NDA
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पटनाः बिहार में बहुत जल्द खाली पड़े बोर्ड और आयोग के पुनर्गठन की घोषणा होने वाली है। दरअसल एनडीए के तमाम सहयोगियों ने अपनी अपनी लिस्ट लगभग तैयार कर ली है और जैसे ही इसे अंतिम रूप दे दिया जाएगा इसकी घोषणा कर दी जाएगी। इस लिस्ट में कई नेताओं की नाम की चर्चा काफी तेज है। सूत्र बताते हैं कि खाली पड़े बोर्ड और आयोग के माध्यम से नीतीश सरकार लगभग 150 नेताओं और कार्यकर्ताओं को अपनी टीम में जगह दे सकती है, जिनकी भूमिका आने वाले विधानसभा चुनाव में महत्वपूर्ण हो सकती है। अब ऐसे में यह जानना जरूरी है कि कौन सा बोर्ड किस पार्टी के हिस्से में जा सकता है।

बता दें कि किसान आयोग, सवर्ण आयोग, अनुसूचित जाति आयोग, अनुसूचित जनजाति आयोग, बाल श्रमिक आयोग, सुन्नी वक्फ बोर्ड, पिछड़ा वर्ग आयोग, युवा आयोग, व्यापार आयोग, संस्कृत शिक्षा बोर्ड ये दस बोर्ड और आयोग बीजेपी कोटा में आ सकती है। इसी पार्टी के अध्यक्ष होंगे जिसमें सदस्य एनडीए के तमाम पार्टियों के हो सकते है। वहीं महिला आयोग, अल्पसंख्यक आयोग, अति पिछड़ा आयोग, महादलित आयोग, खाद संरक्षण आयोग, शिया वक्त बोर्ड, बाल संरक्षण आयोग, मदरसा शिक्षा बोर्ड और नागरिक परिषद जैसे दस बोर्ड और आयोग जदयू कोटा में आ सकता है। जदयू के ही अध्यक्ष होंगे साथ ही सदस्य एनडीए के तमाम घटक दल के हो सकते हैं।

बोर्ड और आयोग के अध्यक्ष को बिहार लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष और सदस्यों को उसके सदस्य के समकक्ष वेतन, भत्ता और अन्य सुविधाएं दी जाती है। राज्य सरकार अपने विवेक से मंत्री राज्य मंत्री या उप मंत्री का दर्जा देती है। साथ ही एक अनुमान के मुताबिक़ इनकी सैलरी लगभग दो से तीन लाख के आसपास होती है। माना जा रहा है कि बिहार विधानसभा चुनाव के पहले एनडीए की पूरी कोशिश है कि बोर्ड और आयोग के माध्यम से वैसे नेताओं और मज़बूत कार्यकर्ताओं को साधा जाए जिनकी भूमिका बिहार विधानसभा चुनाव में महत्वपूर्ण होने वाली है, ताकि बहाने नेताओं और कार्यकर्ताओं में उत्साह भरा जा सके।

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