राहुल गांधी का चौंकाने वाला बयान: सेना पर जाति टिप्पणी से मचा बवाल, राजनाथ सिंह और यशवंत सिन्हा ने जताई तीखी नाराज़गी

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राहुल गांधी के सेना पर बयान से देशभर में राजनीतिक हलचल, राजनाथ सिंह और यशवंत सिन्हा ने जताई नाराज़गी।
Highlights
  • • राहुल गांधी का सेना पर 10% बनाम 90% बयान से मचा बवाल। • राजनाथ सिंह बोले – “सेना का कोई धर्म या जाति नहीं।” • यशवंत सिन्हा ने भी जताई असहमति। • कांग्रेस की रणनीति पर उठे सवाल। • सेना की गरिमा पर राजनीतिक वार की आलोचना। • बिहार चुनाव 2025 में नया विवाद बना राहुल गांधी का भाषण।

90 बनाम 10 प्रतिशत का विवाद: राहुल गांधी के बयान से गरमाई राजनीति

बिहार के कुटुम्बा में चुनावी रैली के दौरान कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने मंगलवार को एक ऐसा बयान दे दिया जिसने पूरे देश में राजनीतिक हलचल मचा दी। उन्होंने कहा कि अगर आप ध्यान से देखेंगे तो देश की 90% आबादी दलित, महादलित, पिछड़ी, अति पिछड़ी, आदिवासी और अल्पसंख्यक वर्गों से आती है, मगर सारे पद, नौकरियाँ, कंपनियाँ और यहाँ तक कि सेना भी 10% लोगों के नियंत्रण में हैं।
उनकी यह टिप्पणी तुरंत विवाद का केंद्र बन गई क्योंकि भारतीय सेना को राजनीति में घसीटने पर देशभर में तीखी प्रतिक्रियाएँ देखने को मिलीं।

राहुल गांधी का चौंकाने वाला बयान: सेना पर जाति टिप्पणी से मचा बवाल, राजनाथ सिंह और यशवंत सिन्हा ने जताई तीखी नाराज़गी 1

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह का पलटवार: “सेना का कोई धर्म या जाति नहीं”

राहुल गांधी के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि भारतीय सेना का कोई धर्म या जाति नहीं होती।
उन्होंने कहा, “हमारे सैनिकों का एक ही धर्म है — सैन्य धर्म। सेना को राजनीति में घसीटना राष्ट्र के साथ अन्याय है।”
राजनाथ सिंह ने यह भी स्पष्ट किया कि सेना में भर्ती पूरी तरह मेरिट और नियमों के अनुसार होती है और इसे जाति के चश्मे से देखना देश की सुरक्षा व्यवस्था को कमजोर करता है।

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यशवंत सिन्हा का विरोध: विपक्ष में भी उठी आलोचनात्मक आवाज़

इस मामले में केवल सत्ता पक्ष ही नहीं, बल्कि विपक्ष से भी राहुल गांधी की आलोचना हुई।
पूर्व विदेश मंत्री यशवंत सिन्हा ने एक्स (Twitter) पर लिखा — “मैं निराश हूँ कि राहुल गांधी ने भारतीय सेना को जाति की बहस में घसीटा। सेना की एकमात्र जाति है — देशभक्ति, साहस और बलिदान।”
यह बयान बताता है कि राहुल गांधी की टिप्पणी केवल भाजपा बनाम कांग्रेस का विषय नहीं, बल्कि यह राष्ट्र बनाम संकीर्ण राजनीति की बहस में बदल गया है।

