बिहार में मिनी दार्जिलिंग के नाम से मशहूर किशनगंज जिला महाभारत के कई आख्यानों से जुड़ा है। मुस्लिम बहुल इस जिले में जनता का नब्ज टटोलना नेताओं के लिए काफी मुश्किल है। यहां की जनता अंतिम क्षण में निर्णय लेने के लिए जानी जाती है। यही कारण रहा कि वर्ष 2019 में हुए विधानसभा उपचुनाव में अप्रत्याशित परिणाम सामने आया और कांग्रेस को अपनी परंपरागत सीट गंवानी पड़ी थी। यहां से एमआईएम पार्टी ने बिहार में पहली बार खाता खोला था।
किशनगंज विधानसभा सीट 1952 में बनी थी और पहले विधायक रावतमल अग्रवाल थे। इस विधानसभा क्षेत्र में पूरे शहर के अलावा मोतिहारा तालुका, सिंधिया कुलामणि, हालामाला व किशनगंज, पोठिया ब्लॉक शामिल हैं। इस विधानसभा सीट पर पहले आम चुनाव से लेकर 2019 तक आठ बार कांग्रेस का कब्जा रहा है। 2015 के विधानसभा चुनाव में यहां से कांग्रेस के डॉ. मो. जावेद आजाद विधायक चुने गए थे। वर्ष 2019 में हुए लोकसभा चुनाव में उन्हें कांग्रेस ने उम्मीदवार बनाया था। इसमें उन्होंने जदयू उम्मीदवार महमूद अशरफ को पटखनी दी थी। उसके बाद यह सीट खाली हो गयी। वर्ष 2019 में हुए विधानसभा उपचुनाव में कांग्रेस ने सांसद डॉ. मो जावेद आजाद की मां साईदा बानो को उम्मीदवार बनाया था।
उनको जनता ने नकार दिया और यहां से एमआईएम उम्मीदवार मो. कमरुल होदा को जीत हासिल हुई। राजनीतिक जानकारों की मानें तो कांग्रेस उम्मीदवार को कांग्रेस कार्यकर्ताओं के भीतरघात का भी सामना करना पड़ा था। यही वजह रही कि यहां दूसरे नंबर पर भाजपा उम्मीदवार स्वीटी सिंह रही। कांग्रेस उम्मीदवार को तीसरे नंबर पर जाना पड़ा। इस बार के चुनावी दंगल में भी जोर-आजमाइश शुरू हो गयी है।
कांग्रेस ने इस बार यहां से इजहारूल हुसैन को टिकट दिया है। वहीं मो. कमरुल होदा को एआईएमआईएम ने फिर से अपना उम्मीदवार बनाया है। बीजेपी को इस बार फिर स्वीटी सिंह से उम्मीदें हैं। ऐसे में लड़ाई त्रिकोणिय हैं। कांग्रेस को अपनी सीट वापस लेनी है तो एआईएमआईएम को अपनी सीट बचानी है। वहीं दूसरे नंबर पर रहने वाली बीजेपी इस बार मुस्लिम बहुल क्षेत्र में किसी चम्तकार के होने के इंतजार में है।
पूर्वोत्तर भारत का है प्रवेश द्वार
बांग्लादेश की सीमा से महज 25 किमी दूर और नेपाल की सीमा से सटा किशनगंज पूर्वोत्तर भारत का प्रवेश द्वार कहा जाता है। यह जिला उत्तर पूर्व के सात राज्यों को रेल व सड़क मार्ग से जोड़ता है। चाय, अनानास, जूट, तेजपत्ता और सुरजापुरी आम इस क्षेत्र की खास पहचान है। हाल में रेशम उत्पादन से भी इस जिले की पहचान बनी है।