बिहार में चुनावी बिगुल बज चुका है. चुनाव आयोग ने बिहार विधानसभा चुनाव की तारीखों का एलान कर दिया है. इसके साथ ही बिहार में चुनाव आचार संहिता लागू हो गई है. चुनाव की घोषणा होने का बाद से अब राजनीतिक दल और भावी उम्मीदवार इसके पालन के लिए बाध्य होंगे.
आपको बता दें कि देश में स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराने के लिए चुनाव आयोग द्वारा कुछ नियम बनाये जाते हैं. इन्हीं नियमों को आचार संहिता कहते हैं. लोकसभा या विधानसभा चुनाव के दौरान उन नियमों का पालन करना सरकार, नेता और राजनीतिक दलों की जिम्मेदारी होती है.
आचार संहिता के नियमों के अनुसार सार्वजनिक धन का इस्तेमाल किसी विशेष राजनीतिक दल या नेता को फायदा पहुंचाने वाले काम के लिए नहीं होगा, सरकारी गाड़ी, सरकारी विमान या सरकारी बंगले का इस्तेमाल चुनाव प्रचार के लिए नहीं किया जायेगा, किसी भी तरह की सरकारी घोषणा, लोकार्पण और शिलान्यास आदि नहीं होगा, किसी भी राजनीतिक दल, प्रत्याशी, राजनेता या समर्थकों को रैली करने से पहले पुलिस से अनुमति लेनी होगी, किसी भी चुनावी रैली में धर्म या जाति के नाम पर वोट नहीं मांगे जाएंगे.
आचार संहिता लगते ही सीएम नीतीश कुमार और डिप्टी सीएम सुशील कुमार मोदी ने शुक्रवार को दोपहर बाद अपने-अपने सरकारी वाहन वापस कर दिये. चुनाव भर दोनों नेता अपने निजी वाहनों से चलेंगे. वहीं, राजधानी पटना जो पार्टी के पोस्टरों से सजी हुई थी, अब उन पोस्टरों को भी हटाया जा रहा है. पटना के अलावा भी बिहार के अलग-अलग जिलों में पोस्टरों के हटाने का सिलसिला शुरू हो गया है.