बिहार में अक्टूबर 2025 में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले सियासी जंग तेज़ होती जा रही है। त्योहारों का मौसम भी अब राजनीति से अछूता नहीं रहा। विजयादशमी के दिन, जब पूरा देश रावण दहन के प्रतीकात्मक संदेश के साथ बुराई पर अच्छाई की जीत का जश्न मना रहा था, उसी दिन बिहार की राजनीति में भी ‘रावण’ का ज़िक्र छा गया।
जनता दल यूनाइटेड (JDU) ने अपने आधिकारिक एक्स (पूर्व में ट्विटर) हैंडल से एक आक्रामक AI वीडियो जारी किया। इस वीडियो में राष्ट्रीय जनता दल (RJD) सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव को दस सिर वाले रावण के रूप में दर्शाया गया। हर एक सिर पर भ्रष्टाचार, अपराध, लूट, हत्या, अपहरण, बलात्कार, जातीय हिंसा, रंगदारी और छिनतई जैसे गंभीर आरोप लिखे गए। वीडियो में यह संदेश दिया गया कि बिहार की जनता इस ‘रावण’ का वध कर बुराई का अंत करेगी।
JDU का हमला: “लालू राज था अपराध का पर्याय”
वीडियो पोस्ट करते हुए JDU ने लिखा:
“इस विजयादशमी पर बिहार की जनता बुराई का समूल नाश कर देगी। बुराई हमेशा हारती आई है; इस बार भी हार होगी। जीत बिहार की होगी, जीतबिहार की जनता की होगी।”
JDU प्रवक्ता नीरज कुमार ने वीडियो का बचाव करते हुए लालू यादव पर सीधा हमला बोला। उन्होंने कहा कि लालू प्रसाद का शासनकाल “गुंडा, लंपट और अपराधियों का राज” था। नीरज कुमार ने दावा किया कि 2025 का चुनाव एक निर्णायक मोड़ साबित होगा और इस बार “JDU का तीर भ्रष्ट राजनीति का सर्वनाश करेगा।”
JDU का यह वीडियो एक ओर तो लालू यादव की छवि पर प्रहार था, वहीं दूसरी ओर यह संकेत भी था कि पार्टी इस चुनाव को ‘अच्छाई बनाम बुराई’ की लड़ाई के तौर पर पेश करना चाहती है।
कांग्रेस का पलटवार: “नीतीश की सरकार ही असली राक्षसी राज”
जैसे ही वीडियो वायरल हुआ, विपक्ष ने भी मोर्चा खोल दिया। कांग्रेस प्रवक्ता असित नाथ तिवारी ने JDU पर करारा पलटवार किया। उन्होंने नीतीश कुमार की सरकार को ही ‘राक्षसी सरकार’ करार दिया।

तिवारी ने आरोप लगाया कि बिहार की मौजूदा सरकार में ऐसे नेताओं को कुर्सी पर बैठाया गया है जिन पर गंभीर आपराधिक मामले लंबित हैं। उन्होंने कहा:
“जब किसी सरकार में 6-6 हत्याओं का आरोपी उपमुख्यमंत्री हो और नकली दवाइयां बेचकर सैकड़ों लोगों की जान लेने वाला मंत्री हो, तो वही असलीरावणी सरकार है।”
कांग्रेस ने यह भी दावा किया कि इस बार बिहार की जनता “20 साल से कायम रावणी सरकार” को वोट की चोट से सत्ता से बेदखल करेगी।
त्योहार और राजनीति का संगम
बिहार की राजनीति में त्योहारों का इस्तेमाल कोई नई बात नहीं है। दशहरे का पर्व सदियों से अच्छाई की बुराई पर जीत का प्रतीक माना जाता है। लेकिन इस बार, राजनीतिक दलों ने इस प्रतीकवाद को चुनावी हथियार में बदल दिया है।
JDU ने लालू यादव को ‘रावण’ बनाकर यह संदेश देने की कोशिश की कि पिछली सरकारें अपराध और भ्रष्टाचार का प्रतीक थीं। वहीं कांग्रेस और RJD जैसे विपक्षी दल इस नैरेटिव को पलटकर नीतीश सरकार को ही ‘राक्षसी शासन’ बता रहे हैं।
त्योहार की आड़ में इस तरह के वीडियो और बयानबाज़ी से साफ है कि 2025 का विधानसभा चुनाव केवल विकास और मुद्दों पर नहीं, बल्कि छवि और भावनाओं की जंग भी होगा।
राजनीतिक विश्लेषण
विशेषज्ञों का मानना है कि JDU द्वारा जारी यह वीडियो चुनावी रणनीति का हिस्सा है। इसका मकसद पुराने ‘लालू राज’ की याद दिलाकर मतदाताओं को यह समझाना है कि राज्य ने जिन बुरे दिनों से छुटकारा पाया, उसे फिर से आने से रोकना है।
दूसरी ओर, कांग्रेस और RJD नीतीश सरकार को ‘भ्रष्ट’ और ‘अपराधियों की शरणस्थली’ बताकर जनता का ध्यान वर्तमान शासन की कमियों की ओर खींचना चाहती हैं। इस तरह दशहरे का त्योहार बिहार की राजनीति में चुनावी हथियार बन गया है।
विजयादशमी के दिन बिहार की राजनीति में जो कुछ हुआ, उसने यह साफ कर दिया है कि चुनावी संग्राम इस बार और अधिक आक्रामक होने वाला है। JDU ने लालू यादव को ‘रावण’ बताकर हमला बोला, तो कांग्रेस ने नीतीश सरकार को ही ‘राक्षसी शासन’ बताकर जवाब दिया।
बिहार की जनता के लिए यह चुनाव केवल सत्ता परिवर्तन का नहीं, बल्कि ‘अच्छाई बनाम बुराई’ की कथा के नए राजनीतिक संस्करण का प्रतीक बनने जा रहा है।