बेगूसराय: अलग-अलग बहानों से ऑनलाइन ठगी करने वाले साइबर अपराधी पैसा अपने अकाउंट में नहीं मंगवाते हैं, बल्कि ये ऐसे लोगों का बैंक अकाउंट किराए पर लेते हैं, जो बिना कुछ किए आराम से पैसा कमाना चाहते हैं। साइबर अपराधी जिनका बैंक अकाउंट किराए पर लेते हैं, उन्हें एक मुश्त 3000 से 8000 रुपया देने के अलावा हर ट्रांजैक्शन पर कमीशन भी देते हैं। साथ ही साइबर ठगी करने वाले अपराधी कोशिश करते हैं कि जिन बैंक अकाउंट्स को किराए पर लिया जाए, वो अपने राज्य या शहर का न होकर दूसरे राज्य या शहर के हो। ये खुलासा बेगूसराय की साइबर पुलिस ने किया है।
साइबर क्राइम से जुड़े एक मामले में जांच पड़ताल के दौरान बेगूसराय पुलिस ने बैंक अकाउंट किराए पर देने वाले दो लोगों और बैंक अकाउंट को किराए पर दिलवाने वाले एक आरोपी को गिरफ्तार किया हैं। जांच पड़ताल के दौरान साइबर क्राइम पुलिस ने एक-एक कड़ी को खंगालते हुए साइबर क्रिमिनल के रैकेट तक पहुंचाने की कोशिश में जुटी है। हालांकि, फिलहाल कुछ खास सफलता नहीं मिली है। लेकिन, अधिकारियों को विश्वास है कि जल्द ही इस पूरे रैकेट का खुलासा होगा।
किराए पर बैंक अकाउंट लेने के पीछे साइबर क्रिमिनल्स की मंशा होती है कि वे कभी पुलिस के हत्थे न चढ़ पाएं। इसके लिए वे ऐसे लोगों से संपर्क करते हैं, जो किराए पर अपना बैंक अकाउंट देते हैं। दरअसल, जो किराए पर अकाउंट देते हैं, वो बैंक अकाउंट उनका भी नहीं होता है। वे खुद इन बैंक अकाउंट्स को किराए पर लेते हैं और फिर साइबर क्रिमिनल्स के सरगना को बेच देते हैं।
लेकिन, जब मामला ज्यादा पेचीदा हो जाता है यानी किसी मामले में साइबर क्राइम पुलिस की जांच का शिकंजा ज्यादा कस जाता है, तो फिर जिन लोगों ने किराए पर बैंक अकाउंट दिया होता है, उनकी गिरफ्तारी हो जाती है, लेकिन तब तक काफी देर हो चुकी होती है और साइबर ठगी के बारे में उन्हें कुछ भी पता नहीं होता है। बेगूसराय में इससे पहले अप्रैल महीने में तीन लोगों को जेल भेजा गया था। वहीं, तीन लोगों को अभी तीन दिन पहले यानी बुधवार को साइबर पुलिस ने गिरफ्तार किया था।