UNESCO Diwali Heritage: दिवाली बनी यूनेस्को अमूर्त विश्व धरोहर—भारत के लिए ऐतिहासिक उपलब्धि

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दिवाली को यूनेस्को की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत सूची में शामिल किए जाने का ऐतिहासिक क्षण

भारत के लिए यह एक ऐसा क्षण है जिसने न केवल देश के गर्व को बढ़ाया है, बल्कि इसकी सांस्कृतिक विरासत को वैश्विक पहचान भी दिलाई है। दिवाली को अब आधिकारिक रूप से यूनेस्को की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत सूची (Intangible Cultural Heritage List) में शामिल किया गया है। यह निर्णय नई दिल्ली में चल रही यूनेस्को की बैठक में लिया गया, जिससे समूचे भारतीय समाज में खुशी की लहर दौड़ गई।

इस लेख में आप जानेंगे कि दिवाली को यह सम्मान क्यों मिला, इसका भारत के लिए क्या महत्व है, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस पर क्या कहा और भारत की 16 अमूर्त धरोहरों की पूरी सूची कौन-सी है।

UNESCO Diwali Heritage: नई दिल्ली में यूनेस्को की बैठक में दिवाली को मिली वैश्विक मान्यता

नई दिल्ली में 8 से 13 दिसंबर तक यूनेस्को की इंटर-गवर्नमेंटल कमेटी फॉर इंटैन्जिबल हेरिटेज की 20वीं बैठक आयोजित की गई। इसी दौरान दिवाली को अमूर्त विश्व धरोहर सूची में शामिल करने की आधिकारिक घोषणा की गई।

जैसे ही यह घोषणा हुई, पूरा हॉल “वंदे मातरम्” के नारों से गूंज उठा, और भारत के प्रतिनिधियों ने इसे ऐतिहासिक पल बताया।

UNESCO Diwali Heritage: पीएम मोदी ने दिवाली को मिली यूनेस्को मान्यता पर व्यक्त की खुशी

UNESCO Diwali Heritage: दिवाली बनी यूनेस्को अमूर्त विश्व धरोहर—भारत के लिए ऐतिहासिक उपलब्धि 1

दिवाली को यूनेस्को की सूची में शामिल किए जाने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर भारतीयों को बधाई दी।

उन्होंने लिखा—
“दिवाली हमारी संस्कृति और प्रकृति से जुड़ी है। यह हमारी सभ्यता की आत्मा और ज्ञान व धर्म का प्रतीक है। यूनेस्को की सूची में शामिल होने से इसकी वैश्विक लोकप्रियता और बढ़ेगी।”

यह बयान न केवल दिवाली की सांस्कृतिक गहराई को दर्शाता है, बल्कि यह भी बताता है कि यह त्योहार भारत की आध्यात्मिक पहचान का प्रतीक है।

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UNESCO Diwali Heritage: भारत की 16 अमूर्त सांस्कृतिक धरोहरें हुईं शामिल

दिवाली को शामिल किए जाने के बाद भारत की कुल अमूर्त सांस्कृतिक विरासतें अब 16 हो गई हैं।

इससे पहले 2023 में गुजरात का गरबा और 2021 में कोलकाता की दुर्गा पूजा को यह सम्मान मिला था।

अब भारत की सूची इस प्रकार है—

UNESCO Diwali Heritage: भारत की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत सूची (वर्षवार)

धरोहर का नाम शामिल होने का वर्ष
वेद पठन 2008
कुटियट्टम 2008
रामलीला 2008
राम्मन 2009
मुदियेट्टू 2010
कालबेलिया लोक गीत और नृत्य 2010
छऊ नृत्य 2010
लद्दाख में बौद्ध पाठ 2012
मणिपुर का संकीर्तन 2013
जंडियाला गुरु के ठठेरा बर्तन निर्माण 2014
योग 2016
नवरोज 2016
कुंभ मेला 2017
कोलकाता की दुर्गा पूजा 2021
गुजरात का गरबा 2023
दिवाली 2025

यह सूची बताती है कि भारत की सांस्कृतिक विविधता कितनी समृद्ध और व्यापक है।

UNESCO Diwali Heritage: 10 दिसंबर को होगा विशेष दिवाली समारोह

यूनेस्को में दिवाली की एंट्री को सेलिब्रेट करने के लिए केंद्र सरकार ने 10 दिसंबर को एक विशेष समारोह आयोजित करने की घोषणा की है। इसका उद्देश्य दुनिया को भारत की सांस्कृतिक शक्ति और आध्यात्मिक परंपरा से अवगत कराना है।

यह समारोह न केवल भारत की संस्कृति का सम्मान करेगा, बल्कि वैश्विक स्तर पर इसकी पहचान को और मजबूत करेगा।

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UNESCO Diwali Heritage: दिवाली को यह सम्मान क्यों मिला?

दिवाली को यह दर्जा इसलिए मिला क्योंकि—
• यह भारत की प्राचीन सांस्कृतिक परंपरा का हिस्सा है।
• यह प्रकाश, ज्ञान, धर्म और सदाचार का प्रतीक है।
• यह भारत की सामूहिक भावना—एकता, उत्सव और आध्यात्मिकता—का प्रतिनिधित्व करती है।

अब यूनेस्को की सूची में शामिल होने के बाद दिवाली की अंतरराष्ट्रीय पहचान और अधिक बढ़ जाएगी।

UNESCO Diwali Heritage: भारत की सांस्कृतिक शक्ति का नया अध्याय

दिवाली के यूनेस्को सूची में शामिल होने से दुनिया के सामने यह संदेश गया है कि—

भारत न केवल एक प्राचीन सभ्यता है, बल्कि वह अपनी सांस्कृतिक परंपराओं को आधुनिक समय में भी जीवंत रखे हुए है।
यूनेस्को मान्यता ने भारत की धरोहरों को वैश्विक मंच पर मजबूत पहचान दी है, और आने वाले वर्षों में यह संख्या और भी बढ़ सकती है।

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