mamta banerjee
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ashok bhatia
Ashok Bhatia

पश्चिम बंगाल सरकार ने गुरुवार को आंदोलनरत डॉक्टरों को एक बार फिर बातचीत के लिए आमंत्रित किया था । लेकिन यह बैठक नहीं हो सकी। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद, ममता बनर्जी सरकार ने कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल कांड के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे जूनियर डॉक्टरों से तीसरी बार बातचीत का प्रस्ताव रखा था। हड़ताली डॉक्टर मीटिंग की लाइव स्ट्रीमिंग की मांग पर अड़े रहे, जिसके चलते बातचीत संभव नहीं हो पाई। मुख्यमंत्री बनर्जी ने करीब दो घंटे तक कॉन्फ्रेंस हॉल में डॉक्टरों के प्रतिनिधिमंडल का इंतजार किया, लेकिन वे नहीं पहुंचे। जब डॉक्टर नहीं आए तो उन्होंने लाइव आकर कहा कि मैं जनता से माफी मांगती हूं। उन्होंने यहां तक कह दिया कि वे इस्तीफा देने के लिए भी तैयार हैं। डॉक्टरों ने राज्य सरकार से पूरी बैठक का लाइव टेलीकास्ट करने की मांग की थी, जिसे सरकार ने नहीं माना। सरकार बैठक रिकॉर्ड कर उसका वीडियो देने के लिए तैयार थी।

गौरतलब है कि पश्चिम बंगाल में 34 सालों के वाममोर्चा के शासन के दौरान ममता बनर्जी ने लेफ्ट को कड़ी चुनौती दी और साल 2011 में लेफ्ट का शासन का खात्मा कर मुख्यमंत्री की कुर्सी पर आसीन हुईं। लगभग 13 सालों के शासन में ममता बनर्जी को 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा से कड़ी चुनौती मिली, लेकिन साल 2021 के विधानसभा चुनाव में तीसरी बार उन्होंने सत्ता में वापसी की। लड़ाकू नेता के रूप में जानी जाने वाली ममता बनर्जी कभी भी अपने विरोधियों के आगे नहीं झुकी हैं।

भ्रष्टाचार से लेकर विभिन्न घोटालों के आरोप में विपक्ष लगातार इस्तीफा की मांग करता रहा है, लेकिन कभी ममता ने कभी ऐसा नहीं कहा कि वह इस्तीफा देने के लिए तैयार हैं, लेकिन कोलकाता में लेडी डॉक्टर की रेप-मर्डर मामले में जूनियर डॉक्टरों के आंदोलन ने ऐसा क्या कर दिया कि उन्होंने इस्तीफे की पेशकश कर दी? उन्होंने छात्र राजनीति और राज्य की राजनीति से लेकर नंदीग्राम और सिंगूर आंदोलन को नेतृत्व दिया है। कभी झुकी नहीं। लेकिन क्या डॉक्टरों के आंदोलन के सामने ममता बनर्जी झुक गयी हैं ? या यह क्या उनकी रणनीति है?

नौ अगस्त को कोलकाता के आरजी कर अस्पताल में लेडी डॉक्टर का शव मिला। शव मिलने के बाद अस्पताल के प्रबंधकों ने पहले इसे आत्महत्या करार दिया, लेकिन बाद में पोस्टमार्टम से पुष्टि हुई है कि लेडी डॉक्टर की रेप कर हत्या की गयी है। इस मामले में एक आरोपी सिविक वॉलेंटियर संजय रॉय को अरेस्ट भी किया गया, लेकिन कलकत्ता हाईकोर्ट ने सीबीआई जांच का आदेश दे दिया। कॉलेज के प्रिंसिपल संदीप घोष पर भ्रष्टाचार और सबूतों के साथ छेड़छाड़ करने के आरोप लगे। ईडी ने भी आरजी कर में वित्तीय अनियमितता की जांच शुरू की है, लेकिन न्याय की मांग पर पूरे देश में आंदोलन जारी है।

कोलकाता सहित पूरे देश में रिक्लेम द नाइट से लेकर लाइट बंद कर रात को आंदोलन हुए। जूनियर डॉक्टर्स लगातार हड़ताल पर हैं। मेडिकल कॉलेज में सेवाएं बाधित हैं। ममता बनर्जी ने दावा किया है कि इलाज के अभाव में 27 रोगियों की मौत हो चुकी है। इस परिपेक्ष्य में राज्य सरकार ने आंदोलनरत डॉक्टरों से बातचीत का आह्वान किया। मुख्य सचिव मनोज पंत ने डॉक्टरों को बातचीत के लिए आमंत्रित किया। तीन दिनों तक आमंत्रण का दौर चला और अंततः डॉक्टर राज्य सचिवालय नबान्न आए भी, लेकिन बातचीत नहीं हो सकी।

