महेश खरे (वरिष्ठ पत्रकार)
सवाल बहुत हैं। उत्तर एक भी नहीं। अहमदाबाद का विमान हादसा ही ऐसा था जिसका दर्द हर कोई महसूस कर रहा है। मगर, किया भी क्या जा सकता है? नियति के आगे हम सब विवश हैं। बस अनुमान लगा रहे हैं कि ब्लैक थर्सडे की दोपहर 40 सेकेंड में क्या हुआ होगा? किसी भी विमान दुर्घटना की जांच मुख्य रूप से 6-7 बिंदुओं पर टिकी होती है। 787-8 ड्रीम लाइनर बोइंग विमान दुर्घटना की जांच भी इन्हीं बिंदुओं से शायद बाहर नहीं होगी। ये बिन्दू हैं- 1) मानवीय भूल अथवा जिंदगियां बचाने की जद्दोजहद। 2) रनवे की स्थिति और मौसम का हाल। 3) एयर ट्राफिक कम्युनिकेशन। 4) तकनीकी खराबी। 5) बर्ड हिट। 6) चश्मदीद और 7) सबोटेज। हादसे की बहुत कुछ सच्चाई पर पड़ा पर्दा तो 28 घंटे बाद मिला ब्लैक बॉक्स उठा देगा। एविएशन एक्सपर्ट बताते हैं कि ब्लैक बॉक्स की जांच की प्रक्रिया लंबी है। पुराने हादसों की जांच की बात करें तो इसमें एक से तीन महीने तक का समय लगता रहा है। कभी-कभी तो छह माह। लेकिन, अहमदाबाद में ही ब्लैक बॉक्स जांच की तकनीक उपलब्ध होने के कारण जांच निष्कर्ष जल्दी मिलने की उम्मीद है।
कहते हैं मौत चीन-चीन कर शिकार को ले जाती है। तभी तो हादसे ने प्रकृति की जहां क्रूरता दिखाई, वहीं जीवन बचा लेने का चमत्कार भी दिखाया। विमान के फ्यूल में भड़की जिस आग में हॉस्टल की मजबूत खिड़कियों का लोहा तक पिघल गया। इस तापमान में इंसानी जान का सही सलामत बचना मिरेकल ही माना जाएगा। मगर, यह चौंकाने वाली खुशखबरी भी मिली। विमान के एक यात्री ब्रिटिश नागरिक रमेश कुमार विश्वास का बचना ईश्वरीय जादूगरी से कम नहीं है। स्वस्थ होने पर वे भी जांच दल की राह आसान करने में निश्चित ही बहुत सहायक होंगे। कारण, इस भीषण हादसे के विश्वास ही तो एकलौते चश्मदीद हैं। फिलहाल उन्होंने जो कुछ बताया उससे जांच की नई दिशा खुलेगी। हादसा दिल दहलाने वाला है। दोपहर 1 बजकर 38 मिनट और 20 सैकेंड पर उड़ान भरने वाले इस विमान का कुछ ही पल में अचानक नीचे की ओर रुख कर लेना और अस्पताल की मैस को नुक़सान पहुंचाते हुए आग का गोला बन कर धुंआ-धुंआ हो जाना मन को तकलीफ देता है। आखिर ऐसी क्या गड़बड़ी हुई जिसे 8200 उड़ानें भर चुके अनुभवी पायलट ने भांप तो लिया लेकिन सुधार नहीं सके। पायलट ने ‘मे-डे’ अर्थात ‘गंभीर खतरा है’ का मैसेज दिया लेकिन नियति ने उन्हें संकट की गहराई और कारण बताने का मौका नहीं दिया। पेड़ से टकरा कर विमान हॉस्टल के मैस को उड़ाते हुए जमीन पर जा गिरा। दुर्घटना स्थल का मंजर बता रहा है रौंगटे खड़े करने वाली दास्तान।
नई जेनरेशन का बोइंग विमान बहुत उन्नत तकनीकी से लैस विमान है। हालांकि इसी विमान में दिल्ली से अहमदाबाद पहुंचने का दावा करने वाले एक यात्री का वीडियो विमान की खामियों की ओर इशारा कर रहा है। अगर वीडियो सही है तो निश्चित ही यह विमान यात्री हादसे की जांच का एक बड़ा आधार हो सकता है। फिर तो यह सवाल भी बेचैन करने वाला है कि अगर विमान में कुछ समस्या थी तो क्या लंदन की उड़ान भरने से पहले वो खामियां दुरुस्त कर ली गईं थीं अथवा नहीं? इससे पहले भी विमान की तकनीकी और निर्माण पर गंभीर सवाल उठ चुके हैं। इस सब के बावजूद आज ‘डबल इंजन’ से लैस यह विमान विशेषज्ञों ही नहीं यात्रियों के लिए एक भरोसे की उड़ान का साथी है। कहना पड़ेगा कि बोइंग विमान ने सुरक्षित यात्रा का रिकॉर्ड बनाते हुए यह भरोसा कायम भी रखा है। लंबी उड़ानों के लिए बोइंग सीरीज के विमानों ने आरामदेह यात्रा उपलब्ध कराने में अपनी पहचान बनाई है। फिर उड़ान भरते ही यह ड्रीमलाइनर आखिर कैसे और क्यों 241 जिंदगियों के लिए डेथ लाइनर बन गया? इस सवाल का उत्तर आगे की जांचों से ही पता चलेगा।
