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Desk: बिहार में जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल से स्वास्थ्य व्यवस्था बिगड़ा गई है. राज्य के मेडिकल कॉलेजों से पलायन जारी है तो वहीं सबसे ज्यादा पीएमसीएच में हड़ताल का असर दिख रहा है. पीएमसीएच में हड़ताल के दौरान लगभग 11 मरीजों की मौत हो गई है जबकि 400 से ज्यादा मरीज पलायन कर चुके हैं. अस्पताल के इमरजेंसी में भी भगवान भरोसे ही मरीजों का इलाज चल रहा है. राज्य के 1300 जूनियर डॉक्टर हड़ताल पर हैं तो वहीं पीएमसीएच में 600 डॉक्टर हड़ताल पर हैं. स्टाइपेंड में बढ़ोतरी को मांग को लेकर बिहार में 8वें दिन भी जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल है.

स्वास्थ्य मंत्री और प्रधान सचिव से मौखिक आश्वासन मिलने के बावजूद जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल नहीं टूटी. उनके तमाम तरह के आश्वासन और आग्रह के बाद भी जूनियर डॉक्टर अपनी जिद पर अड़े रहे और बिना लिखित आश्वासन के काम पर लौटने से साफ मना कर दिया.

आपको बता दें कि मरीजों की परेशानी को देखते हुए स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे के आवास पर जूनियर डॉक्टरों के प्रतिनिधियों की बात प्रधान सचिव से फोन पर हुई. इस अवसर पर पीएमसीएच के अधीक्षक डॉ बिमल कारक और प्राचार्य डॉ बीपी चौधरी भी मौजूद थे. उनकी मौजूदगी में प्रधान सचिव ने जूनियर डॉक्टरों को काम पर लौटने का आग्रह किया और यह भी कहा कि अगले कुछ दिनों में उनकी मांगों को पूरा कराने का प्रयास किया जाएगा. आईएमए अध्यक्ष के रूप में डॉ बिमल कारक ने भी जूनियर डॉक्टरों की लड़ाई में उनका साथ देने का भरोसा दिया. साथ ही यह भी लिखित आश्वासन देने को तैयार हुए कि अगले एक महीने में उनके स्टाइपेंड पर ठोस निर्णय नहीं हुआ तो आइएमए उनकी लड़ाई लड़ेगा. बावजूद इसके जूनियर डॉक्टर हड़ताल तोड़ने पर राजी नहीं हुए.

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