उसके बाद ममता बनर्जी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा की कुछ लोग न्याय नहीं चाहते। उन्हें सत्ता की कुर्सी चाहिए। मेरा बहुत अपमान हुआ है। मेरी सरकार का अपमान किया गया है। मेरा दिल रो रहा है। वे छोटे हैं, मैं उन्हें क्षमा करती हूं। मैं लोगों से माफी मांगती हूं। तीन दिन तक प्रयास किया, लेकिन समाधान नहीं हो सका।अब मैं इनके साथ बैठक नहीं करूंगी। यदि बैठक होगी तो डीजी और मुख्य सचिव बैठक करेंगे।

भाजपा नेता शुभेंदु अधिकारी ने ममता पर पलटवार करते हुए कहा कि सरकार ने अदालत को प्रभावित करने के लिए नबान्न के बैठक कक्ष की तस्वीरें प्रकाशित की हैं। बैठक के लाइव टेलीकास्ट का सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई से कोई लेना-देना नहीं है।सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई का भी सीधा प्रसारण किया जाता है। जो चर्चा होनी थी उससे अदालत की अवमानना का कोई लेना-देना नहीं है। ये सब नाटक है। उसका नकाब खुलने की संभावना थी। अतः उन्होंने उचित मांग स्वीकार नहीं की। वह नहीं चाहती कि गतिरोध खत्म हो।

वहीं, आंदोलनरत जूनियर डॉक्टरों ने चेतावनी भरे लहजे में कहा, वे अगले 33 दिनों तक सड़कों पर रहेंगे। ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं दोबारा न हों। यह सुनिश्चित करने के लिए कि इस घटना में जो लोग शामिल थे, जो लोग इस घटना पर पर्दा डालना चाहते थे, उन्हें सजा मिले। हम मुख्यमंत्री की कुर्सी पर भरोसा करके गये थे, लेकिन कोई हल नहीं निकला। डॉक्टरों ने साफ कहा कि उन्होंने कभी भी मुख्यमंत्री का इस्तीफा नहीं मांगा है। वे लोग न्याय और सुरक्षा की मांग कर रहे हैं।

देखा जाय तो मुख्यमंत्री ममता बनर्जी सदा से ही विपक्ष को चुनौती देती रही हैं, लेकिन पहली बार उन्हें चुनौती जूनियर डॉक्टरों से मिल रही है। कोलकाता रेप मामले में ममता बनर्जी की सरकार के भ्रष्टाचार का पर्दाफाश हो चुका है। ऐसा लगता है कि जिस तरह से ज्योति बसु ने कार्यकाल के बीच में ही बुद्धदेव भट्टाचार्य को सीएम पद सौंपा था, शायद ममता बनर्जी भी अभिषेक बनर्जी को सीएम या डिप्टी सीएम बनाने की रणनीति बना रही हैं। इस मुद्दे पर ममता बनर्जी ने पहले ही पार्टी नेताओं को बयान नहीं देने का निर्देश दे रखा है। पार्टी के सांसद जवाहर सरकार ने इस्तीफा दे दिया है। एक अन्य राज्यसभा सांसद सुखेंदु शेखर रॉय भी बगावत के मूड में हैं। ऐसे में ममता बनर्जी पूरी तरह से दवाब में हैं।

राजनीतिक जानकारों का कहना है कि ममता बनर्जी राणनीति के तहत काम कर रही हैं।वे फूंक-फूंककर कदम बढ़ा रही हैं। सुप्रीम कोर्ट में अगली सुनवाई के दौरान ममता सरकार कोर्ट से ही डॉक्टरों के आंदोलन को लेकर कदम उठाने की फरियाद करेगी। इससे सांप की मर जाएगा और लाठी भी नहीं टूटेगी।

उधर राज्यपाल सीवी आनंद बोस ने इसी मसले पर ममता बनर्जी उनका सामाजिक बहिष्कार करने की घोषणा करते हुए कहा है कि अब वह बनर्जी के साथ कोई सार्वजनिक मंच साझा नहीं करेंगे। राज्यपाल ने कहा कि यह विडंबना है कि स्वास्थ्य मंत्री गृह मंत्री हैं, गृह मंत्री मुख्यमंत्री हैं और मुख्यमंत्री सुरक्षा करने के बजाय विरोध कर रही हैं। सड़क, अस्पताल और शहरों में हिंसा हो रही है।

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