बिहार में धान खरीद सहकारिता विभाग ने प्रक्रिया पूरी कर ली है। धान खरीद के लिए जहां 4000 एजेंसियों का चयन किया गया है वहीं बेचने के लिए अब तक 72 हजार किसानों ने निबंधन कराया है। इसके साथ ही चार जिलों में किसानों से खरीद शुरू भी हो गई है। सरकार ने पैक्सों को पैसा दे दिया और किसानों का निबंधन भी तेजी से होने लगा।
राज्य सराकर ने तीस लाख टन धान खरीदने का लक्ष्य तय किया है। इतनी खरीद होती है तो लगभग 5500 करोड़ रुपये किसानों को बतौर कीमत मिलेंगे। सरकार ने इसका 40 प्रतिशत पैसा मंजूर कर दिया, लेकिन पैक्सों को अभी लगभग 1120 करोड़ यानी 20 प्रतिशत का ही कैश क्रेडिट (सीसी) लिमिट दी गयी है। पूरे पैसे का लिमिट इसलिए अभी नहीं दिया गया है कि पैक्सों को सूद अधिक नहीं देना पड़े। जैसे-जैसे वह खर्च करेंगे लिमिट बढ़ती जाएगी।
सहकारिता विभाग में धान बेचने के लिए अब तक 72 हजार किसानों ने निबंधन कराया है। धान की कटनी के साथ ही किसानों के निबंधन की गति भी तेज हो गई है। गत वर्ष इस समय तक मात्र 20 हजार 226 किसानों ने ही निबंधन कराया था। हालांकि इस वर्ष विभाग ने निबंधन की प्रक्रिया भी पहले शुरू कर दी थी। इसका लाभ किसानों को मिला है।
धान खरीद के लिए हर जिले में पैक्सों का चयन किया गया है। सभी जिलों में लगभग चार हजार समितियों का चयन हो चुका है। इन समितियों में लगभग 2500 की मैपिंग भी पोर्टल पर कर दी गई है। जिन समितियों की मैपिंग हो गयी है वह धान खरीद के लिए स्वतंत्र हो गई हैं।
चार जिले के किसानों ने धान खरीद की बोहनी कर दी है। भोजपुर, बक्सर, नालंदा और मुंगेर जिलों में लगभग 18 किसानों ने धान बेचा है। इन किसानों से अब तक 107 टन धान की खरीद हुई है। दूसरे अन्य जिले के जिन किसानों का धान तैयार है एजेन्सियां खरीद की तैयारी कर रही हैं।
किसानों की बड़ी समस्या धान में नमी का अधिक होना है। जिन किसानों ने धान सुखा लिखा है। उन्हें तो कोई पेरशानी नहीं हो रही है, लेकिन ऐसे किसानों की संख्या बहुत कम है। उनके पास सुखाने के लिए जगह नहीं है। सरकार 17 प्रतिशत तक नमी वाला धान ही खरीदती है, जबकि अभी धान में 20 से 22 प्रतिशत तक नमी है।