बिहार Vidhan Sabha Winter Session: बिहार में नई सरकार के गठन के बाद आज यानी सोमवार से 18वीं विधानसभा का पहला सत्र औपचारिक रूप से शुरू हो गया। इस सत्र की शुरुआत शपथ ग्रहण के साथ हुई, जहाँ परंपरा और सियासत दोनों का अद्भुत संगम देखने को मिला। सबसे पहले मंत्रियों को शपथ दिलाई गई और इसके बाद डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी ने शपथ ली।
इस दौरान सदन में एक दुर्लभ दृश्य देखने को मिला। डिप्टी सीएम की सीट पर खड़े होकर विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने सम्मान जताते हुए उनका अभिवादन किया और हाथ मिलाया। यह नज़ारा सियासी कटुताओं के बीच सौहार्द का एक अनोखा संकेत बनकर उभरा।
पहले दिन शपथ ग्रहण और सदन का रंग-ढंग
सत्र के पहले दिन प्रोटेम स्पीकर नरेंद्र नारायण यादव ने सभी 243 नव निर्वाचित विधायकों को शपथ दिलाई। शपथ ग्रहण का क्रम सुबह से शुरू हुआ और विधायकों के उत्साहपूर्ण आगमन ने सदन का माहौल जीवंत बना दिया।
• डिप्टी सीएम विजय सिन्हा ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के पैर छुए।
• विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी से हाथ मिलाकर सदन में शिष्टाचार का उदाहरण पेश किया।
यह घटनाक्रम दिखाता है कि राजनीति की तल्ख़ ज़ुबान के बावजूद बिहार विधानसभा में परंपराएँ अब भी जीवित हैं।
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सत्र के पहले दिन के रोचक दृश्य और हलचल

सत्र के पहले दिन कई दिलचस्प नज़ारे देखने को मिले।
• गया के टेकारी से विधायक अजय डांगी आम आदमी की तरह ऑटो से विधानसभा पहुँचे।
• बीजेपी के वरिष्ठ नेता और आठ बार के विधायक प्रेम कुमार ने सदन में प्रवेश से पहले भूमि को प्रणाम किया।
• नव निर्वाचित विधायकों के लिए हेल्प डेस्क लगाया गया, जहाँ कर्मचारियों ने उन्हें बैठने की व्यवस्था, सदन का रास्ता और प्रक्रियाएँ समझाईं।
इन छोटे-छोटे दृश्य ने यह स्पष्ट किया कि नई विधानसभा में विधायकों का उत्साह और जनता के प्रति जुड़ाव बना हुआ है।
विपक्ष की रणनीति और पहले दिन की तीखी राजनीति
पहले दिन ही विपक्ष ने सरकार पर करारा हमला बोला। राजद विधायक भाई वीरेंद्र ने कहा,
“ये सरकार वोट चोरी से बनी है, जनता ने इन्हें नहीं चुना। संख्या कम है, मगर आवाज़ बुलंद है।”
उनके इस बयान से संकेत मिलता है कि आने वाले दिनों में सदन का माहौल तेज़ राजनीतिक टकराव और आरोप-प्रत्यारोप से भरा रहेगा।
सत्र के दौरान ग्रामीण विकास मंत्री श्रवण कुमार ने कहा कि सरकार जनता के हित में सभी सवालों का जवाब देने के लिए पूरी तरह तैयार है। उन्होंने विपक्ष को चेतावनी दी कि नकारात्मक बयानबाजी उन्हें 40 सीटों तक सीमित कर देगी।
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सत्र की आगामी रूपरेखा और अहम तारीखें
18वीं बिहार विधानसभा का यह सत्र कुल पाँच दिनों तक चलेगा।
• 2 दिसंबर: विधानसभा अध्यक्ष का चुनाव।
• 3 दिसंबर: राज्यपाल दोनों सदनों को संबोधित करेंगे।
• 4 दिसंबर: राज्यपाल के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर वाद-विवाद।
• 5 दिसंबर: द्वितीय अनुपूरक व्यय विवरणी पर चर्चा, मतदान और विनियोग विधेयकों की मंजूरी।
इस सत्र में सरकार और विपक्ष दोनों अपनी रणनीतियों के साथ पूरी तैयारी में हैं। सत्र के प्रत्येक दिन की कार्यवाही आने वाले महीनों की सियासी दिशा तय करेगी।
सत्र का निष्कर्ष: शपथ से सौहार्द, पर तेवर भी कायम
कुल मिलाकर, सत्र के पहले दिन शपथ ग्रहण के दौरान सम्राट–तेजस्वी की मुलाक़ात ने यह स्पष्ट कर दिया कि बिहार विधानसभा में शिष्टाचार और परंपराएँ अब भी जीवित हैं। हालांकि, विपक्ष की तीखी बयानबाज़ी और सत्ता पक्ष की तैयारियाँ दर्शाती हैं कि आने वाले दिनों में सियासी टकराव और रणनीति की गरमाहट भी बराबर देखने को मिलेगी।
सत्र का यह पहला दिन दर्शकों और राजनीति के जानकारों के लिए एक संकेत है कि नई सरकार अपने पांच साल के विकास कार्यों के लिए पूरी तरह सक्रिय और उत्तरदायी है, वहीं विपक्ष भी अपनी भूमिका को मजबूती से निभाने को तैयार है।
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