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डॉ इंद्र बली मिश्रा

काशी हिंदू विश्वविद्यालय

हिंदू धर्म में कई व्रत-त्योहार मनाए जाते हैं। जिनमें से एक जिउतिया व्रत भी है। इस व्रत को जीवित्पुत्रिका और जितिया व्रत भी कहा जाता है। यह व्रत प्रत्येक वर्ष आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। इसे जितिया व्रत भी कहा जाता है। इस व्रत को माताएं संतान प्राप्ति और उनकी लंबी आयु की कामना के लिए रखती हैं। इसे सभी व्रतों में कठिन माना जाता है। माताएं अपने संतान की खुशहाली के लिए जितिया व्रत निराहार और निर्जला रखती हैं। इस साल यह पर्व 28 सितंबर से शुरू होकर 30 सितंबर तक चलेगा।

नहाए खाए के साथ शुरू होगा व्रत

जीवित्पुत्रिका व्रत 28 सितंबर को नहाए खाए के साथ शुरू होगा। 29 सितंबर को पूरे दिन निर्जला व्रत रखा जाएगा। 30 सितंबर को व्रत का पारण किया जाएगा।

जीवित्पुत्रिका व्रत का महत्व

जीवित्पुत्रिका व्रत संतान प्राप्ति और उसकी लंबी आयु की कामना के साथ किया जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस व्रत को करने से संतान के सभी कष्ट दूर होते हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार, महाभारत काल में भगवान श्रीकृष्ण ने अपने पुण्य को अर्जित करके उत्तरा के गर्भ में पल रहे शिशु को जीवनदान दिया था, इसलिए यह व्रत संतान की रक्षा की कामना के लिए किया जाता है

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