सुपौल में वोटिंग से पहले मचा सियासी बवाल, वायरल वीडियो से बढ़ी हलचल
Bihar Elections 2025 के दूसरे चरण के मतदान से ठीक पहले सुपौल विधानसभा में राजनीतिक माहौल अचानक तनावपूर्ण हो गया। मंगलवार शाम प्रचार थमते ही जदयू प्रत्याशी बिजेन्द्र यादव के कार्यालय के बाहर हुई मारपीट का एक वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो गया। इस वीडियो ने न सिर्फ स्थानीय राजनीति में सनसनी फैला दी, बल्कि आरोपों और सफाइयों का दौर भी शुरू हो गया।
कांग्रेस और जदयू दोनों ने अपनी-अपनी तरफ से घटनाक्रम की व्याख्या पेश की, लेकिन वीडियो ने माहौल को पूरी तरह गरमा दिया है। जहां एक ओर विपक्ष ने सत्ता पक्ष पर “पैसे के खेल” का आरोप लगाया, वहीं जदयू ने इसे “असामाजिक तत्वों की साजिश” बताया है।
प्रचार खत्म होते ही जदयू कार्यालय के बाहर मची अफरातफरी
यह घटना सुपौल विधानसभा क्षेत्र की है, जहां से जदयू प्रत्याशी बिजेन्द्र यादव मैदान में हैं। चुनाव प्रचार के समापन के कुछ ही देर बाद उनके कार्यालय के बाहर अफरा-तफरी का माहौल बन गया। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, कार्यालय के सामने अचानक महिला और पुरुष कार्यकर्ताओं की भीड़ जुट गई और कुछ देर में झड़प शुरू हो गई।
सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो में नगर परिषद सुपौल के पूर्व चेयरमैन और जदयू नेता जगदीश यादव को पीली बंडी में एक युवक से मोबाइल छीनते हुए देखा जा सकता है। वहीं, नारंगी बंडी पहने मंत्री के चुनाव अभिकर्ता युगल अग्रवाल को युवक पर हाथ उठाते भी देखा गया। ये दृश्य कुछ ही मिनटों में सोशल मीडिया पर वायरल हो गए, जिससे जिले की सियासत में नई गर्मी आ गई।
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कांग्रेस प्रत्याशी मिन्नत रहमानी ने लगाया “पैसे के खेल” का आरोप
वीडियो सामने आने के बाद कांग्रेस प्रत्याशी मिन्नत रहमानी ने इस मुद्दे को सियासी हथियार बना लिया। उन्होंने अपने आधिकारिक सोशल मीडिया अकाउंट पर वीडियो साझा करते हुए लिखा —
“प्रचार खत्म होते ही सत्ता पक्ष के नेता ‘पैसे का खेल’ शुरू कर चुके हैं। यह वीडियो उसी का प्रमाण है।”
रहमानी के इस बयान ने राजनीतिक हलकों में हलचल मचा दी। कांग्रेस ने इस पूरे घटनाक्रम को सत्तारूढ़ दल के अंदरूनी मतभेद और चुनावी अनैतिकता से जोड़ते हुए इसे जनता के साथ “धोखा” करार दिया।
रहमानी के पोस्ट के बाद समर्थकों में बहस छिड़ गई और जिले में यह मुद्दा चुनावी चर्चा का मुख्य केंद्र बन गया।
जदयू की सफाई: “असामाजिक तत्वों ने माहौल बिगाड़ा”

इस पूरे विवाद पर जदयू प्रत्याशी की ओर से सफाई भी आई। चुनाव अभिकर्ता युगल अग्रवाल ने कहा कि कुछ असामाजिक तत्व जानबूझकर कार्यालय के आसपास पहुंचे और कार्यकर्ताओं को उकसाने की कोशिश की। उनके मुताबिक —
“कार्यालय उस वक्त बंद था, लेकिन कुछ लोग जबरन अंदर घुस आए और कार्यकर्ताओं को बंधक बना लिया। सूचना मिलते ही मैं मौके पर पहुंचा, जहां हमारे साथ भी धक्का-मुक्की हुई। स्थिति अचानक बिगड़ गई।”
जदयू नेताओं का कहना है कि विपक्ष इस मुद्दे को अनावश्यक रूप से तूल दे रहा है। वहीं, वायरल वीडियो की सत्यता को लेकर अब तक कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है। समाचार पत्र प्रभात खबर ने भी अपनी रिपोर्ट में स्पष्ट किया है कि इस वीडियो की पुष्टि स्वतंत्र रूप से नहीं की जा सकी है।
वायरल वीडियो ने बढ़ाई चुनावी सरगर्मी, स्थानीय राजनीति में चर्चा तेज
यह वीडियो सामने आते ही सुपौल विधानसभा की चुनावी सरगर्मी कई गुना बढ़ गई है। अब चर्चाएं सिर्फ प्रत्याशियों के प्रचार पर नहीं, बल्कि इस वीडियो पर केंद्रित हो गई हैं। स्थानीय मतदाता इस घटना को लेकर तरह-तरह की राय दे रहे हैं — कुछ इसे सत्ताधारी दल के भीतर की गुटबाजी बता रहे हैं, तो कुछ इसे राजनीतिक विरोधियों द्वारा रची गई साजिश मान रहे हैं।
हालांकि अब तक प्रशासन की ओर से किसी भी प्रकार की जांच या कार्रवाई की आधिकारिक सूचना सामने नहीं आई है। मतदान से कुछ घंटे पहले इस तरह का वीडियो सामने आना, निश्चित रूप से इलाके के राजनीतिक तापमान को बढ़ाने वाला साबित हुआ है।
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सुपौल विधानसभा में बढ़ी चुनावी बेचैनी, प्रत्याशियों पर नजर
दूसरे चरण के मतदान से पहले सुपौल विधानसभा का माहौल पूरी तरह राजनीतिक तनाव से घिरा है। यहां जदयू, कांग्रेस और भाजपा के बीच सीधा मुकाबला माना जा रहा है। ऐसे में किसी भी विवाद या वायरल वीडियो का असर मतदान व्यवहार पर पड़ सकता है।
विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरह की घटनाएं मतदाताओं की सोच को प्रभावित कर सकती हैं, खासकर तब जब सोशल मीडिया पर सूचनाओं का प्रसार बहुत तेज़ी से होता है। अब देखना होगा कि यह वीडियो किस तरह से सुपौल की राजनीतिक बिसात को प्रभावित करता है।
वीडियो विवाद ने चुनावी माहौल को और गरमाया
Bihar Elections 2025 में दूसरे चरण से पहले सुपौल का यह वीडियो विवाद न सिर्फ चुनावी रणनीतियों को प्रभावित कर रहा है बल्कि सत्ता और विपक्ष के बीच तीखी बयानबाज़ी को भी जन्म दे चुका है। जहां कांग्रेस इसे “भ्रष्टाचार और सत्ता के अहंकार” से जोड़ रही है, वहीं जदयू इसे “विपक्ष की साजिश” बताकर पल्ला झाड़ रहा है।
मतदान से पहले इस तरह की घटनाओं का असर किस पर पड़ेगा, यह तो परिणामों के बाद ही स्पष्ट होगा, लेकिन इतना तय है कि सुपौल की यह झड़प अब पूरे बिहार की राजनीति का चर्चित विषय बन चुकी है।
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