उदय कोटक और नरेश गोयल का फर्क समझिए

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आर.के. सिन्हा

पिछले कुछ दिन पहले अखबारों में एक ही दिन दो खबरें बिजनेस के संसार से जुड़ी हुई छपीं। पहली खबर थी कि उदय कोटक ने अपना कार्यकाल पूरा किए बिना ही एक्सिस बैंक के मैनेजिंग डायरेक्टर पद को छोड़ने का फैसला किया। दूसरी खबर जेट एयरवेज के संस्थापक चेयरमेन नरेश गोयल की गिरफ्तरी से जुड़ी हुई थी। पर पहले बात कर लें उदय कोटक की। बकौल कोटकएक्सिस बैंक में लीडरशिप का बदलाव सबसे जरूरी हो गया था और उन्होंने एमडी व सीईओ के पद से इस्तीफा देकर बदलाव की प्रक्रिया की शुरुआत कर दी है। उनका मौजूदा कार्यकाल 31 दिसंबर 2023 तक थालेकिन अब उनका इस्तीफा 1 सितंबर 2023 से ही प्रभावी हो गया है। जब शिखर पर बैठे लोग अपना पद छोड़ने के लिए आसानी से तैयार नहीं होते हैंतब उदय कोटक ने एक उदाहरण पेश किया है।

दरअसल भारत में आर्थिक उदारीकरण ने सैकड़ों नौजवानों को आगे आने का मौका दिया। उनमें एक उदय कोटक भी थे। हालांकि उन्होंने सन् 1985 में 25 वर्ष की उम्र में ही मुंबई में तीन कर्मचारियों के साथ कोटक कैपिटल मैनेजमेंट फाइनेंस की स्थापना कर दी थी। हांआर्थिक उदारीकरण ने उन्हें और उनके जैसे तमाम उद्यमियों को अपने जौहर दिखाने के अवसर दिए।

उदय कोटक जब बैंकिंग संबंधी किसी मसले पर अपनी राय रखते हैं तो उसे सुना जाता है। उदय कोटक कहते थे कि मोदी सरकार को पर्यावरण के कारण अटके हुए प्रोजेक्ट को मंजूरी देनी चाहिए। प्रोजेक्ट को मंजूरी से आपूर्ति की दिक्कतें कम होंगी। वहीं सरकारी कंपनियों में गवर्नेंस को सुधारने पर जोर देना चाहिए। 

 उदय कोटक के मुताबिक सरकार को जहां कारोबार चलाने में मुश्किल हैं वहां हिस्सेदारी बेच देनी चाहिए। भारत अब भी पीएसयू बैंकों के निजीकरण के लिए तैयार नहीं है लेकिनपीएसयू बैंकों के कामकाज के तरीके और गवर्नेंस में भी आमूलचूल बदलाव की जरूरत है। 

उदय कोटक के लिए सन् 1985 खास रहा था। उदय कोटक को अपना बिजनेस पार्टनर मिला। उनकी मुलाकात महिन्द्रा समूह के प्रमुखआनंद महिन्द्रा से हुई। वे उद्य की फाइनेंशियल सूझबूझ से ऐसे प्रभावित हुए कि उन्होंने चार लाख रुपए उन्हें निवेश के लिए सौंप दिए। उस दौर में चार लाख रुपये बड़ी राशि होती थी।

 उदय कोटक सन् 1991 में   कोटक महिन्द्रा बैंक का पब्लिक इश्यू लेकर पूंजी मार्केट में आए। सन् 1998 में एसेट मैनेजमेंट कंपनी और जीवन बीमा क्षेत्र में कारोबार करने के लिए ओल्ड म्यूचुअल के साथ स्वतंत्र कंपनी स्थापित की। उदय कोटक को मुंबई के स्कूली जीवनके दौरान आभास हो गया था कि मैथ्स उनका सबसे प्रिय सब्जेक्ट हैं। उदय ने पढ़ाई पूरी करने के बाद पारिवारिक कारोबार से जुड़ने के बजाय हिन्दुस्तान लीवर ज्वॉइन करने का निर्णय लिया। उनके पिता नहीं चाहते थे कि गुजराती वैश्य परिवार का शिक्षित युवा अपना कारोबार करने के बजाय किसी दूसरे की नौकरी करे। उन्होंने अपने भाइयों से बात की। परिवार ने उदय कोटक को 300 वर्गफीट का छोटा सा ऑफिस स्वतंत्र कारोबार के लिए सौंप दिया।  उदय कोटक चाहते तो अपने पुत्र को भी एक्सिस बैंक के बोर्ड में रखवा सकते थेपर उन्होंने ये नहीं किया। इन सब वजहों से उदय कोटक भारत के सबसे खास उद्यमी के रूप में जगह बना सके। बेशकवे भविष्य में भी देश को बैंकिंग सेक्टर को दिशा देते रहेंगे।