राहुल गांधी के विवादास्पद बयानों का सिलसिला

यह पहली बार नहीं है जब राहुल गांधी ने सेना पर टिप्पणी कर विवाद खड़ा किया हो।
• 2016 में, उन्होंने सर्जिकल स्ट्राइक पर सवाल उठाए।
• 2019 में, उन्होंने एयर स्ट्राइक के सबूत माँगे।
• 2023 में, ‘भारत जोड़ो यात्रा’ के दौरान उन्होंने कहा था कि “चीन की सेना अरुणाचल में भारतीय सैनिकों को पीट रही है।”
और अब 2025 में, उन्होंने कहा कि “सेना 10% लोगों के नियंत्रण में है।”
यह बयानबाजी का सिलसिला बताता है कि राहुल गांधी का मकसद हर बार संवेदनशील राष्ट्रीय मुद्दों को राजनीतिक रंग देना होता है।

सेना पर टिप्पणी: राष्ट्र की एकता पर हमला

भारतीय सेना उस संस्था का प्रतीक है जो धर्म, जाति, भाषा और प्रांत से ऊपर उठकर देश की एकता को बनाए रखती है।
राहुल गांधी का यह कहना कि सेना 10% लोगों के नियंत्रण में है, न केवल तथ्यहीन है, बल्कि यह सैनिकों की गरिमा और बलिदान का अपमान भी है।
सेना में हर जवान की पहचान केवल एक होती है — भारतीय सैनिक की।
ऐसे में इस संस्था को जातीय दृष्टि से देखना उस “एकता के ताने-बाने” पर चोट है, जिसे हमारे जवान सीमाओं पर अपने खून से सींचते हैं।

90 बनाम 10 प्रतिशत की राजनीति: चुनावी रणनीति या समाज का विभाजन?

राहुल गांधी का “90 बनाम 10 प्रतिशत” वाला बयान चुनावी रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है।
कांग्रेस लंबे समय से बिहार और उत्तर भारत में कमजोर स्थिति में है। ऐसे में यह बयान जातीय समीकरणों को साधने की राजनीतिक कोशिश दिखती है।
लेकिन समस्या यह है कि राहुल गांधी ने केवल सामाजिक संरचना नहीं, बल्कि न्यायपालिका, नौकरशाही, उद्योग और सेना जैसे चार संवैधानिक स्तंभों की विश्वसनीयता पर भी सवाल उठा दिया।
यह केवल राजनीतिक बयान नहीं, बल्कि लोकतंत्र की नींव पर अविश्वास की गहरी चोट है।

सेना पर जातीय दृष्टिकोण: संविधान और अनुशासन के खिलाफ

सेना में भर्ती पूरी तरह योग्यता और अनुशासन के आधार पर होती है।
यदि इसे भी जातीय कोटे की दृष्टि से देखा जाने लगे, तो यह संस्था अपनी सामूहिकता और एकता खो देगी।
राजनाथ सिंह ने कहा, “हम पिछड़ों और गरीबों के लिए आरक्षण के पक्षधर हैं, पर सेना को जाति के चश्मे से नहीं देखा जा सकता।”
राहुल गांधी का यह बयान इसलिए भी विरोधाभासी है क्योंकि उनके परिवार ने दशकों तक देश पर शासन किया।
अगर वाकई 10% लोग सब कुछ नियंत्रित कर रहे हैं, तो यह नियंत्रण किसके शासनकाल में बना?

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सत्ता की राजनीति में राष्ट्रहित की बलि

राहुल गांधी का यह बयान केवल एक राजनीतिक भाषण नहीं, बल्कि एक मानसिक प्रवृत्ति का संकेत है — जहाँ सत्ता की खोज में राष्ट्र की गरिमा तक दाँव पर लगा दी जाती है।
सेना को जातीय तराजू पर तौलना न केवल सैनिकों का अपमान है, बल्कि भारत की एकता पर भी सीधा प्रहार है।
राहुल गांधी की “90 बनाम 10 प्रतिशत” वाली राजनीति यह दर्शाती है कि वे समानता की बात करते हैं, पर विभाजन की राजनीति करते हैं।
भारत की सेना भारत की सेना है, किसी जाति या वर्ग की नहीं — और मतदाता इस सच को भलीभांति जानते हैं।

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