती । सभी हितधारकों और विभागों के आपसी समन्वय को महत्वपूर्ण बताते हुए उन्होंने कहा कि शिक्षा, स्वास्थ्य, समाज कल्याण जैसे कई विभागों को मिलकर काम करना होता है । बिहार में मुख्यमंत्री महोदय की प्राथमिकता में बाल विवाह उन्मूलन है । इसलिए यहाँ काम करना करने के लिए प्रयाप्त प्रेरणा मौजूद है । तकनीकी सत्र के दौरान उन्होनें एसईएम मॉडल के जरिये किशोरियों का सशक्तिकरण के बारे में समझाया ।
महिला एवं बाल विकास निगम के परियोजना निदेशक श्री अजय कुमार श्रीवास्तव ने कहा कि परियोजना के तहत जो काम चल रहा है उसमें क्या कमियां रह जा रही हैं यह पता चलना सबसे महत्वपूर्ण है ताकि उन कमियों को दूर किया जा सकें। अपने प्रस्तुतिकरण के जरिये उड़ान परियोजना के विषय में बताया और इस परियोजना के क्या लाभ होंगे?, किस तरह से इसके उद्देश्य पूरे हो सकते हैं? हमें और क्या करने की जरूरत है? आदि प्रश्नों पर चर्चा की।
सुश्री गार्गी साहा ने सभी प्रतिभागियों का स्वागत करते हुए कहा कि इस कार्यशाला का उद्देश्य इस परियोजना से जुड़े राज्य एवं जिला स्तर के पदाधिकारियों का उन्मुखीकरण एवं क्षमतावर्धन के साथ ही इस परियोजना का बेहतर क्रियान्वयन सुनिचित करना भी हैं । यूनिसेफ, दिल्ली की बाल संरक्षण विशेषज्ञ सुश्री माधुरी दास ने एन.एफ.एच.एस. के वर्तमान और पुराने आंकड़ों के माध्यम से किशोरों और किशोरियों की लॉकडाउन के पूर्व और पश्चात की जिंदगी पर आधारित अध्ययन को साझा किया।
यूनिसेफ, दिल्ली से बाल संरक्षण विशेषज्ञ सुश्री मैरी थॉमस ने उड़ान परियोजना पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि लिंग संबंधी सामाजिक मानकों के कारण लड़कियों की कम उम्र में विवाह, हिंसा आदि को सामान्य माना जाता है और उन्हें पुरुषों से कम माना जाता है। व्यवहार परिवर्तन संचार विशेषज्ञ सुश्री मोना सिन्हा ने कहा कि व्यवहार परिवर्तन बहुत जरूरी है, क्यों जरूरी है, यह हमें समझना होगा। जब हम परिवर्तन की बात करते हैं तब हम व्यक्तिगत और सामाजिक दोनों ही तरह के व्यवहार परिवर्तन की बात करते हैं। उन्होंने जेंडर ब्लाइंड, जेंडर सेंसिटिव और जेंडर ट्रांस्फोर्मेटिव को समझाया और उसपर चर्चा की। उन्होंने यह भी बताया कि संचार और संवाद इस प्रक्रिया में बहुत महत्वपूर्ण तत्व हैं।
महिला एवं बाल विकास निगम के वरीय सलाहकार, संचार श्री अविनाश उज्ज्वल ने प्रतिभागियों को संक्षिप्त में रिपोर्ट और सफलता की कहानियों को लिखने के मूलभूत तत्वों और बाल अधिकार और कंसेंट के बारे में बताया। यूनिसेफ,दिल्ली के बाल संरक्षण विशेषज्ञ, श्री आफताब ने बाल अधिकारों और बाल संरक्षण के लिए बने कानूनों मुद्दों पर बने नियम, कानून और भारतीय दंड संहिता में इसपर जो धाराएं हैं उनसे अवगत कराया। उन्होंने प्रतिभागियों के क्षेत्र से जुड़ी समस्याओं को सुन कर उसपर अपने सुझाव भी दिए।
निगम के राज्य परियोजना प्रबंधक (अनुश्रवण एवं मूल्यांकन) श्री कुमार राजेश ने परियोजना से सम्बंधित अद्यतन प्राप्त आंकड़ों के आधार पर परियोजना के और सुदृढ़ तरीके से क्रियान्वयन पर प्रकाश डाला
यूनिसेफ के राज्य सलाहकार श्री राकेश कुमार ने एमआईएस के बारे में विस्तृत रूप से बताया। एमआईएस के अलग अलग कॉलम भरने के सम्बन्ध में प्रतिभागियों के अनेक प्रश्न आये । उन्होंने बताया कि किस जानकारी का क्या लाभ होता है । साथ ही जहाँ भरने में दिक्कतें हो रही थीं, वहां उन्होंने फॉर्मेट को कैसे भरना है, इसकी जानकारी भी दी।