सुरेंद्र किशोर
पदमश्री प्राप्त वरिष्ठ पत्रकार
गत 14 सितंबर, 25 को ब्रिटेन की बहुसंख्यक आबादी ने लाखों की संख्या में सड़कों पर निकल कर नारा लगाया–आप्रवासियों ब्रिटेन छोड़ो। उन्हें लगता है कि ‘ऐसा नहीं हुआ तो जेहादी मुस्लिम ब्रिटेन पर जल्द ही कब्जा कर लेंगे। उल्टे हमें ही देश छोड़ना पड़ेगा।’ दूसरी ओर, जेहादी घुसपैठियों के कारण भारत की भी तेजी से वही स्थिति बनती जा रही है। यहां बांग्ला देशी-रोहिंग्या घुसपैठियों ने जिन -जिन इलाकों में (उदाहरणार्थ,मुर्शिदाबाद)अपना बहुमत बना लिया है,वहां से गैर मुस्लिमों को भगाया जा रहा है। यानी जो कुछ सन 1990 में कश्मीर में हुआ,वही संकट धीरे -धीरे पूरे भारत में फैलता जा रहा है।
बिहार विधान सभा का चुनाव होनेवाला है। मतदाता सूची से घुसपैठियों के नाम हटाये गये हैं। गैर राजग दल उनके नाम हटाए जाने के विरोध में अभियान चला रहे हैं। राजद भी उस अभियान में शामिल है जबकि यह जानना महत्वपूर्ण है कि जब लालू प्रसाद मुख्यमंत्री थे तो उन्होंने सन 1992 में कहा था कि ‘घुसपैठियों को देश से बाहर निकाला जाना चाहिए।’ इसी तरह सन 2005 में सांसद ममता बनर्जी ने लोकसभा में यह आरोप लगाया था कि वाम मोर्चा सरकार
बांग्लादेश के वोटरों को पश्चिम बंगाल में भी वोटर बनवा रही है। पर,अब वही ममता बनर्जी मुख्यमंत्री के रूप में उन घुसपैठियों के पक्ष में मजबूती से खड़ी हैं।
दरअसल इस देश का दुर्भाग्य है कि सदियों से इस देश के ही कई लोग लोभ-लाभ वश विदेशी आक्रांताओं के पक्ष में खड़े होते रहे हैं। पर,इस इतिहास से कोई सबक आज भी नहीं ले रहा है कि पृथ्वीराज चौहान को मारने के बाद गोरी की सेना ने जयचंद को भी मार दिया था।
पूर्वी बंगाल के अनुसूचित जाति के नेता जोगेंद्र नाथ मंडल ने पाकिस्तान बनाने में जिन्ना का साथ दिया था। जब मंडल पाक में जाकर वे मंत्री बन कर बस गये तो वहां के जेहादियों ने दलितों का उत्पीड़न और धर्मांतरण करना शुरू किया। किसी ने मंडल की गुहार नहीं सुनी तो मंडल जान बचाकर भारत भाग आये। भारत के बड़े कम्युनिस्ट नेता बंटवारे के बाद साम्यवाद के प्रचार के लिए पाकिस्तान गये थे ।पर वहां जेल में डाल दिए गए। प्रधान मंत्री नेहरू ने उन्हें बचाया था।
ब्रिटिश इतिहासकार सर जे.आर सिली ने लिखा है कि ‘भारत को विदेशियों (यानी ब्रिटिशर्स ) द्वारा जीता हुआ शायद ही कहा जा सकता है। यह कहना अधिक सही है कि खुद भारतीयों ने ही भारत को (हमारे लिए) जीता था।’
सन 2025 में भी वही पुराना इतिहास दुहराया जा रहा है। इसके बारें में सारी जानकारियां देश को फिलहाल बिहार के मतदाताओं को होनी ही चाहिए । उन में से अच्छी मंशा वाले अनेक मतदाता उन राजनीतिक दलों के प्रभाव में देखे जा रहे हैं जिन दलों को भारत में करोड़ों घुसपैठियों की मौजूदगी से खुशी हो रही है। क्योंकि उनके वे वोट बैंक हैं।
अब आप घुसपैठ पर लालू प्रसाद की राय जान लें। हालांकि उस समय घुसपैठ की स्थिति आज जैसी चिंताजनक,व्यापक और भयावह नहीं थी। बिहार के मुख्य मंत्री लालू प्रसाद यादव ने नई दिल्ली में केंद्र सरकार द्वारा आयोजित उच्चस्तरीय बैठक में कहा था कि ‘‘बांग्ला देश से अवैध प्रवेश को रोकने के लिए कारगर उपाय केंद्र सरकार करे। श्री यादव ने यह भी मांग की कि अवैध घुसपैठियों द्वारा अचल संपत्ति खरीदने पर केंद्र सरकार रोक लगाने के लिए कानून बनाए।साथ ही, सीमावर्ती जिलों में भारतीय नागरिकों को पहचान पत्र जारी किये जाने चाहिए ताकि घुसपैठियों की पहचान आसानी से हो सके और उन्हें देश से बाहर निकाला जा सके।’
