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राकेश कुमार/वैशाली कहते हैं शास्त्रीय ज्ञान सामाजिक ज्ञान से कहीं अधूरा होता है।व्यक्ति अपने जीने के साथ अंश मात्र भी समाज के लिए जीता है तो समाज उसे याद करने के कायल हो जाता है।विद्वान होना अलग बात है और बुद्धिमान होना अलग।एक बुद्धिमान व्यक्ति को सामाजिक संरचना का जितना अधिक तजुर्बा होता है उतना विद्वान व्यक्ति को नही।

समाज के गरीब-गुरबो के जीवन स्तर को ऊंचा उठाने में शिक्षा जैसी व्यवस्था की भूमिका की अहमियत समझने वाले व्यक्ति थे विश्वनाथ बाबू जिन्होंने अपनी बिरादरी के शैक्षणिक उत्थान के साथ-साथ दूसरी बिरादरी के लोगों को भी साथ लेकर चलते थे।इसी का नतीजा था कि गोरौल प्रखंड स्थित मधुरापुर गांव में 1980 में श्री ठगन सिंह ठाकुर प्रसाद (जो उनके पिता के)नाम से एक उच्च विद्यालय की स्थापना करायी थी जो राज्य सरकार से सम्बद्धता प्राप्त कर आज तक बालिका की उच्च शिक्षा के क्षेत्र में मील का पत्थर साबित हो रहा है।उक्त बातें आज गोरौल के मजीराबाद गांव में स्वर्गीय विश्वनाथ सिंह के श्राद्धकर्म के दूसरे दिन आयोजित बारहगामा(बरगामा) के मौके पर बोलते हुए वैशाली विधानसभा के नवनिर्वाचित विधायक सिद्धार्थ पटेल उर्फ चुन्नू पटेल ने कही।मौके पर उपस्थित अखिल भारतीय कुर्मी क्षत्रिय महासभा के प्रांतीय अध्यक्ष डॉ० अखिलेश कुमार सिंह ने कहा कि स्वर्गीय विश्वनाथ बाबू जाति और बिरादरी से ऊपर ऊठे लोग थे।वे दूसरे समाज में भी शिक्षण संस्थानों के लिए यथा संभव अर्थ दान करते रहे।उन्होंने अपने विद्यालय में अध्ययनरत छात्राओं के लिए सरकार से साईकिल के लिए मिली राशि में अपनी राशि जोड़कर साईकिल मुहैया करवाई थी।इस तरह समाज के लिए उनके किये कार्य अविस्मरणीय है और उन्हे समाज के सजग प्रहरी के रुप में याद किया जाता रहेगा।

स्वर्गीय सिंह के व्यक्तित्व और कृतित्व पर प्रकाश डालने वालों में जदयू नेता रामओकार पटेल,पूर्व प्रमुख व मुखिया रामसागर सिंह,सरपंच संघ के पूर्व जिलाध्यक्ष भगवान सिंह,सुनिल कुमार मुन्ना,नितू सिंह,मुखिया रवि ठाकुर,पूर्व मुखिया अवधेश्वर सिंह,रामकरण राय,मनिष पांडे,पवन कुमार, मुकेश कुमार सिंह,वार्ड पार्षद मो० मोतीम, जयप्रकाश पटेल,बच्चा प्रसाद सुमन,दिनेश पटेल आदि प्रमुख थे।

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