पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न स्वर्गीय अटल बिहारी बाजपेई जी के जन्मदिन के अवसर पर सॅंगत-पॅंगत एवं नीरज स्मृति न्यास के संयुक्त तत्वावधान में अटल काव्यांजलि का भव्य आयोजन किया जा रहा है. रविवार 27 दिसंबर 2020 को प्रातः 11 बजे से दोपहर 2 बजे तक ॲानलाइन प्लेटफार्म पर डिजिटली अटल काव्यांजलि का भव्य आयोजन किया जाएंगा.
इस कार्यक्रम में कई मशहुर कवि शामिल होगें. कार्यक्रम के अटल जी के परम सहयोगी रहे शिवकुमार जी मुख्य अतिथि होगें एवं विशिष्ट अतिथि के तौर पर भारत सरकार के पूर्व मॅंत्री डॉक्टर सत्यनारायण जी जटिया शामिल होगें. डॉ कुंवर बेचैन ,डॉ बुद्धिनाथ मिश्रा, डॉ विष्णु सक्सेना, डॉ सुनील जोगी, डॉ सीता सागर, मनवीर मधुर , श्री राधाकांत पांडेय, श्री चरणजीत चरण आदि! डॅा. जटिया अपनी कविताओं के अतिरिक्त स्वर्गीय अटल जी की कुछ कविताओं की भी
प्रस्तुति इस कार्यक्रम देंगे
25 दिसंबर 1924 के दिन अटल बिहारी वाजपेयी का जन्म मध्य प्रदेश के ग्वालियर में हुआ था. अटल जी एक महान कवि थे. उसकी कई कविताएं लोगों की जुवान पर छायी रहती है. जिसमें हार नहीं मानूँगा, रार नहीं ठानूंगा जैसी कविताएं आज भी लोगों की जुबान पर चड़ी रहती है. अटल जी खुद कहा करते थे वो नेता बाद में कवि पहले हैं. अटल जी की शब्द और भाव पर पकड़ जबरदस्त थी. जिसके कारण जब वो भाषण देते थे तो एक समा बांध दिया करते थे.
अटल बिहारी वाजपेयी ने अपनी पार्टी को 2 सांसदों से शुरू करके दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी बना दिया. अटल जी संयम, कर्मयोग, राष्ट्रवाद और ईमानदारी के लिए जाने जाते थे. यही वजह है कि उनके विरोधी हों या समर्थक, सभी उनका सम्मान करते थे.अटल बिहारी वाजपेयी गठबंधन के नेता थे, सबको साथ लेकर चलते थे. वो हर जाति, संप्रदाय और विचारधारा के लोगों में लोकप्रिय थे और उनकी राजनीति, किसी से वैचारिक विरोध के बाद भी बातचीत का सिलसिला नहीं तोड़ती थी. सरकार की आलोचना और आरोप पर अटल जी की बातों से भारत के जननायक आज भी सीख ले सकते हैं.