Bihar Politics: नीतीश कुमार के ऐतिहासिक शपथ ग्रहण में तेजस्वी की गैरमौजूदगी चर्चा में
बिहार की राजनीति ने आज एक और ऐतिहासिक पल देखा जब पटना के गांधी मैदान में आयोजित भव्य समारोह में नीतीश कुमार ने रिकॉर्ड 10वीं बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। उनके साथ 26 मंत्रियों ने भी शपथ लेकर नई एनडीए सरकार को औपचारिक रूप से शुरू किया। समारोह में दिग्गज नेताओं की मौजूदगी रही और पहली बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी नीतीश कुमार के शपथ ग्रहण में शामिल हुए।
लेकिन इस पूरे कार्यक्रम के बीच सबसे ज्यादा चर्चा जिस चेहरे को लेकर रही, वो था तेजस्वी यादव की अनुपस्थिति।
जैसा कि बिहार की सियासत में एक पैटर्न देखा गया है—जब भी नीतीश कुमार एनडीए के साथ सरकार बनाते हैं, तेजस्वी यादव शपथ ग्रहण में दिखाई नहीं देते।
इस बार भी बिल्कुल वही हुआ।
Bihar Politics: चुनावी हार के बाद पहली बार सोशल मीडिया पर दिखे तेजस्वी

शपथ ग्रहण समारोह में तेजस्वी शामिल नहीं हुए लेकिन उन्होंने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘X’ (Twitter) पर मुख्यमंत्री नितीश कुमार को शपथ ग्रहण की बधाई दी।
तेजस्वी ने CM नीतीश और मंत्रिमंडल के सभी सदस्यों को सकारात्मक अंदाज़ में शुभकामनाएँ देते हुए लिखा—
“आदरणीय श्री नीतीश कुमार जी को बिहार के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने पर हार्दिक बधाई। मंत्रिपरिषद् के सदस्य के रूप में शपथ लेने वाले बिहार सरकार के सभी मंत्रियों को हार्दिक शुभकामनाएँ। आशा है नई सरकार जिम्मेदारीपूर्ण लोगों की अपेक्षाओं पर खरा उतरेगी और बिहारवासियों के जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाएगी।”
उन्होंने सरकार बनाने का दावा किया था लेकिन 14 नवंबर को आए नतीजों में राजद को करारी हार मिली — पार्टी सिर्फ 25 सीटों पर सिमट गई।
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Bihar Politics: चुनावी हार, और परिवारिक विवाद ने बढ़ाई मुश्किलें
चुनाव परिणाम के अगले ही दिन राजद के अंदरूनी माहौल में हलचल बढ़ गई।
तेजस्वी यादव की बहन रोहिणी आचार्य की अचानक आई पोस्ट ने पूरे राजनीतिक माहौल को हिला दिया। उन्होंने ट्वीट कर कहा कि वह राजनीति छोड़ रही हैं और परिवार से नाता तोड़ रही हैं।
पटना एयरपोर्ट पर मीडिया से बातचीत में रोहिणी ने कहा—
“मेरा कोई परिवार नहीं है।”
उन्होंने तेजस्वी यादव, संजय यादव और रमीज पर गंभीर आरोप लगाए, यहां तक कि गाली-गलौज और चप्पल फेंकने तक की बात कही।
उधर, पारिवारिक कलह के बीच ही राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव की मौजूदगी में विधायक दल की बैठक हुई।
बैठक में सभी जीते-हारे प्रत्याशी शामिल हुए।
तेजस्वी यादव ने खुद नेता प्रतिपक्ष बनने से इनकार कर दिया और कहा कि वे “कार्यकर्ता बनकर काम करना चाहते हैं।”
लेकिन पार्टी के वरिष्ठ नेताओं और लालू यादव की सहमति से, अंततः तेजस्वी को ही विधानमंडल में नेता प्रतिपक्ष चुना गया।
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Bihar Politics: शपथ ग्रहण में गैरमौजूदगी पर उठे सवाल, फिर आया बधाई का पोस्ट
तेजस्वी का शपथ ग्रहण में शामिल न होना भी चर्चा का विषय बना, खासकर तब जब चुनाव नतीजों के बाद पार्टी अंदर से भी अस्थिर दिखाई दे रही है।
लेकिन उनका पोस्ट इस बात का संकेत देता है कि विपक्ष की भूमिका में रहते हुए भी तेजस्वी ने संयमित और सकारात्मक राजनीतिक भाषा अपनाने का निर्णय लिया है।
बिहार की राजनीति नई सरकार के साथ नए समीकरणों में प्रवेश कर चुकी है
नीतीश कुमार का दसवां कार्यकाल राजनीतिक स्थिरता के संकेत देता है, लेकिन विपक्ष की भूमिका निभा रहे तेजस्वी यादव भी अब सक्रिय मोड में लौट रहे हैं।
हार, पारिवारिक विवाद और शपथ ग्रहण से दूरी—इन सबके बाद उनका यह पहला संदेश आने वाले दिनों में बिहार की राजनीति को दिलचस्प मोड़ दे सकता है।
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