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पटना डेस्कः लोकसभा चुनावों को लेकर बिहार में विपक्षी गठबंधन के दलों के बीच सीट-बंटवारे की बातचीत अभी अधर में है। इस बीच राजद, जदयू और कांग्रेस के लिए उससे पहले ही एक बड़ी चुनौती राज्यसभा चुनाव भी है। बिहार से राज्य सभा की 6 सीटें इसी वर्ष अप्रैल में खाली हो रही हैं। इसमें मौजूदा समय में पांच सीटें इंडिया गठबंधन के खाते में है। फिलहाल राजद और जदयू के पास 2-2 राज्य सभा की सीटें हैं जबकि कांग्रेस के पास एक सीट है। वहीं रिक्त होने वाली एक सीट पर भाजपा का कब्जा है। 

दरअसल, बिहार से छह राज्यसभा सीटों के लिए द्विवार्षिक चुनाव भी मार्च में होने वाले हैं। भाजपा के सुशील कुमार मोदी, राजद के मनोज झा और अशफाक करीम और जदयू के बशिष्ठ नारायण सिंह और अनिल हेगड़े के साथ कांग्रेस के अखिलेश प्रसाद सिंह का कार्यकाल 2 अप्रैल को समाप्त हो रहा है। ऐसे में इंडिया और भाजपा दोनों की ओर से राज्यसभा चुनाव में अपने लिए अधिकाधिक सीटें जीतने पर अभी से मंथन जारी है। वहीं किन नेताओं को राज्य सभा भेजा जाए इसे लेकर भी दोनों ओर से कई नेताओं की देवादारी है। 

राज्यसभा का चुनाव जीतने के लिए कम से कम 37 विधायकों के समर्थन की जरूरत होती है। ऐसे में विधान सभा में दलीय स्थिति देखें तो कुल 243 सीटें हैं. इसमें राजद के सर्वाधिक 79 विधायक हैं। वहीं जदयू के 45, कांग्रेस के 19, वामदलों के 16 (भाकपा माले 12, भाकपा 2 और माकपा 2 ) जबकि एक निर्दलीय विधायक हैं। वहीं एनडीए का संख्या बल देखें तो भाजपा के 78 और हम के 4 विधायक हैं। वहीं विपक्ष में एक विधायक एआईएमआईएम का है। यानी राजद जहाँ आसानी से अपनी दोनों राज्य सभा की सीटें बचा लेगा, वहीं भाजपा और हम के 82 विधायक होने से इस बार एनडीए को भी 2 राज्य सभा की सीटें आसानी से मिल जाएंगी।

राज्यसभा चुनाव में सबसे बड़ी दुविधा में कांग्रेस और एक सीट का नुकसान जदयू को होता दिख रहा है। कांग्रेस के सिर्फ 19 विधायक हैं। ऐसे में अखिलेश सिंह को अगर दूसरी बार राज्यसभा भेजने पर कांग्रेस सहमत होती है तो उसे 37 विधायकों का समर्थन हासिल करने के लिए सहयोगी दलों पर निर्भर रहना होगा। साथ ही लोकसभा सीटों को लेकर कांग्रेस 9 संसदीय क्षेत्रों में चुनाव लड़ने का दावा ठोंक रही है। माना जा रहा है कि कांग्रेस से सीट साझा करने पर राजद-जदयू उन्हें राज्य सभा की सीट छोड़ने का दबाव बना सकती है। अगर ऐसा हुआ तो यह कांग्रेस के लिए बड़ा झटका होगा। 

वहीं अगर बात जदयू की करें तो माना जा रहा है कि इस बार बशिष्ठ नारायण सिंह का टिकट कट जाएगा। वे पिछले लम्बे समय से उम्र सम्बंधी चुनौतियों से जूझ रहे हैं। वहीं अनिल हेगड़े को पार्टी फिर से राज्य सभा भेज सकती है। लेकिन जदयू की कोशिश राज्यसभा की दूसरी सीट पर भी कब्जा करने की होगी। इसके लिए वह राजद, वाम दलों और अपनी पार्टी के शेष बचे वोटों के सहारे दूसरी सीट बचाने की कोशिश करेगी। इसे लेकर राजद और कांग्रेस से भी नीतीश कुमार के बात करने की खबर है।

राजद की ओर से मनोज झा को लगातार दूसरी बार राज्य सभा भेजे जाने की पूरी तैयारी दिख रही है. मौजूदा समय में मनोज झा राज्य सभा में सबसे प्रभावशाली तरीके से अपनी बातों को रखने के लिए जाने जाते हैं. कहा जाता है कि लालू-तेजस्वी के बयानों को भी वही तैयार करते हैं. इसलिए पार्टी उन्हें राजद की राज्य सभा में दमदार मौजूदगी के लिए फिर से उच्च सदन भेज सकती है. वहीं अशफाक करीम को लेकर कहा जा रहा है कि पार्टी इस बार उन्हें लोकसभा चुनाव में उतार सकती है. उनकी जगह किसी दूसरे नेता को लालू यादव राज्य सभा के लिए सेट कर सकते हैं। 

हालांकि भाजपा में भी राज्य सभा की सीटों पर दावा ठोकने वालों की कोई कमी नहीं है. सुशील मोदी को लेकर कहा जा रहा है कि पार्टी इस बार उन्हें लोकसभा चुनाव में टिकट दे सकती है. उनकी जगह किसी दूसरे नेता को राज्य सभा भेजा जा सकता है. कुछ महीने पूर्व ही पीएम मोदी ने भाजपा के राज्य सभा सांसदों को कहा था कि आम भी सीधे जनता से चुनकर आने की तैयारी करें. यह एक बड़ा संकेत है. हालांकि सुशील मोदी की लोकप्रियता को देखते हुए पार्टी एक बार फिर से उन्हें भेज सकती है. वहीं दूसरी सीट पर कई नेताओं की नजर बताई जा रही है. कहा जा रहा है कि आगामी लोकसभा चुनाव में कुछ सांसदों का भाजपा टिकट काटेगी. ऐसे ही किसी नेता को राज्य सभा में सेट किया जा सकता है।

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