Bihar Elections 2025 जैसे-जैसे अपने निर्णायक चरण की ओर बढ़ रहा है, बिहार की सियासत में बयानबाजी भी अपने चरम पर पहुंच चुकी है। इस बीच जनशक्ति जनता दल (JJD) सुप्रीमो तेज प्रताप यादव ने पटना एयरपोर्ट पर एक प्रेस बातचीत के दौरान दो अहम मुद्दों पर बड़ा और कड़ा बयान दिया — पहला, गोपालगंज जिले में दलितों की पिटाई की घटना, और दूसरा, राजद नेता भाई वीरेंद्र द्वारा दारोगा को धमकाने वाला मामला। तेज प्रताप का बयान इन दोनों घटनाओं पर स्पष्ट और तीखा रहा, जिससे राजनीतिक हलचल तेज हो गई है।
गोपालगंज में दलितों की पिटाई पर तेज प्रताप का सख्त रुख

गोपालगंज जिले में बैकुंठपुर विधानसभा क्षेत्र के बुचेया गांव में दलित परिवार के साथ मारपीट की घटना ने पूरे बिहार में आक्रोश पैदा कर दिया है। आरोप है कि आरजेडी को वोट नहीं देने पर एक दलित परिवार के साथ बदसलूकी और मारपीट की गई। इस घटना में तीन लोग घायल हुए हैं।
तेज प्रताप यादव ने इस मामले पर सख्त रुख अपनाते हुए कहा कि—
“अपराधियों पर कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए, चाहे वह किसी भी पार्टी से ताल्लुक रखता हो। अगर कोई राजद समर्थक भी इस कृत्य में शामिल है, तो उस पर भी कार्रवाई जरूरी है।”
तेज प्रताप का यह बयान ऐसे समय में आया है जब बिहार में दूसरे चरण के मतदान के बाद हिंसा और सामाजिक तनाव के कई छोटे-बड़े मामले सामने आ रहे हैं। उन्होंने साफ कहा कि दलितों की पिटाई अस्वीकार्य है और दोषियों को सजा मिलनी ही चाहिए।
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भाई वीरेंद्र पर तेज प्रताप का तीखा हमला
तेज प्रताप यादव का दूसरा कड़ा बयान राजद प्रत्याशी भाई वीरेंद्र के खिलाफ रहा। मनेर से आरजेडी प्रत्याशी भाई वीरेंद्र का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था, जिसमें वह एक दारोगा को धमकाते नजर आ रहे थे।
इस पर सवाल पूछे जाने पर तेज प्रताप ने कहा —
“ऐसे लोग गुंडे, मवाली और बदतमीज होते हैं। बिहार को बर्बाद करने में इन्हीं लोगों की सबसे बड़ी भूमिका रही है।”
उनका यह बयान सीधा और निर्भीक राजनीतिक स्टैंड के रूप में देखा जा रहा है, क्योंकि तेज प्रताप यादव ने पहली बार खुले तौर पर राजद के वरिष्ठ नेता पर निजी और सख्त टिप्पणी की है।
भाई वीरेंद्र पर चुनाव आयोग ने दर्ज की FIR
मामले की गंभीरता को देखते हुए चुनाव आयोग ने राजद प्रत्याशी भाई वीरेंद्र के खिलाफ FIR दर्ज कर ली है। गुरुवार सुबह जब वे अपनी पत्नी के साथ मतदान करने पहुंचे थे, तो बाहर निकलने पर उन्होंने आरोप लगाया था कि सुरक्षा कर्मी मतदाताओं को जानबूझकर लाइन में रोक रहे हैं और एक खास राजनीतिक दल के समर्थन में माहौल बना रहे हैं।
इस घटना का वीडियो वायरल होते ही चुनाव आयोग ने संज्ञान लिया और स्थानीय प्रशासन को रिपोर्ट तलब की। अब इस मामले की जांच चल रही है और वीडियो की सत्यता की पुष्टि की जा रही है।
गोपालगंज की घटना से गरमाई सियासत
गोपालगंज के बुचेया गांव की घटना ने बिहार की सियासत में नया मोड़ ला दिया है। दलित परिवार के साथ मारपीट के इस मामले में आरोपियों में अखिलेश यादव और विशाल यादव के नाम सामने आए हैं। पीड़ित परिवार के मुताबिक, “हमने वोट आरजेडी को नहीं दिया, इसलिए हम पर हमला किया गया।”
इस घटना के बाद गांव में तनाव का माहौल है और पुलिस ने अतिरिक्त बल तैनात कर दिया है। प्रशासन ने घटना की जांच के आदेश दे दिए हैं, जबकि राजनीतिक दल इसे चुनावी हिंसा का उदाहरण बता रहे हैं।
तेज प्रताप यादव का ‘एक्शन’ संदेश
तेज प्रताप यादव का यह बयान सिर्फ प्रतिक्रिया नहीं बल्कि एक राजनीतिक संदेश भी माना जा रहा है। उन्होंने कहा कि कानून से ऊपर कोई नहीं है और पार्टी या विचारधारा से इतर, दलितों के साथ अन्याय करने वालों को सजा मिलनी चाहिए।
तेज प्रताप के इस रुख ने बिहार के चुनावी माहौल में एक नई बहस छेड़ दी है। उनका यह कहना कि “भाई वीरेंद्र जैसे लोग बिहार को बर्बाद करते हैं” यह संकेत देता है कि वे अब साफ-सुथरी राजनीति और कानून व्यवस्था के पक्ष में अपनी छवि बनाना चाहते हैं।
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राजनीतिक विश्लेषण: बयान का असर चुनावी समीकरण पर
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि तेज प्रताप यादव का यह सख्त रुख उनके जनशक्ति जनता दल (JJD) की छवि को मजबूत कर सकता है। उन्होंने दलितों के पक्ष में खुलकर बात की और साथ ही एक बड़े राजद नेता की आलोचना करके यह दिखाया कि वे सिद्धांत आधारित राजनीति की ओर झुकाव रखते हैं।
यह बयान न केवल गोपालगंज या पटना बल्कि पूरे बिहार के वोटर्स में असर डाल सकता है, खासकर उन समुदायों में जो सामाजिक न्याय और सुरक्षा के मुद्दों को प्रमुखता से देखते हैं।
बिहार चुनाव में नया सियासी मोड़
Bihar Elections 2025 अब केवल गठबंधनों और वादों का नहीं बल्कि नेताओं के बयानों का भी चुनाव बन गया है। तेज प्रताप यादव का यह बयान साफ दिखाता है कि वे अब खुद को एक निर्भीक और न्यायप्रिय नेता के रूप में पेश करना चाहते हैं।
गोपालगंज की घटना, भाई वीरेंद्र पर हमला और दलितों के प्रति संवेदना—इन तीनों पहलुओं ने इस बयान को राजनीतिक रूप से निर्णायक बना दिया है। आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि इस सियासी बयान का वोटिंग पैटर्न पर कितना प्रभाव पड़ता है।
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