बिहार की राजनीति में नए साल की शुरुआत से पहले बड़ा सियासी संदेश सामने आया है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बेटे निशांत कुमार को लेकर जदयू के भीतर हलचल तेज हो गई है। पटना के प्रमुख चौक-चौराहों पर लगे बैनर-पोस्टरों ने यह संकेत दे दिया है कि वर्ष 2026 बिहार की राजनीति में बड़े बदलाव का साल साबित हो सकता है। इन बैनरों के जरिए जदयू नेताओं ने खुलकर नीतीश कुमार से मांग की है कि वे अपने बेटे निशांत कुमार को राजनीति में उतारें और पार्टी की अगली पीढ़ी की कमान सौंपें।
- Bihar Politics: पटना में लगे बैनरों ने बढ़ाई राजनीतिक हलचल
- Bihar Politics: विरासत संभालने की अपील, भविष्य के नेता के तौर पर पेश
- Bihar Politics: लंबे समय से चल रही है निशांत कुमार की एंट्री की चर्चा
- Bihar Politics: परिवारवाद के विरोधी रहे हैं नीतीश कुमार
- Bihar Politics: निशांत कुमार का अब तक का रुख
- Bihar Politics: 2026 से पहले क्यों तेज हुई चर्चा?
Bihar Politics: पटना में लगे बैनरों ने बढ़ाई राजनीतिक हलचल
बुधवार को पटना के कई प्रमुख इलाकों में नववर्ष की बधाई के साथ जदयू नेताओं की ओर से बैनर लगाए गए। इन बैनरों में साफ तौर पर निशांत कुमार की सियासी एंट्री की मांग की गई है। बैनरों की भाषा शायरी और भावनात्मक अपील से भरी हुई है, जो सीधे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को संबोधित करती है।
एक बैनर में लिखा गया है—
“नव वर्ष की नई सौगात,
नीतीश सेवक मांगे निशांत।
चाचा जी के हाथों में सुरक्षित अपना बिहार,
अब पार्टी के अगले जेनरेशन का भविष्य संवारें भाई निशांत कुमार।”
इन पंक्तियों ने साफ कर दिया है कि जदयू के भीतर एक वर्ग निशांत कुमार को पार्टी का भविष्य मानने लगा है।
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Bihar Politics: विरासत संभालने की अपील, भविष्य के नेता के तौर पर पेश
एक अन्य बैनर में नववर्ष की शुभकामनाओं के साथ यह संदेश लिखा गया है कि “श्री नीतीश कुमार जी की विरासत को संभालने और आगे बढ़ाने के लिए पार्टी हित में निशांत जी को पार्टी में लाया जाए।”
जदयू नेताओं द्वारा लगाए गए इन बैनरों में बार-बार एक ही पंक्ति दोहराई गई है—
“नववर्ष की नई सौगात, नीतीश सेवक मांगे निशांत।”
इस तरह के संदेशों ने यह स्पष्ट कर दिया है कि यह केवल शुभकामना बैनर नहीं हैं, बल्कि इसके जरिए एक राजनीतिक मांग को सार्वजनिक रूप से सामने रखा गया है।
Bihar Politics: लंबे समय से चल रही है निशांत कुमार की एंट्री की चर्चा

दरअसल, यह पहली बार नहीं है जब निशांत कुमार की सियासी एंट्री को लेकर चर्चा हुई हो। पिछले कुछ वर्षों से जदयू के भीतर और बाहर यह बहस होती रही है कि क्या नीतीश कुमार अपने बेटे को राजनीति में लाएंगे।
खासतौर पर विधानसभा चुनाव के बाद से यह चर्चा और तेज हो गई है कि निशांत कुमार को न सिर्फ पार्टी में शामिल किया जाए, बल्कि भविष्य में जदयू की कमान और राज्य की जिम्मेदारी भी उन्हें सौंपी जाए।
Bihar Politics: परिवारवाद के विरोधी रहे हैं नीतीश कुमार
यह मांग इसलिए भी राजनीतिक रूप से अहम मानी जा रही है क्योंकि नीतीश कुमार खुद परिवारवादी राजनीति के कट्टर विरोधी रहे हैं। उन्होंने कई मौकों पर अपने प्रतिद्वंद्वी दलों पर परिवारवाद को लेकर हमला बोला है।
राजद, कांग्रेस और अन्य दलों को निशाने पर लेते हुए नीतीश कुमार बार-बार यह कहते रहे हैं कि राजनीति में योग्यता और काम के आधार पर नेतृत्व तय होना चाहिए, न कि परिवार के नाम पर।
ऐसे में जदयू नेताओं द्वारा निशांत कुमार को आगे लाने की खुली मांग एक अलग तरह का सियासी संकेत दे रही है।
Bihar Politics: निशांत कुमार का अब तक का रुख
निशांत कुमार खुद भी कई मौकों पर अपने पिता की तारीफ करते रहे हैं। वे सार्वजनिक मंचों पर यह कहते नजर आए हैं कि नीतीश कुमार बिहार की सेवा कर रहे हैं और उनके नेतृत्व में राज्य ने विकास के कई नए आयाम छुए हैं।
हालांकि जब भी उनसे खुद की राजनीतिक एंट्री को लेकर सवाल किया गया, निशांत कुमार ने हमेशा इसे टालने की कोशिश की है। वे अब तक राजनीति से दूरी बनाए रखते हुए सार्वजनिक जीवन में सीमित रूप से ही दिखाई दिए हैं।
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Bihar Politics: 2026 से पहले क्यों तेज हुई चर्चा?
राजनीतिक जानकारों का मानना है कि वर्ष 2026 की शुरुआत से पहले इस तरह के बैनर लगना महज संयोग नहीं है। यह जदयू के भीतर चल रही रणनीतिक तैयारी का संकेत भी हो सकता है।
बिहार की राजनीति में नेतृत्व परिवर्तन की चर्चा, उम्र और भविष्य की रणनीति को देखते हुए यह सवाल बार-बार उठ रहा है कि जदयू का अगला चेहरा कौन होगा। ऐसे में निशांत कुमार को आगे लाने की मांग ने “कुछ अलग खिचड़ी पकने” की चर्चाओं को और हवा दे दी है।
Bihar Politics: संकेत बड़े, फैसला बाकी
पटना में लगे बैनर-पोस्टरों ने साफ कर दिया है कि जदयू के भीतर निशांत कुमार को लेकर गंभीर मंथन चल रहा है। हालांकि अंतिम फैसला नीतीश कुमार के हाथ में है। वे अपने राजनीतिक सिद्धांतों और अब तक की सोच के साथ क्या कोई बड़ा कदम उठाएंगे, यह आने वाला समय बताएगा। फिलहाल इतना तय है कि वर्ष 2026 की शुरुआत बिहार की राजनीति के लिए अहम संकेतों के साथ हो रही है।
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