रमेश कुमार
पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा मुहम्मद आसिफ ने एक ब्रिटिश समाचार चैनल को दिए साक्षात्कार में कबूल किया है कि उनके देश ने तीन दशकों तक आतंकवादी गुटों का समर्थन किया है। आसिफ ने इसे गलती करार देते हुए कहा कि पाकिस्तान ने अपनी इन कारगुजारियों की भारी कीमत चुकाई है। उनका यह कबूलनामा जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हाल के आतंकवादी हमले के मद्देनजर आया है, जिससे क्षेत्रीय अस्थिरता में पाकिस्तान की अतीत की भागीदारी के बारे में नई चिंताएं उत्पन्न हो गई हैं।
पाकिस्तान बढ़ते कूटनीतिक अलगाव और अपने अंतरराष्ट्रीय संबंधों पर बढ़ते दबाव का सामना करने की वजह से टूटने की कगार पर खड़ा है। 22 अप्रैल, 2025 को पहलगाम आतंकी हमले और भारत की जवाबी कार्रवाई ऑपरेशन सिंदूर (जिसमें 7 मई, 2025 को भारत ने पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में नौ आतंकी शिविरों पर सटीक मिसाइल हमले किए, जिनमें लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद जैसे गुटों को पनाह देने के लिए लंबे अर्से से कुख्यात बहावलपुर और मुरीदके के प्रमुख ठिकाने शामिल थे) के बाद से, सऊदी अरब, यूएई और यहां तक कि चीन सहित पाकिस्तान के पारंपरिक सहयोगियों ने उससे किनारा कर लिया है। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) ने लश्कर-ए-तैयबा जैसे आतंकी गुटों के साथ पाकिस्तान की संलिप्तता की जांच की है और पाकिस्तान दक्षिण एशिया में अपना रणनीतिक संतुलन बनाए रखने के लिए जद्दोजहद कर रहा है।
पाकिस्तान को आतंकवाद का बार-बार प्रत्यक्ष और परोक्ष समर्थन करने का दोषी ठहराया जाता रहा है। जम्मू -कश्मीर सहित भारत भर में कई आतंकवादी हमलों को पाकिस्तान या पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में मौजूद आतंकवादी ढांचे का लाभ उठाने वाले घुसपैठियों द्वारा अंजाम दिया जाता रहा है। आतंकवादियों के प्रति यह समर्थन इन सुरक्षित पनाहगाहों के अलावा, क्षेत्र में सक्रिय विभिन्न आतंकवादी संगठनों को वित्तीय सहायता मुहैया कराने के जरिए भी प्रकट होता है। पाकिस्तान से पनपने वाले भारत विरोधी आतंकवाद के बारे में सरकार की चिंताओं को कई अवसरों पर अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के साथ और पाकिस्तान के साथ भी द्विपक्षीय रूप से उठाया गया है।
भारत पर आतंकवादी हमलों की हाल की घटनाएं
पिछले दो दशकों (2005-2025) के दौरान भारत में अनेक आतंकी हमले हुए हैं, जिनमें से अधिकतर केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में हुए हैं। इनमें सैन्य और पुलिस प्रतिष्ठानों पर फिदायीन हमलों से लेकर तीर्थयात्रियों और पर्यटकों सहित आम नागरिकों को निशाना बनाकर किए गए सामूहिक हमले शामिल हैं।
2005 से 2010 के बीच आतंकवादियों ने दूरदराज के इलाकों में राजनीतिक नेताओं, सुरक्षा बलों और नागरिकों को बारंबार निशाना बनाया। सबसे उल्लेखनीय हमलों में 2008 का मुंबई हमला शामिल है। पाकिस्तान द्वारा समर्थित और लॉन्च किए गए लश्कर-ए-तैयबा के 10 आतंकवादियों ने मुंबई पर कायराना हमले किए। चार दिन तक चली इस तबाही में पुलिस और सुरक्षा बलों के 18 जवानों और 26 विदेशी नागरिकों सहित 166 लोग मारे गए और 308 लोग घायल हुए। मुंबई में 26 से 29 नवंबर 2008 के बीच छत्रपति शिवाजी टर्मिनस, लियोपोल्ड कैफे, ताज होटल, ओबेरॉय-ट्राइडेंट होटल और नरीमन हाउस सहित 13 स्थानों पर अंधाधुंध गोलीबारी, ग्रेनेड फेंकने और बम विस्फोटों सहित सिलसिलेवार आतंकवादी हमले हुए। अन्य उल्लेखनीय हमलों में 2006 का कुल्हाड़ डोडा नरसंहार (19 नागरिक मारे गए) और श्रीनगर और बारामुला में कई आईईडी हमले शामिल हैं, जिनमें बड़ी संख्या में नागरिक और सुरक्षाकर्मी हताहत हुए। लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) और हिजबुल मुजाहिदीन (एचएम) जैसे गुट लगातार इन हमलों से जुड़े रहे हैं, जिनकी पनाहगाहें और प्रशिक्षण शिविर पाकिस्तान में हैं।
2013 से 2019 तक इन हमलों की तीव्रता और जघन्यता बढ़ती चली गई । 2014 के अरनिया और उरी हमलों और 2015 के राजबाग पुलिस स्टेशन हमले को भारी मात्रा में हथियारों से लैस घुसपैठियों ने अंजाम दिया। इनमें सबसे विनाशकारी पुलवामा हमला (14 फरवरी 2019) था, जिसमें पाकिस्तान से गतिविधियां चलाने वाले जैश-ए-मोहम्मद द्वारा किए गए आईईडी आत्मघाती बम विस्फोट में सीआरपीएफ के 40जवान शहीद हो गए थे।
इस अवधि के दौरान अनेक हमलों को अंजाम दिया गया, जिनमें बंधक बनाने की घटनाएं, फिदायीन हमले और हाईग्रेड विस्फोटकों का इस्तेमाल भी शामिल था।
2020 और 2025 के बीच, – राजौरी-पुंछ, रियासी, पुलवामा और बारामुला में तीर्थयात्रियों, नागरिकों और सेना के काफिलों को निशाना बनाने का -एक नया पैटर्न उभर कर आया। इस बदलाव में पहाड़ी/जंगल वाले इलाकों में घात लगाकर हमला करने, पर्यटक स्थलों पर बड़े हमले करने और मारे जाने वाले नागरिकों की संख्या में चिंताजनक वृद्धि खास तौर पर डांगरी (2023), रियासी (2024) और पहलगाम (2025) – के हमले शामिल हैं ।
यूएनएससी 1267 प्रतिबंध सूची: पाकिस्तान से गतिविधियां चलाने वाले व्यक्ति और गुट
यूएनएससी 1267 प्रतिबंध सूची में अल-कायदा, आईएसआईएल (दाएश) और संबंधित गुटों से जुड़े व्यक्तियों और संस्थाओं को लक्षित किया गया है। इन प्रतिबंधों में संपत्ति जब्त करना, यात्रा पर प्रतिबंध और हथियारों पर प्रतिबंध शामिल हैं। इस प्रतिबंध सूची में वर्तमान में 254 व्यक्तियों और 89 संस्थाओं के नाम शामिल हैं, इसे पिछली बार 11 मार्च 2025 को अपडेट किया गया था और यह पिछले सभी संस्करणों को प्रतिस्थापित करती है।