ब्रज की कुंज-गलियों में बेचैनी का मर्म समझिए

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-यात्रा वृतांत -महेश खरे (वरिष्ठ पत्रकार )
समय बदलता है तो साथ-साथ इंसान और स्थान का स्वरूप भी बदलता है। ब्रज भूमि वृंदावन वैसे तो बहुत कुछ बदल गई है। गांव शहर बन रहा है। कच्चे मकानों की जगह बहुमंजिली इमारतें ले रही हैं। राधाकृष्ण की इस लीला स्थली की रज माथे से लगाने और राधाकृष्ण के दर्शन पाने रोज लाखों लाख श्रद्धालुओं के आने जाने से वृंदावन गुलजार रहता है। तीर्थाटन बढ़ा तो सस्ते गेस्ट हाउसों की जगह ‘स्टार’ वाले शानदार होटल लेते जा रहे हैं। देश के नामचीन संतों और कथा वाचकों के विशाल और भव्य गौशालाएं व आश्रम कृष्ण भक्तों के पावन शरण स्थल भी हैं और आकर्षण का केन्द्र भी। धार्मिक पर्यटन दिनों दिन बढ़ रहा है। प्रेम मंदिर, इस्कॉन और चार धाम जैसे भव्य और विशाल केन्द्रों में रोज श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती रहती है। वीकेंड, एकादशी, पूनम के दिनों में तो भीड़ संभाले नहीं संभलती। बृजभूमि के मंदिरों में होली और जन्माष्टमी के उत्साह का कहना ही क्या? फुटपाथ और फोर लेन होने के बावजूद आना-जाना पैदल अथवा ई-रिक्शा से ही संभव हो पाता है। धर्म स्थली पर मानव के मन का भाव भी प्रेम, श्रद्धा और सहयोग से भर जाता है। शायद इसीलिए कभी-कभी तो लाखों लोगों की उपस्थिति के बावजूद भीड़ भड़कने के प्रसंग यदा-कदा ही सुनाई पड़ते हैं।
19 अगस्त 2022 की जन्माष्टमी पर जरूर बांके बिहारी मंदिर में बेकाबू भीड़ की भेंट दो श्रद्धालु चढ़ गए। तभी से योगी आदित्यनाथ की सरकार ने मंदिर में कॉरिडोर बनाने की ठान ली है। काशी विश्वनाथ मंदिर कॉरिडोर की कामयाबी के बाद तो वृंदावन में कॉरिडोर बनाने की मुहिम और तेज हो गई है। यह सीएम योगी का ड्रीम प्रोजेक्ट है जिसे वे जल्दी से जल्दी पूरा करना चाहते हैं। काशी में मंदिर और संकरी गलियों के चौड़े हो जाने से शहर सुंदर भी हुआ है और वहां देवी देवताओं के दर्शन पाना भी सुगम हो गया है। वृंदावन में इसी तर्ज पर बांके बिहारी मंदिर कॉरिडोर बनाने का इरादा है। इसमें बाधक मंदिर के पुजारी बन रहे हैं। कॉरिडोर से मंदिर और उससे जुड़ी कुंज गलियों के प्राचीन स्वरूप के खंडित हो जाने को लेकर विरोध हो रहा है। पांच सौ वर्ष पुराने स्वरूप में बदलाव पुजारियों को किसी भी हालत में मंजूर नहीं है। इसके विपरीत योगी सरकार ब्रज भूमि के सौंदर्यीकरण और कृष्ण भक्तों को शानदार और आरामदेह सुविधाएं उपलब्ध कराने के पुण्य लाभ का अवसर खोना नहीं चाहती। सीएम के भरोसेमंद मुख्य सलाहकार अवनीश अवस्थी को कॉरिडोर पर सहमति बनाने का जिम्मा सौंपा गया है। पुजारी बताते हैं 2016 से मंदिर कमेटी भंग है। सरकार एक ट्रस्ट के माध्यम से आगे बढ़ रही है। बातचीत भी इसी ट्रस्ट में शामिल वृंदावन के प्रतिष्ठित नागरिकों, संतों और पुजारियों के साथ की जा रही है।
मंदिर के इतिहास की बात करें तो लगभग पांच सौ सालों से संत हरिदास के वंशज गोस्वामी परिवार ठाकुर जी की पूजा अर्चना का दायित्व संभाल रहे हैं। वर्तमान में रजत गोस्वामी और श्रीनाथ गोस्वामी ठाकुर जी के राजभोग और शयन भोग सेवा के प्रभारी हैं। पुजारियों का कहना है कि मंदिर और कुंज गलियों के प्राचीन स्वरूप में किसी भी प्रकार का बदलाव पुजारी परिवार को स्वीकार नहीं है। हम जानते हैं सरकार से जीता नहीं जा सकता। इसीलिए अगर हमारी नहीं चली तो हम मंदिर, चढ़ावा, घर, जमीन, कारोबार सब छोड़कर अपने ठाकुर बांके बिहारी जी को लेकर यहां से चले जाएंगे। इनका दावा है कि वृंदावन से पलायन करने के पुजारियों के फैसले को पंडा सभा और नाविक समूह का भी समर्थन और सहयोग प्राप्त है। सवाल यही है कि करोड़ों श्रद्धालुओं के आराध्य बांके बिहारी जी क्या किसी की निजी सम्पत्ति माने जा सकते हैं?