विशेषज्ञ यह सवाल भी उठा रहे हैं कि नोर्मल उड़ान भरने के कुछ सैकेंडों में ही अचानक विमान का एटीट्यूड कैसे चेंज होने लगा था। दुर्घटनाग्रस्त वीडियो में रनवे छोड़ने के बाद विमान के लेंडिंग गेयर बाहर ही क्यों रहे? क्या इसे दोनों एंजन बंद होने का संकेत माना जाए? उड़ान से पहले हर विमान को गहन जांच के बाद ही ग्रीन सिग्नल दिया जाता है। फिर अचानक ऐसा क्या हुआ कि लगभग पलक झपकते ही विमान ऊपर जाने की बजाय आसपास की बिल्डिंग्स से टकराते हुए कानफाड़ू धमाके के साथ चिंदी चिंदी होकर बिखर गया। आसपास के लोग बताते हैं विमान जैसे बम की तरह फटते हुए ध्वस्त हुआ। लंदन जा रहे थे इस विमान में फ्यूल भी फुल था। बोइंग के फ्यूल टैंक की क्षमता लगभग 1.26 लाख लीटर की होती है। गृहमंत्री अमित शाह ने सही ही कहा है कि हादसों पर किसी का जोर नहीं। लेकिन, हादसों से भविष्य में सुरक्षित यात्रा के सबक मिलते हैं। डीजीसीए ने घोषणा की है कि 15 जून से बोइंग विमानों की उड़ान से पहले अतिरिक्त जांच की जाएगी। जहां अनेक जिंदगियों की सुरक्षा का सवाल हो उसके लिए सतर्क कदम उठाना जरूरी भी है। इस कदम से सुरक्षित यात्रा का भरोसा बढ़ेगा। लेकिन, इतने बड़े विमान हादसे की जवाबदेही तो तय होनी ही चाहिए। जिन्होंने अपने परिजनों को खोया है, वो भी आज बिलखते हुए यही मांग कर रहे हैं। जिस हादसे में होस्टल में लंच लेते डॉक्टर और विमान में लंदन के सपने देख रहीं 265 जानें चली गई हों। उनके सपनों को रौंदने वाले चेहरे सामने आने ही चाहिए। जिस हादसे में सत्तारूढ़ पार्टी ने अपने लोकप्रिय पूर्व मुख्यमंत्री विजय रूपाणी को खो दिया हो उसकी निष्पक्ष जांच तो होनी ही चाहिए। ताकि दूध का दूध और पानी का पानी सबके सामने आ सके।
विमान दुर्घटनाओं से जुड़ा गंभीर पक्ष एक और भी है। वह यह कि हवाई अड्डे के आसपास बहुमंजिली इमारतें कैसे बन जाती है? नियमों के अनुसार किसी भी हवाई अड्डे के दस किलोमीटर की परिधि में दो मंजिल से अधिक ऊंची इमारतें बनाना प्रतिबंधित हैं। लेकिन, यात्रियों के जीवन से जुड़ा यह नियम शायद कागजों तक ही सीमित रह गया है। विशेष अनुमति का इसमें एक ऐसा प्रावधान बना दिया गया है जिसके सहारे अहमदाबाद ही नहीं देश के अनेक शहरों में हवाईअड्डों के पास गगनचुंबी इमारतें आसानी से खड़ी हो जाती हैं। अहमदाबाद का मेघानी नगर जहां ड्रीमलाइनर दुर्घटनाग्रस्त हुआ वह इलाका हवाई अड्डे से मात्र डेढ़ दो किलो मीटर की दूरी पर है। यहां थोड़ी सी नजर घुमाने पर ही आसपास ऊंचे-ऊंचे भवन और अपार्टमेंट दिख जाएंगे। शायद हमें नियमों की अनदेखी कर अथवा उन्हें तोड़ने के रास्ते खोज लेने से प्राप्त सुविधाओं को भोगने में ज्यादा आनंद आता है। अहमदाबाद, बड़ौदा और सूरत में तो लाखों की संख्या में उत्तर भारतीय रहते हैं। शायद वे पटना में ‘बर्ड हिट’ से हुई विमान दुर्घटनाओं को भूले नहीं होंगे। इन दुर्घटनाओं का कारण भी हवाई अड्डे के पास रिहायशी इलाकों का कचरा बनता रहा है। इस कचरे पर दाना चुगते और मंडराते परिंदे अक्सर विमान दुर्घटना का कारण बनते रहे हैं। इस विमान हादसे के पीछे भी ‘बर्ड हिट’ की संभावनाएं तलाशी जा रही हैं। सच क्या है फिलहाल वह अभी तक ब्लैक बॉक्स, फ्लाइट डेटा रिकॉर्डर और कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डर के भीतर छुपा है।
उड़ानों में सुरक्षित यात्रा का सवाल
