लीची का उत्पादन बढ़ाने में मधुमक्खी एक सहायक उर्वरक मधुमक्खी बढ़ाएगी लीची की पैदावार, फल आने से पहले तक कीटनाशक का न करें छिड़काव

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मुजफ्फरपुर, संवाददाता
मुजफ्फरपुर की लीची पूरे भारत में मशहूर है। यहां की लीची का स्वाद दूसरे जगहों की लीची से बिलकुल अलग होता है। हालांकि, किसानों को जानकारी नहीं होने के कारण पिछले कुछ सालों में मुजफ्फरपुर में लीची उत्पादन में गिरावट देखी जा रही है। लीची उत्पादन को कैसे बढ़ाया जाए, फसल का उत्पादन और बेहतर कैसे हो, इसकी जानकारी किसानों को नहीं हैं। लीची अनुसंधान केंद्र के साइंटिस्ट की माने तो कुछ तरीके हैं, जिसका पालन कर किसान लीची की अच्छी और बेहतर पैदावार कर सकते हैं।
अभी लीची में मंजर आ चुके हैं, अप्रैल में फल भी आ जाएंगे। समय-समय पर लीची की फसल में कीटनाशक एवं अन्य उर्वरक का छिड़काव होता है लेकिन इन सब के बीच एक खास चीज यह है कि जब फूल आ जाए तो किसानों को फल आने से पहले तक छिड़काव नहीं करना चाहिए। लीची का उत्पादन बढ़ाने के लिए मधुमक्खी एक सहायक उर्वरक का काम करती है।
अगर किसान अपनी बाग में मधुमक्खी पालन करते हैं तो उसे दोगुना फायदा होगा पहले की मधुमक्खी के कारण लीची के फल और उत्पादन बढ़ेंगे, दूसरा ये कि मधुमक्खी से शहद भी मिलेगा। लेकिन आमतौर पर किसानों को इसकी जानकारी नहीं होने के कारण फूल के समय में कीटनाशक का छिड़काव कर दिया जाता है इससे मधुमक्खियां मर जाती हैं और लीची के फल कम आते हैं।
लीची अनुसंधान केंद्र के साइंटिस्ट डॉ सुनील कुमार ने बताया कि दरअसल लीची में दो तरह के मंजर आते हैं नर और मादा। लीची में फूल आने के समय इन दोनों में प्रजनन क्रिया होती है जिससे फल बनते हैं। बाग में मधुमक्खी के कारण नर और मादा में प्रजनन क्रिया बढ़ जाती है, जिस वजह से लीची के फल अधिक आते हैं और उत्पादन बढ़ जाती है। इस क्रिया को पूरी करने के लिए मधुमक्खी सहायक होती है। इस क्रिया के बाद ही लीची के पौधों में फल आते हैं।
सुनील कुमार ने बताया कि लीची परंपरागत फसल है। लीची में परागण की प्रक्रिया होती है जिसे मधुमक्खी ही पूरी करती है। इसलिए लीची का उत्पादन करने वाले किसानों को मधुमक्खी पालना चाहिए। इससे लीची के फल अधिक आते हैं, इसके अलावा लीची की अच्छी शहद भी मिलती है जो पूरी दुनिया में प्रचलित है।
उन्होंने बताया कि लीची के समय पौधों की देखभाल ठीक से करें। फूल आने पर किसी भी प्रकार के कीटनाशक का छिड़काव पौधों पर नहीं करें। इससे परागण की प्रक्रिया बाधित होती है और मधुमक्खियां मर जाती है। जब लीची के पौधे में परागण की प्रक्रिया पूर्ण नहीं होगी तो लीची के उत्पादन कम होंगे।
इसके अलावा अगर लीची के पौधे में फ्लावर वेबर या फिर स्टिंक बग की समस्या है तो फूल आने से पहले किसानों को चाहिए की कीटनाशक का पौधों पर छिड़काव करें। इससे समस्या से निजात मिलेगी और पौधों में फल अच्छे आएंगे।

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