- Advertisement -

बिहार में इस वर्ष कोरोना काल के दौरान अप्रैल से अक्टूबर तक प्रतिदिन औसतन 17 एचआईवी संक्रमित मिले। राज्य में इस दौरान 201 बच्चों सहित 3570 सामान्य व्यक्ति एचआईवी संक्रमित पाए गए। कोरोना जांच के समांतर ही एचआईवी/एड्स की भी जांच राज्य के एचआईवी जांच केंद्रों के माध्यम से की गयी।

इस दौरान दूसरे प्रदेशों से भी बड़ी संख्य में प्रवासी बिहारियों का आगमन बिहार में हुआ। बिहार एड्स नियंत्रण समिति के अनुसार अप्रैल से अक्टूबर के मध्य सभी 38 जिलों में की गई एचआईवी जांच के दौरान सामान्य व्यक्तियों के साथ ही एचआईवी संक्रमित महिलाओं के बच्चों में भी एचआईवी का संक्रमण पाया गया। समिति के अनुसार कोरोना काल के दौरान अब तक 11 लाख 58 हजार 784 सैंपल की एचआईवी जांच की जा चुकी है।

पटना में सर्वाधिक 604 व्यक्ति, 15 बच्चे
प्राप्त जानकारी के अनुसार इनमें पटना में सर्वाधिक 604 सामान्य व्यक्ति तो 15 बच्चे एचआईवी संक्रमित पाए गए हैं। जबकि पूर्वी चंपारण में 261 एचआईवी संक्रमितों की पहचान हुई। इनमें 246 सामान्य व्यक्ति और 15 बच्चे शामिल हैं। सारण में 226 एचआईवी संक्रमित पाए गए। इनमें 215 सामान्य एवं 11 बच्चे एचआईवी संक्रमित मिले। सर्वाधिक 16 बच्चे सीतामढ़ी में एचआईवी संक्रमित मिले हैं। भागलपुर में 158 सामान्य व 10 बच्चे, वैशाली में 158 सामान्य व 5 बच्चे, दरभंगा में 164 सामान्य व 11 बच्चे, मुजफ्फरपुर में 185 सामान्य व 6 बच्चे, मधुबनी में 131 सामान्य व 10 बच्चे, गोपालगंज में 116 सामान्य व 6 बच्चे एचआईवी संक्रमित पाए गए हैं।

अगर साल के हिसाब से देंखें तो बिहार के नवादा में सबसे पहले साल 1992 में एचआईवी संक्रमित मरीज पाय गया था। देखते देखते यह संक्ष्या साल 2006 में 10,000 के पार पहुंच गई। हाल के सालों में एचआईवी संक्रमितों की संख्या की बात करें तो

वर्ष सामान्य संक्रमित बच्चे संक्रमित
2016-17 10771 468
2017-18 11070 636
2018-19 11034 549
2019-20 9930 548
2020-21 3369 (अप्रैल से अक्टूबर ) 201

बताते चलें कि बिहार में एचआईवी/एड्स संक्रमितों की शिकायतों के निबटारे को लेकर स्वास्थ्य विभाग के निदेशक प्रमुख, (रोग नियंत्रण, लोक स्वास्थ्य पारा मेडिकल) स्वास्थ्य सेवाएं को तात्कालिक व्यवस्था के तहत लोकपाल नियुक्त किया गया है। एचआईवी एवं एड्स (निवारण एवं नियंत्रण) विधेयक, 2017 केंद्र सरकार के द्वारा पारित किया गया है। इस विधेयक में दिए गए प्रावधानों के तहत बिहार में उन्हें अधिसूचित किया गया है।

हालांकि इस विधेयक के अनुसार राज्य में भी विधेयक का प्रस्ताव तैयार कर विधि विभाग की मंजूरी के लिए स्वास्थ्य विभाग के द्वारा भेजा गया है। लेकिन कोरोना महामारी के कारण विधेयक का प्रस्ताव तैयार करने में देरी हो गई और इस बार जब सदन चला तो इस विधेयक को उतनी तवज्जो नहीं दी गई कि इसे विधानसभा में रखा जाए। खैर आपको बताते चलें कि एड्स कोरोना की तरह वह बिमारी तो नहीं है जो साथ बैठने, खाने—पीने, या हाथ मिलाने से फैल जाए लेकिन इसके संक्रमितों के संग वैसा ही व्यवहार समाज करता है जैसा आज कोरोना संक्रमितों के संग हो रहा है। आज जिस कोरोना को लेकर न्यू नॉर्मल की बात हो रही है उससे एचआईवी वाले पहले ही गुजर चुके हैं। बताते चलें कि समय के साथ एचआईवी का वायरस अब पहले की तरह नहीं रहा है लेकिन आज भी इस बिमारी का कोई ईलाज नहीं है।

- Advertisement -

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here