बिहार में चुनावी रणभेरी — दो चरणों में तय होगा भविष्य
बिहार में चुनावी रणभेरी बज चुकी है।
मतदान की तारीखों के ऐलान के साथ ही लोकतंत्र का महायज्ञ शुरू हो गया है।
इस बार 6 और 11 नवंबर 2025 को दो चरणों में वोटिंग होगी, जबकि 14 नवंबर को मतगणना होगी।
करीब 8 करोड़ मतदाता अपने वोट से तय करेंगे कि राज्य की दिशा और दशा कौन तय करेगा।
लेकिन यह चुनाव सिर्फ सत्ता परिवर्तन का नहीं, बल्कि विचार और व्यवस्था परिवर्तन का भी है।
बिहार दशकों से बेरोजगारी, भ्रष्टाचार और अराजकता से जूझ रहा है।
लाखों युवा हर साल रोज़गार के लिए पलायन कर रहे हैं।
इस बार जनता के सामने सवाल सिर्फ “कौन जीतेगा” नहीं, बल्कि “कौन बदलेगा बिहार” का है।
नीतीश बनाम महागठबंधन — सत्ता की लड़ाई या विश्वास की परीक्षा?

बिहार की राजनीति में नीतीश कुमार बीते दो दशकों से केंद्र में हैं।
उन्होंने 9 बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली, कई गठबंधन बदले, लेकिन कुर्सी नहीं छोड़ी।
उनकी ‘सुशासन बाबू’ की छवि अब चुनौतियों में है।
पहली बार उनकी सरकार को भ्रष्टाचार और कानून व्यवस्था की विफलताओं के मुद्दों पर घेरा जा रहा है।
दूसरी ओर, महागठबंधन इस बार “अब नहीं तो कभी नहीं” के मूड में है।
तेजस्वी यादव और कांग्रेस मिलकर सत्ता वापसी के लिए पूरी ताकत झोंक रहे हैं।
यह चुनाव तय करेगा कि जनता नीतीश कुमार को एक और मौका देती है या नहीं।
जातीय समीकरण बनाम जनादेश — जनता किसे चुनेगी?
बिहार में जाति हमेशा से राजनीति का अहम कारक रही है।
हर पार्टी अपनी रणनीति जातीय आधार पर तय करती है।
एनडीए और महागठबंधन के बीच 243 सीटों का बंटवारा अभी भी विवाद में है।
लेकिन इस बार समीकरण में एक नया नाम जुड़ा है —
प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी, जो “व्यवस्था परिवर्तन” की बात कर रही है।
इसके अलावा तेजप्रताप यादव की जनशक्ति जनता दल,
उपेंद्र कुशवाहा की राष्ट्रीय लोक मोर्चा,
और पशुपति पारस की लोक जनशक्ति पार्टी भी मैदान में हैं।
यह चुनाव बतायेगा कि पुराने चेहरे नए दलों में कितने कारगर साबित होते हैं।
यह भी पढ़े : https://livebihar.com/bihar-chunav-2025-rajnitik-rishwatkhori/
(H3) बिहार की असल जंग — विकास बनाम वोट बैंक
बिहार की असली लड़ाई “सत्ता की” नहीं, बल्कि “विकास की” है।
सड़कें टूटी हैं, शिक्षा व्यवस्था बदहाल है, स्वास्थ्य तंत्र कमजोर है।
ऐसे में जनता सिर्फ नारे नहीं, नतीजे चाहती है।
नीतीश सरकार ने इस बार महिलाओं, दिव्यांगों और बुजुर्गों के लिए
ऐतिहासिक घोषणाएं की हैं, पर विपक्ष पूछ रहा है — “पैसा कहां से आएगा?”
यह सवाल अहम है —
क्या बिहार विकास की राह पर चलेगा, या फिर जाति और गठबंधनों की पुरानी राजनीति में उलझा रहेगा?
Do Follow us. : https://www.facebook.com/share/1CWTaAHLaw/?mibextid=wwXIfr
एक नई इबारत की शुरुआत?
बिहार चुनाव 2025 सिर्फ विधानसभा का नहीं, बल्कि
राज्य की आत्मा और सोच का चुनाव है।
यह चुनाव यह तय करेगा कि क्या बिहार
अपनी पुरानी परछाइयों से निकलकर प्रकाश की ओर बढ़ेगा या नहीं।
अब जनता के सामने दो रास्ते हैं —
एक, वादों की राजनीति, और दूसरा, विश्वास की राजनीति।
यदि जनता जाति नहीं, न्याय को चुनेगी,
तो यह चुनाव बिहार के इतिहास में नया अध्याय लिख देगा।
Do Follow us. : https://www.youtube.com/results?search_query=livebihar