वृंदावन में पुजारियों के लगभग चार- साढ़े चार सौ परिवार हैं। सीएम की प्रशासनिक टीम पुजारियों को सरकार की भावना के अनुरूप मनाने का प्रयास कर रही है। मुद्दा गर्म है। कोर्ट कचहरी भी हो रही है। सरकार ने कॉरिडोर का ब्लू प्रिंट तैयार कर लिया है। इसके अनुसार तीन एंट्री गेट बनेंगे। कॉरिडोर में पहला हिस्सा मंदिर क्षेत्र और परिक्रमा का होगा। दूसरा हिस्सा 10,600 वर्ग मीटर में और तीसरा निचला हिस्सा 11,300 वर्गमीटर का होगा। यह परियोजना 3 साल में पूरी होगी। 5 एकड़ भूमि पर कॉरिडोर बनेगा। विशाल मल्टीलेवल पार्किंग और यात्री सुविधा केन्द्र बनाने की भी योजना है। रिवर फ्रंट भी बनेगा। कॉरिडोर बनाने की प्रक्रिया में कुंज गलियों के 275 परिवार प्रभावित होंगे। इसमें 200 के लगभग दुकानदार हैं। सरकार दुकान के बदले दुकान और मकान के बदले मकान देने को तैयार है। साथ ही मुआवजा भी मिलेगा। वन और टू बीएचके फ्लैट बनाने के लिए जमीन भी तलाश ली गई है। गोस्वामी परिवार अपने रुख से टस से मस नहीं हो रहा। वृंदावन, बरसाने समेत कुछ स्थानों पर विरोध प्रदर्शन हुए हैं।
वृंदावन के आम नागरिक और कृष्ण भक्तों को कॉरिडोर बनाने से कोई आपत्ति नहीं है। कई लोग तो खुलकर सरकार के साथ खड़े हैं। सांसद हेमा मालिनी गोस्वामी परिवार के साथ कई दौर की बात कर चुकी हैं। हेमा मालिनी के कॉरिडोर के पक्ष में आने से सियासत भी गर्मा गई है। कांग्रेस गोस्वामी परिवार के साथ खड़ी है। ऐतिहासिक, पुरा महत्व के बहाने कॉरिडोर की खिलाफत हो रही है। वर्तमान में बांके बिहारी मंदिर में दर्शन करने के लिए लंबी-लंबी कतारें लगती हैं। घंटों इंतजार और ना छांव है और ना बैठने की ठौर। संकरी गलियों में बनी दुकानों में भी बैठने क्या कभी-कभी तो खड़े रहना भी मुश्किल हो जाता है। कॉरिडोर बनाने से ठाकुर जी के दर्शन आसान हो जाएंगे। लंबी लाइनें तो फिर भी लगेंगी। लेकिन, देश के विभिन्न भागों और विदेशों से आने वाले कृष्ण भक्तों को कतार में बैठने की जगह और गर्मी में कूलर/पंखों की हवा भी मिलेगी। अभी सबसे बड़ी समस्या कार पार्किंग की है। सरकार शहर के बाहर एक हेक्टेयर क्षेत्र में 30 हजार वाहनों की क्षमता वाला पार्किंग स्थल बनाने जा रही है। वहां से श्रद्धालु ई-रिक्शा के जरिए मंदिरों तक पहुंच सकेंगे।
पुजारी बताते हैं कि आठ किलो मीटर से अधिक क्षेत्र में बसे वृंदावन में डेढ़ सौ से अधिक संकरी गलियां हैं। जबकि बांके बिहारी मंदिर परिसर के पास 22 कुंज गलियां हैं। पांच गलियां मंदिर से सटी हैं। इन्हीं पर दर्शनार्थियों का ज्यादा दवाब रहता है। भीड़ भाड़ वाले दिनों में ये सभी गलियां खचाखच भरी रहती हैं। इन कुंज गलियों के रोचक नाम भी हैं। जैसे-भूत, सेवा, होली, प्रेम, मान, दान, गोपी, गोविंद, राजा आदि।
प्रेम और भक्ति रस के प्रतिनिधि कवि रसखान ने ब्रज के प्रति प्रेम का सटीक चित्रण अपने इस सवैया में किया है। कृष्ण भक्ति में यही समर्पण और मधुरता है। ब्रज की माटी और वाणी में आज भी यही भाव रचे-बसे हैं। आप भी पढ़ लीजिए –
मानुष हौं तो वही रसखानि
बसौं ब्रज गोकुल गांव के ग्वारन।
जो पशु हौं तौ कहा बस मेरो
चरौं नित नंद की धेनु मंझारन॥
पाहन हौं तौ वही गिरि को
जो धर्यो कर छत्र पुरंदर धारन।
जो खग हौं तौ बसेरो करौं
मिलि कालिंदी कूल कदंब की डारन॥

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