9 मार्च को पटना में ‘बदलो बिहार महाजुटान’ रैला, दीपांकर भट्टाचार्य ने 1 से 5 फरवरी तक सीमांचल में पदयात्रा का किया ऐलान

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पटना में भाकपा माले (CPI-ML) के महासचिव का. दीपंकर भट्टाचार्य ने एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित किया। इस मौके पर पार्टी के राज्य सचिव कुणाल, पोलित ब्यूरो सदस्य धीरेन्द्र झा, अमर, ऐपवा की महासचिव मीना तिवारी और वरिष्ठ नेता केडी यादव मौजूद रहे। दीपांकर भट्टाचार्य ने कहा कि भाजपा बिहार की सत्ता पर कब्जा को बेचैन है। बिहार के सामने चुनौती है कि संविधान और लोकतंत्र बचाने के लिए 2024 के लोकसभा चुनाव और खुद 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में जो कमी रह गई थी, उसे इस बार पूरा कर देना है। संविधान-लोकतंत्र और आजादी पर खतरे के खिलाफ जारी देशव्यापी प्रतिवाद में बिहार को अग्रिम मोर्चे पर खड़ा होना होगा। पूरे देश की नजर बिहार पर है।

हम जब बदलाव की बात कहते हैं, तो केवल सत्ता व सरकार में बदलाव नहीं, बल्कि जनता के विभिन्न तबकों, संघर्षशील ताकतों और आम नागरिकों के बुनियादी सवालों को बिहार की राजनीति का केंद्रीय एजेंडा बना देने और जनपक्षीय नीतियों की दिशा में बिहार को आगे बढ़ाने का आह्वान है. इसी उद्देश्य से 9 मार्च को गांधी मैदान में ‘बदलो बिहार महाजुटान’ हो रहा है. हम राज्य की सभी संघर्षशील ताकतों से इसे ऐतिहासिक बनाने की अपील करते हैं. बिहार के लिए एजेंडा तय हो, बुनियादी मुद्दों से भटकाने के प्रयासों को सफल नहीं होने दें.

भा.ज.पा.-संघ द्वारा देश के संविधान और लोकतंत्र पर लगातार किए जा रहे हमलों की कड़ी में संघ प्रमुख द्वारा देश की आजादी को नकारने और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह द्वारा बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी की गई. संविधान व देश के गणतंत्र की रक्षा के संकल्प के साथ और संविधान प्रदत्त अधिकारों के जरिए फासीवादी ताकतों को मुकम्मल तौर पर शिकस्त देना होगा. भाकपा-माले द्वारा चलाए जा रहे संविधान बचाओ अभियान के तहत पूरे राज्य में 26 जनवरी को तिरंगा मार्च में बढ़-चढ़कर भागीदारी निभाएं.

नीतीश कुमार की प्रगति यात्रा दरअसल आतंक यात्रा है. जनता की आवाज नहीं सुनी जा रही है. माले कार्यकर्ताओं, छात्र-नौजवानों पर दमन अभियान चल रहा है. हमारे कार्यालयों पर छापे पड़ रहे हैं. यह घोर तानाशाही का परिचायक है. सरकार बनाम जनता की लड़ाई में हम माध्यम का काम करते रहेंगे. पुरानी राजशाही का दौर नहीं आने वाला.

पूरे देश में जाति गणना हो. बिहार ने इसकी शुरूआत की थी. इसके आलोक में दलितों-पिछड़ों के बढ़ाए गए 65 प्रतिशत आरक्षण को भाजपा-जदयू क्यों नहीं संविधान की 9 वीं अनुसूची में शामिल कर रही है? सभी 94 लाख महागरीब परिवारों को सरकार 2 लाख रु. की सहायता राशि दे. गरीबों के लिए आवास भूमि, पक्का मकान, फ्री बिजली, स्कीम वर्करों के लिए न्यूनतम मानदेय, शिक्षा-रोजगार ये सभी जनता के मुद्दे हैं. सरकार इन सवालों से भाग नहीं सकती.

चुनाव में धांधली केवल चुनाव के दिन नहीं होती. दिल्ली से रिपोर्ट आ रही है कि मतदाताओं के नाम मतदाता सूची से छांटे जा रहे हैं और फर्जी मतदाताओं के नाम व्यापक पैमाने पर जोड़े जा रहे हैं. इसलिए मतदाता सूची में अपने नाम को लेकर सतर्क व सावधान रहंे. हरेक नागरिक को वोट देने का अधिकार है. इसकी सुरक्षा की गारंटी करें।

अभी तक चार जगहों – पटना, सिवान, मुंगेर और मुजफ्फरपुर में ’बदलो बिहार समागम’ का आयोजन शानदार ढंग से सफल रहा है। जनवरी महीने में अन्य प्रमंडल मुख्यालय पर आयोजित समागम भी पूरे कर लिए जाएंगे। साथ ही एक से 5 फरवरी तक सीमांचल के इलाके में सघन पदयात्रा का आयोजन किया जायेगा। इस पदयात्रा का नेतृत्व खुद का. दीपंकर भट्टाचार्य करेंगे।

माले नेताओं ने बिहार और देश की राजनीति में कई अहम मुद्दों को उजागर किया। उन्होंने बिहार की जनता से संविधान, लोकतंत्र और सामाजिक न्याय की रक्षा के लिए संघर्ष को व्यापक बनाने की अपील की. जनता के बुनियादी सवालों को राजनीति का केंद्रीय एजेंडा बनाना होगा, ताकि राज्य में सकारात्मक बदलाव संभव हो सके।

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