(हिन्दुस्तान 29 सितंबर 1992 )
खबर के अनुसार,बंगलादेशी नागरिकों की घुसपैठ से पीड़ित प्रदेशों ने स्थिति से प्रभावी रूप से निपटने के लिए सीमावर्ती जिलों के सभी निवासियों को परिचय पत्र दिए जाने के केंद्र सरकार के प्रस्ताव का अनुमोदन किया था। केंद्रीय गृह मंत्री एस.बी चव्हाण की ओर से बुलाई गई उस बैठक में अन्य महत्वपूर्ण हस्तियों के साथ-साथ असम के मुख्य मंत्री हितेश्वर सैकिया, बिहार के मुख्य मंत्री लालू प्रसाद, पश्चिम बंगाल के मुख्य मंत्री ज्योति बसु भी शामिल थे। साथ ही अवैध घुसपैठ से संबंधित विभिन्न मसलों से निपटने के लिए केंद्र और राज्य सरकारों के सहयोग से एक प्रभावशाली नीति और समन्वित कार्य योजना बनाने और उसे कार्यान्वित करने की आवश्यकता पर बल दिया गया। बैठक में सर्व सम्मति से पारित प्रस्ताव में कहा गया कि ‘बंगला देश से भारी संख्या में अवैध प्रवेश से भारत के विभिन्न भागों में जनसांख्यिक परिवर्तनों सहित अनेक गंभीर समस्याएं उठ खड़ी हुई हैं।
इन पंक्तियों का लेखक नब्बे के दशक में पूर्वोत्तर बिहार के एक लोक सभा क्षेत्र में उम्मीदवार के साथ भ्रमण कर रहा था।उम्मीदवार सत्ताधारी दल का था।उसने अपने क्षेत्र में दूर -दूर तक खेतों में फूस की बड़ी संख्या में झोपड़ियां खड़ी करवा कर सैकड़ों घुसपैठियों को वहां बसवाया था। वह हर झोपड़ी के सामने जाकर वोट मांगता था और कहता था कि चिंता मत कीजिएगा–आपको यहां से कोई नहीं उजाड़ेगा। समय के साथ 1992 के निर्णय को भाजपा विरोधी दलों ने भुला दिया। क्योंकि उन्हें घुसपैठियों को जोड़ दें तो मुस्लिम वोट अब अधिक मिलने लगे हैं। याद रहे कि सन 2017 के एक आंकड़े के अनुसार उनकी संख्या भारत में करीब 5 करोड़ हो चुकी है।
अब मतदाताओं को घुसपैठ समर्थक राजनीतिक दलों से सीधा सवाल पूछना चाहिए–
1.–क्या आप भारत की स्थिति भी यूरोप वाली खासकर ब्रिटेन जैसी बनाना चाहते हैं जहां की बहुसंख्यक आबादी अपने -अपने अस्तित्व की रक्षा के लिए लड़ रही हैं ?
2.-प्रतिबंधित जेहादी संगठन पाॅपुलर फ्रंट ऑफ़ इंडिया की राष्ट्रविरोधी हिंसक गतिविधियों के खिलाफ एक भी बयान आप क्यों नहीं देते ? पीएफआई ने घोषणा कर रखी है कि हम 2047 तक हथियारों के बल भारत को मुस्लिम देश बना देंगे। क्या पी.एफ.आई. और उसके राजनीतिक संगठन एस.डी.पी.आई के साथ इस देश के कुछ प्रमुख नेताओं की सांठगांठ है ?
3.-घुसपैठिए अपनी संख्या बढ़ाकर अनेक इलाकों से अल्पसंख्यक बन चुके गैर मुस्लिमों को भगा रहे हैं। उन्हें भगाए जाने के खिलाफ आप लोग आवाज क्यों नहीं उठाते ?
4.–तथाकथित सेक्युलर दलों के नेता हिन्दुओं के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणियां करते रहते हैं, फिर भी उन नेताओं के खिलाफ संबंधित दलों के शीर्ष नेता कार्रवाई क्यों नहीं करते ?
5.–हाल में मैंने इस्लाम के प्रचारक डा.जाकिर नाइक को यूट्यूब पर यह कहते हुए सुना कि ‘अब भारत में हिन्दुओं की आबादी सिर्फ 40 प्रतिशत रह गई है, इस पर आपको क्या कहना है ?
एक अपील बिहार के अतदाताओं से
अपना और अपने वंशजों का भला चाहते हो तो नेपाल की संवदेनशील सीमा पर बसे मतदाता विधान सभा के चुनाव में वैसे ही उम्मीदवारों को जिताइए जिसकी जेहादियों से न तो सहानुभूति हो न ही साठगांठ। अन्यथा बाद में पछतावे के सिवा कुछ हाथ नहीं लगेगा। नेता तोे अपनी सुविधा के लिए अपने रुख बदलते रहेंगे। अधिकतर नेताओं ने इतना पैसा कमा लिया है कि वे विदेश में जाकर बस जाएंगे। पर आम जनता कहां जाएगी ? क्या एक बार फिर मध्य युग की पीड़ा झेलेगी ?