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नरेंद्र मोदी की सरकार अगले एक-दो दिनों में कोरोना के खिलाफ वैक्सीनेशन अभियान के तहत 100 करोड़ भारतीयों को डोज लगाकर इतिहास रचने वाली है। ऐसे में भाजपा के युवा राष्ट्रीय नेता श्री ऋतुराज सिन्हा ने केंद्र सरकार के इस ऐतिहासिक कृतिमान पर कहा कि मोदी सरकार की कार्यशैली का अध्ययन करने पर एक बात तो स्पष्ट ध्यान आती है कि ये चैलेंज लेने वाली सरकार है । ये बड़े लक्ष तय कर के, रिज़ल्ट का रिपोर्ट कार्ड देने वाली सरकार है। जहां एक टीका बनाने में 9-10 साल लगते थे, भारत ने महज नौ महीने में ही दो-दो स्वदेशी वैक्सीन का ईजाद कर दिया। भारत 100 करोड़ टीके लगाने के कीर्तिमान स्थापित करने के दहलीज पर है तो इसकी सबसे बड़ी वजह है- आत्मविश्वास, और इस आत्मविश्वास का आधार बना है भारत और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के रूप में उसका मौजूदा नेतृत्व जो चुनौतियों और समस्याओं से टकराने में विश्वास रखता है।

श्री सिन्हा ने कहा कि जब 16 जनवरी को टीकाकरण अभियान की शुरुआत हुई तब विशेषज्ञ यह बता रहे थे कि सिर्फ फ्रंटलाइन वर्कर्स तक ही पहुंचने में 8-9 महीने का समय लग जाएगा। लेकिन इतने ही समय में भारत ने 70 फीसदी से अधिक आबादी तक वैक्सीन को पहुंचा दिया है। देश को सुरक्षित करने का संकल्प और उसे पूरा करने का आत्मविश्वास इतना मजबूत था कि 10 करोड़ टीके लगने के बाद अगले पांच महीनों में टीकाकरण की गति छह गुना से भी अधिक बढ़ गई और यह दुनिया का सबसे तेज व सबसे बड़ा टीकाकरण अभियान बन गया। ये माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी की दूरदृष्टी और उनके कृतसंकल्प का परिणाम था।

भाजपा नेता श्री ऋतुराज सिन्हा ने आगे कहा कि इस कृतसंकल्प को पूरा करने में बिहार ने अपनी महती भुमिका निभाई है। बिहार की जनसंख्या भारत कुल जनसंख्या का 8.58% है। बिहार भारत का तीसरा सर्वाधिक जनसंख्या वाला राज्य है और क्षेत्रफल के मुताबिक देश में 13वां स्थान है। 9 अक्टूबर तक प्रदेश में कुल 6,02,30,322 व्यक्तियों को कोरोना वैक्सीन दिया जा चुका है। इससे पहले, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जन्मदिन के मौके पर 17 सितंबर को बिहार ने एक नया रिकार्ड बनाया था। इस दिन 30 लाख 67 हजार 918 लोगों का टीकाकरण कर बिहार ने नया स्वर्णिम अध्याय लिखा है और देश में बिहार प्रथम स्थान पर है। अब इस साल के दिसम्बर तक 8 करोड़ का लक्ष्य रखा गया है।

श्री ऋतुराज सिन्हा ने पुरानी सरकारों पर तंज कसते हुए कहा कि पिछले 50-60 साल का इतिहास देखा जाए तो पता चलेगा कि भारत को विदेशों से वैक्सीन प्राप्त करने में दशकों लग जाते थे। 2014 में भारत में वैक्सीनेशन कवरेज 60 फीसदी तक था। जिस रफ्तार से टीकाकरण चल रहा था उससे 100 फीसदी कवरेज हासिल करने में 40 साल और लग जाते। लेकिन केंद्र सरकार के मिशन मोड में चले ‘इंद्रधनुष’ जैसे अभियान से सिर्फ 5-6 साल में ही वैक्सीनेशन कवरेज 60 से बढ़कर 90 फीसदी से भी ज्यादा हो गई। यानी आजादी के बाद लंबे समय तक जो सरकार चल रही थी उस पर “सौ दिन चले, ढाई कोस” वाली कहावत चरितार्थ होती थी। लेकिन, प्रधानमंत्री मोदी ने इस कहावत को अपने ‘स्पीड-स्केल’ के सिद्धांत से पूरी तरह बदल दिया है। इस टीकाकरण के महाअभियान ने बता दिया है कि अब नया भारत सौ दिन में ढ़ाई कोस नहीं, बल्कि ढ़ाई दिन में सौ कोस चलने की क्षमता रखता है।

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