पद्मसंभव श्रीवास्तव
(वरिष्ठ पत्रकार)
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दरभंगा रियासत ने बिहार और मिथिला क्षेत्र में अपना अनमोल योगदान दिया। महाराज लक्ष्मीश्वर सिंह केवल राजनेता नहीं थे, बल्कि सामाजिक सुधारक, शिक्षा प्रेमी और देशभक्ति के प्रतीक भी थे। उनके शासनकाल में मिथिला में कई सामाजिक, शैक्षिक और स्वास्थ्य संबंधी सुधार हुए, जो आज भी प्रेरणास्त्रोत हैं।
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दरभंगा राज का ऐतिहासिक महत्व
दरभंगा राज लगभग 6,200 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला था और इसका मुख्यालय दरभंगा शहर था। 16वीं शताब्दी में मैथिल ब्राह्मण जमींदारों ने इसकी स्थापना की। ब्रिटिश काल में 4,495 गांव दरभंगा नरेश के शासन में थे। राज की प्रशासनिक व्यवस्था में लगभग 7,500 अधिकारी नियुक्त थे।
महाराज लक्ष्मीश्वर सिंह कांग्रेस के संस्थापक सदस्य भी थे। 1888 में इलाहाबाद में आयोजित कांग्रेस सत्र के लिए महाराज ने अपनी संपत्ति में सम्मेलन स्थल उपलब्ध कराया और इसे कांग्रेस को दान कर दिया। इससे उनके देशभक्ति और उदारता का पता चलता है।

शिक्षा और विश्वविद्यालय में योगदान
महाराज लक्ष्मीश्वर सिंह ने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय की स्थापना में सबसे बड़े आर्थिक योगदानकर्ताओं में से एक का काम किया। उन्होंने अकेले 50 लाख रुपये का दान देकर विश्वविद्यालय स्थापना के लिए मार्ग प्रशस्त किया। इसके अलावा उन्होंने पटना मेडिकल कॉलेज और दरभंगा मेडिकल कॉलेज सहित कई स्वास्थ्य संस्थानों की नींव रखी।
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सामाजिक सुधार: बहुविवाह और बिकऊआ विवाह पर प्रतिबंध
महाराज लक्ष्मीश्वर सिंह ने 19वीं शताब्दी में तिरहुत क्षेत्र में बहुविवाह और ‘बिकऊआ विवाह’ जैसी घिनौनी प्रथाओं को खत्म करने का साहसिक प्रयास किया।
• 1876 में सर्वे कराकर 665 महिलाओं के विधवा होने की स्थिति दर्ज की।
• सौराठ सभा में निगरानी और पंजीकरण की व्यवस्था की।
• दोषियों पर दंडात्मक कार्रवाई की गई और सामाजिक सुधार के लिए फंड प्रदान किया।
इन प्रयासों से मिथिला में महिलाओं के अधिकारों की रक्षा हुई और समाज सुधार की मिसाल कायम हुई।
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कृषि, उद्योग और मीडिया में योगदान
महाराज लक्ष्मीश्वर सिंह ने चीनी मिल, जूट मिल, सूत मिल, पेपर मिल जैसे उद्योग स्थापित किए। बंद पड़े कारखानों से स्क्रैप बेचकर हजारों लोगों को रोजगार मिला और करोड़ों रुपये का आर्थिक विकास हुआ।
उन्होंने मैथिली में “मिथिला मिहिर”, हिंदी में “आर्यावर्त” और अंग्रेजी में “Indian Nation” जैसे समाचारपत्रों का प्रकाशन भी किया। इससे समाज में जागरूकता और शिक्षा का प्रचार हुआ।
संरक्षण और गौ रक्षा के प्रयास
महाराज लक्ष्मीश्वर सिंह ने 1888 में गौहत्या विरोधी सोसाइटी और गौ संरक्षण कोष की स्थापना की। उन्होंने एक लाख रुपये का दान देकर इसके कार्यों को सुचारू रूप से चलाया। इस आंदोलन से बिहार और पूरे भारत में गौरक्षा की आवाज बुलंद हुई।
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दरभंगा महाराज का समग्र योगदान
महाराज लक्ष्मीश्वर सिंह का योगदान केवल सत्ता या धन तक सीमित नहीं था। शिक्षा, स्वास्थ्य, सामाजिक सुधार, उद्योग, मीडिया और देशभक्ति के क्षेत्र में उनका प्रभाव अत्यंत महत्वपूर्ण था। उनके प्रयास आज भी मिथिला और बिहार के इतिहास में प्रेरणास्त्रोत हैं।
Conclusion:
दरभंगा महाराज लक्ष्मीश्वर सिंह ने अपने शासनकाल में समाज सुधार, शिक्षा और आर्थिक विकास के क्षेत्र में कई क्रांतिकारी कदम उठाए। उनके योगदान को याद रखना और आने वाली पीढ़ियों तक पहुँचाना बिहार और भारत के इतिहास का कर्तव्य है।
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