अब बात उस नरेश गोयल की जिसने जेट एयरवेज स्थापित की थी। उन्हें भारत के एविएशन सेक्टर का सबसे खास चेहरा माना जाता था। नरेश गोयल को प्रवर्तन निदेशालय ( ईडी) की हिरासत में भेजे जाने से वे सब उदास हैं जो उन्हें जानते रहे हैं। जेट एयरवेज के फाउंडर नरेश गोयल को मुंबई की एक विशेष अदालत ने शनिवार को 11 सितंबर तक हिरासत में भेज दिया। उन्हें केनरा बैंक की शिकायत पर दर्ज 538 करोड़ रुपये की कथित बैंक फ्रॉड मामले में हिरासत में भेजा गया है। 74 वर्षीय गोयल को लंबी पूछताछ के बाद प्रिवेंशन ऑफ मनीलॉन्ड्रिंग एक्ट के तहत गिरफ्तार किया गया था।    

नरेश गोयल पंजाब के शहर संगरूर से दिल्ली आए थे। वे दिल्ली में रहने लगे बंगाली मार्केट की एक बरसाती में। उन दिनों तक दिल्ली में बरसाती कल्चर था।   वहां पर रहते हुए वे एक मिठाई की दुकान में पार्ट टाइम काम भी करने लगे।   वे नरेश गोयल के लिए संघर्ष के दिन थे। वे दिन  जब वे एक एयरलाइंस की टिकटें बेचने वाली कंपनी में काम करते। नरेश गोयल दिल्ली में नौकरी करने के इरादे से तो नहीं आये थे। उनके कई बड़े ख्वाब थे। वे  आकाश को छूने का इरादा रखते थे। इसलिए कुछ दिनों तक नौकरी करने के बाद नरेश गोयल ने इराक और कुवैत एयरलाइंस की टिकटों को बेचने का काम चालू कर दिया। नरेश गोयल का धंधा चमकने लगा। नरेश गोयल ने चार्टर फ्लाइट के काम में भी जल्दीही  हाथ आजमाया। उसमें उन्हें जमकर कमाई होने लगी। नरेश गोयल और उनका एक दोस्त अमृतसर से चार्टर फ्लाइट लेकर लंदन जाने लगे। फिर नरेश  गोयल ने पीछे मुढ़कर नहीं देखा।

 नरेश गोयल  दोस्त बनाने में माहिर थे। उन्हें ये पता चल गया था कि बिना दोस्त बनाए बिजनेस नहीं किया जा सकता। केन्द्र सरकार ने 1990 के दशक में एविएशन सेक्टर में एफडीआई का रास्ता खोला। उसके फौरन बाद नरेश गोयल ने छोड़ दी दिल्ली। उन्हें समझ आ गया था कि असली उड़ान तो मुंबई में ही भरी जायेगी। मुंबई में जाकर वे आसमान से बातें करने लगे। वे वहां भी दोस्त बनाने लगे । उनके दोस्तों या कहें कि अच्छे परिचितों में जेआरडी टाटा भी थे। नरेश गोयल ने बॉलीवुड की हस्तियों से भी खूब दोस्ती की। उन्होंने शाहरुख खानजावेद अख्तर और यश चोपड़ा को अपनी जेट एयरवेज का निदेशक बनाया। वे रोज ताज या ओबराय होटल में शाम को बैठते। पर अंत में नरेश गोयल को लालच ले डूबा। वर्ना वे शुरू में तो बहुत मेहनती और सच्चे कारोबारी थे। अब जब देश का एविएशन सेक्टर लंबी छलाँगे लगा रहा हैतब वे जेल में हैं। उनके जेट एयरवेज की उड़ानें 17 अप्रैल 2019 से बंद है।  काशवे भी उदय कोटक जैसे बेदाग रहते और मेहनत और ईमानदारी के बल पर पैसे कमाते ।

 (लेखक   वरिष्ठ संपादकस्तंभकार और पूर्व सांसद हैं)

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