Bihar Assembly Session 2025: बिहार विधानसभा में बुधवार का दिन राजनीतिक परिपक्वता, सर्वसम्मति और लोकतांत्रिक सहयोग की मिसाल बन गया, जब वरिष्ठ नेता नरेंद्र नारायण यादव को बिहार विधानसभा के उपाध्यक्ष पद पर निर्विरोध चुना गया। यह निर्णय न केवल सदन की राजनीति में एक सकारात्मक संकेत के रूप में उभरा, बल्कि इसने यह भी दिखाया कि कई बार राजनीतिक विभिन्नताओं के बावजूद सहयोगात्मक निर्णय लिए जा सकते हैं।
विधानसभा में जैसे ही यह घोषणा औपचारिक रूप से पढ़ी गई, पूरा सदन सम्मान, मर्यादा और सहमति की भावना से भर गया। किसी भी विपक्षी उम्मीदवार के मैदान में न उतरने के कारण यह तय माना जा रहा था कि यादव का निर्वाचन निर्विरोध ही होगा, और बुधवार को यह प्रक्रिया शांतिपूर्ण ढंग से संपन्न हुई।
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Bihar Assembly Session 2025: नरेंद्र नारायण यादव के निर्विरोध चयन का राजनीतिक महत्व

Bihar Assembly Session 2025 में नरेंद्र नारायण यादव का निर्विरोध चुना जाना सिर्फ एक औपचारिक प्रक्रिया नहीं, बल्कि बिहार की वर्तमान राजनीतिक स्थिति में सकारात्मक संदेश देने वाला कदम माना जा रहा है। अक्सर सदन में हंगामा, टकराव और राजनीतिक तनाव देखने को मिलता है, लेकिन इस बार सभी दलों के बीच एक मजबूत सहमति बन सकी।
विधानसभा में यह सहमति बताती है कि आने वाले सत्रों में सरकार और विपक्ष के बीच कम से कम कुछ मुद्दों पर संवाद और सहयोग की गुंजाइश बढ़ सकती है। यह भी महसूस किया जा रहा है कि विधायी कार्यों को सुचारू रूप से चलाने के लिए सदन ने एक अनुभवी और संतुलित नेता को चुना है।
नरेंद्र नारायण यादव लंबे समय से राजनीति और संसदीय कार्यों में सक्रिय रहे हैं। उनकी छवि गंभीर, संतुलित और नियमों के पालन में कठोर मानी जाती है। यही कारण है कि सभी दलों ने बिना किसी विवाद के उनके नाम पर सहमति व्यक्त की।
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Bihar Assembly Session 2025: उपाध्यक्ष के रूप में नरेंद्र नारायण यादव की जिम्मेदारियाँ
विधानसभा उपाध्यक्ष के रूप में यादव को अब एक अत्यंत महत्वपूर्ण संवैधानिक भूमिका निभानी होगी। अध्यक्ष की अनुपस्थिति में पूरी सदन की कार्यवाही को संभालना उनकी जिम्मेदारी होगी, जिसमें अनुशासन, मर्यादा और नियमों के सटीक अनुपालन को सुनिश्चित करना शामिल है।
उनकी प्रमुख जिम्मेदारियाँ:
• सदन की कार्यवाही को शांतिपूर्ण और निष्पक्ष ढंग से चलाना
• सभी विधायी प्रक्रियाओं को नियमों के तहत संचालित करना
• सरकार और विपक्ष के बीच संतुलन बनाए रखना
• महत्वपूर्ण विधेयकों की प्रक्रिया को सहजता से आगे बढ़ाना
• सदन की गरिमा और अनुशासन को सर्वोच्च प्राथमिकता देना
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यादव का अनुभव इस भूमिका में बेहद उपयोगी साबित होगा, खासकर तब जब आगामी महीनों में कई बड़े विधेयक और बजट सत्र आने वाले हैं।
Bihar Assembly Session 2025: सर्वसम्मति से चुने जाने का असर
उनका निर्विरोध चुनाव यह संकेत देता है कि वर्तमान सत्र में बिहार विधानसभा महत्वपूर्ण विधायी कार्यों को बिना बाधा आगे बढ़ाने के लिए तैयार है। ऐसे समय में जब राजनीतिक ध्रुवीकरण अक्सर सदन की कार्यवाही को प्रभावित करता है, यह निर्णय बिहार की राजनीति में एक सुखद और सकारात्मक बदलाव के रूप में सामने आया है।
राजनीतिक पर्यवेक्षक मानते हैं कि यह सदन में “सहयोग की राजनीति” की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, और आने वाले दिनों की कार्यवाही में इसका असर देखने को मिल सकता है।
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